Sunday, May 19, 2024
Homeछत्तीसगढ़BCC NEWS 24: छत्तीसगढ़- बड़ी प्रशासनिक लापरवाही: 8वीं और 10वीं शताब्दी की...

BCC NEWS 24: छत्तीसगढ़- बड़ी प्रशासनिक लापरवाही: 8वीं और 10वीं शताब्दी की बहुत सी प्रतिमाएं हो गई चोरी, बाकी जो बची उसे भी छोड़ा भनवान भरोसे…

सरगुजा: जिले के उदयपुर विकासखंड अंतर्गत पुरातत्व स्थल महेशपुर जीर्णशीर्ण अवस्था में बना हुआ है। प्रशासनिक उपेक्षा के चलते यहां से लगातार मूर्तियां चोरी होने की वारदातें भी हो चुकी हैं। इसके साथ ही झाड़ियों के बीच पुरातत्व विरासतें अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही हैं। यहां प्रसिद्ध शिव मंदिर के साथ छेरिका देउर विष्णु मंदिर, तीर्थंकर वृषभ नाथ प्रतिमा, नरसिंह अवतार समेत विभिन्न शिलालेख मौजूद हैं, जहां हर साल प्रशासन की ओर से मेले का आयोजन कराया जाता है।

महेशपुर को भगवान राम के वनवास काल के दौरान का दंडकारण्य का प्रवेश द्वार माना गया है। इसके साथ ही यहां मौर्यकालीन प्रतिमाओं के अवशेष और मंदिर भी मौजूद हैं। यहां 10वीं शताब्दी का प्राचीन शिव मंदिर, छेरिका देउर के विष्णु मंदिर, 8वीं शताब्दी की तीर्थंकर वृषभ नाथ प्रतिमा, सिंहासन पर विराजमान तपस्वी, भगवान विष्णु-लक्ष्मी मूर्ति, नरसिंह अवतार, हिरण्यकश्यप का चीरता, मुंड टीला समेत कई शिलालेख मौजूद हैं। ग्रामीणों ने बताया कि रमन सिंह सरकार के दौरान तत्कालीन कलेक्टर ऋतु सेन की पहल पर यहां खंडहर में पड़ी पुरातत्व धरोहरों को सहेजने का काम किया गया, लेकिन इसके बाद से उन्हें इसी हालत में छोड़ दिया गया। अब हालत यह है कि यहां बनाए गए संग्रहालय में पूरे साल ताला लगा रहता है। वहीं पूरे परिसर में बड़े-बड़े झाड़ उग आए हैं। मूर्तियों और धरोहरों पर काई जम गई है, जिसकी सफाई के लिए भी इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं।

  • पुरातत्व विरासत को सहेजने बनाए गए संग्रहालय में ताला तो परिसर मेंं उग गए झाड़
  • मान्यता: महेशपुर को भगवान राम दंडकारण्य का प्रवेश द्वार माना गया

मूर्तियाें को ले जाने पहुंचे लोगों को रोकने ग्रामीणों ने की थी सड़क ब्लॉक
ग्रामीण अवधेश प्रसाद दुबे ने बताया कि चिरमिरी जैन समाज के लोग जैन तीर्थंकर की मूर्ति की दुर्दशा देख तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी से मूर्ति ले जाने की अनुमति मांगी। इसके बाद समाज के 10 से 15 लोग वाहन मूर्ति लेने पहुंचे, जिसकी भनक लगते ही महेशपुर, मांझा, मोहनपुर समेत 5 से ज्यादा गांव के लोगों जुट गए। सभी ने सड़क ब्लॉक कर उन्हें भीतर घुसने नहीं दिया। पुलिस-प्रशासन भी ग्रामीणों के विरोध में था, लेकिन ग्रामीणों के आक्रोश के आगे उन्हें झुकना पड़ा। इसके बाद कहीं मूर्तियों को ग्रामीण को बचा सके।

हेरिटेज विलेज के बनाने सवा तीन करोड़ कागजों तक ही सीमित रहे
ऐतिहासिक, पुरातात्विक व धार्मिक रूप से ख्यातिलब्ध ग्राम महेशपुर को पुरातत्व व संस्कृति विभाग ने हेरिटेज विलेज के रूप में विकसित करने की योजना बनाई थी। क्षेत्र को पुरातन कालीन स्वरूप देने सवा 3 करोड़ की स्वीकृति भी दी गई। इससे साइन बोर्ड, तालाब गहरीकरण, सौंदर्यीकरण, रेस्टोरेंट, संग्रहालय का निर्माण व विद्युत, पेयजल, शौचालय, पार्किंग, भोजनालय, पैगोड़ा सहित अन्य काम कराने थे, जो नहीं हुए कुछेक हुए। बाकी काम कागजों तक ही सीमित रहे।

इसलिए… प्रचीन प्रतिमाओं को लेकर ग्रामीणों में आस्था
ग्रामीण रामभरोसे यादव ने बताया कि पूर्वज बताते हैं कि एक राजा रेंड़ नदी के किनारे खुदाई कराने के दौरान अंगूठा दिखा, जिस पर चोट लगने के कारण खून निकल रहा था। सावधानी के साथ इसे बाहर निकालने पर देखा कि एक छोटा सा शिवलिंग है। इस पर राजा ने उसी जगह पर शिवलिंग को स्थापित कर मंदिर का निर्माण कराया, लेकिन एक बार भीषण आग लगने के कारण पूरा मंदिर जलकर खंडहर हो गया और शिवलिंग भी बीच से फट गया। तभी से यह पूरा क्षेत्र खंडहर के रूप में पड़ा हुआ था, लेकिन इस मंदिर से पूरे क्षेत्र की गहरी आस्था जुड़ी हुई है।

क्षेत्र को विकसित करने बनाया जा रहा प्लान: प्रवीव भगत
पुरातत्व विभाग के प्रभारी अधिकारी प्रवीण भगत ने बताया कि अभी हाल ही में मुझे चार्ज दिया गया है। जिले के सभी पुरातात्विक स्थलों को विकसित करने के लिए प्लान तैयार किया जा रहा है। शीघ्र ही इसका विकास भी शुरू कराया जाएगा।

मंदिर बनाए, लेकिन मूर्तियां नहीं रखीं
क्षेत्र में खुदाई के दौरान पुरातत्व विभाग को मिले धरोहरों को कारीगरों के माध्यम से तराशकर छोटे-छोटे मंदिरों का निर्माण कराया गया है, लेकिन हालत यह है कि इन मंदिरों में मूर्तियों को नहीं रखा गया है। मूर्तियां अभी भी संग्रहालय की शोभा बढ़ाती नजर आ रही हैं। इसके साथ ही यहां मौजूद पत्थरों की नक्काशी में खजुराहो की तर्ज पर कामुकता का भी उल्लेख दिखता है।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular