भिलाई से उत्तराखंड घूमने गए 55 पर्यटक अब पूरी तरह सुरक्षित हैं। कुदरती कहर में दो दिन फंसे रहने के बाद अखिर गुरुवार शाम वह दिल्ली पहुंच गए। उत्तराखंड के नैनीताल जिला प्रशासन ने 9 वाहन से सभी लोगों को सुरक्षित कालाडोंगी तक पहुंचाया। इसके बाद वहां पहले से ही दुर्ग जिला प्रशासन की ओर से 9 वाहन लगाए गए थे। उसमें बैठकर सभी लोग दिल्ली पहुंचे और इसके बाद वहां से ट्रेन से दुर्ग पहुंचेंगे।
त्रासदी में फंसे पर्यटकों में अंजली सिंह ने बताया कि वह लोग भिलाई से काफी खुशी खुशी उत्तराखंड घूमने गए थे। सभी लोग एक ग्रुप वहां पहुंचे। बड़ा अच्छा रास्ते में समय बीता। सभी लोग नैनीताल में एक ही होटल पर ठहरे। नैनीताल घूमने के बाद सभी लोग गाड़ियों से गरम पानी पहुंचे। यहां गाड़ियां खड़ी कर पैदल रास्ते कैंचीधाम तक पहुंचे। अचानक यहां बारिश तेज हो जाने से वहीं फंस गए। उस नजारे को याद करते हैं तो रूह कांप जाती है। 24 घंटे सभी ग्रुप के लोग बिना किसी मदद के भगवान को याद करके कैंचीधाम में ही ठहरे रहे। किसी तरह रात कटी और दूसरे दिन मदद मिलना शुरू हुई। उत्तराखंड सरकार और सेना के कुछ लोगों पहुंचकर सभी को सुरक्षित एक स्थान पर ले गए।
पैदल रास्ते नैनीताल के लिए जाते पर्यटक
इसके बाद अगले दिन जैसे ही मौसम साफ हुआ तो वहां से पैदल रास्ते और फिर कुछ दूर गाड़ियों के जरिए किसी तरह नैनीताल पहुंचे। नैनीताल में अपने होटल पहुंचकर सामान पैक किया। गुरुवार सुबह से ही नैनीताल प्रशासन की 9 गाड़ियां वहां पहुंच गई। उससे सभी लोग कालाडोंगी तक पहुंचे। उसके बाद दुर्ग जिला प्रशासन के द्वारा मुहैय्या कराए गए वाहनों से दिल्ली के लिए रवाना हुए।
पता चली मोबाइल बैट्री की असली अहमियत
भारिश बारिश और तबाही के बीच कहीं भी बिजली नहीं थी। सभी लोग अंधेरे में ही रात गुजारने को मजबूर हुए। इस दौरान उनकी चिंता में भिलाई में रह रहे परिजन परेशान न हों तो सभी मोबाइल को चालू कर एक से दो मिनट उनसे बात करते और फिर मोबाइल को स्विच ऑफ कर लेते। पर्यटकों का कहना है कि दो दिन उन्होंने किस तरह अपने मोबाइल की बैट्री को बचा-बचा कर उपयोग किया वह बयां नहीं कर सकते।