मध्यप्रदेश: मंदसौर में पशुपतिनाथ मंदिर के पास सहस्त्र शिवलिंग स्थापना से पहले शिवलिंग की सुरक्षा के लिए 22 दिन से कोलकाता के पुरातत्वविद श्रेयान बनर्जी व टीम वज्रलेप का काम कर रही है। शिवलिंग देख पुरातत्वविद की पूरी टीम हैरान है। उनका कहना है यह रेयर पत्थर है। आज तक हमने भी इस तरह का पत्थर नहीं देखा। यह शिवलिंग करीब डेढ़ से दो हजार साल पुराना है।
संभवत: यह पत्थर दो हजार साल पहले सरस्वती नदी में किसी तीन नदियों के संगम स्थान पर बना होगा। उसी जगह इस तरह के पत्थर तैयार होते हैं। पशुपतिनाथ मंदिर में सालों पहले नदी से निकले सहस्त्र शिवलिंग की स्थापना की जाएगी। लंबे समय से शिवलिंग मंदिर परिसर में यह ऐसे ही रखा था। पशुपतिनाथ मूर्ति क्षरण पर जलाभिषेक प्रतिबंधित होने के बाद प्रशासन ने जलाभिषेक के लिए 4 साल पहले सहस्त्र शिवलिंग स्थापना का प्रोजेक्ट शुरू किया।
20-25 साल के लिए सुरक्षित हो गया है शिवलिंग
कलेक्टर गौतम सिंह ने बताया कि वज्रलेप के बाद शिवलिंग 20 से 25 सालों के लिए सुरक्षित हो गया है। लोगों को शकर से घिसाई, अभिषेक के दौरान हाथ में अंगूठी, कड़ा आदि पहनने की अनुमति नहीं दी जाएगी। नदी में बाढ़ के दौरान नुकसान पर कलेक्टर ने बताया कि यह गर्भगृह पशुपतिनाथ से तीन फीट ऊंचा है।
खास है यह पत्थर
स्कल्पचर विशेषज्ञ ऑनिरबन हलदर ने बताया कि यह पत्थर बहुत रेयर है। इसमे बेसाल्ट, ग्रेनाईट, टेल्कस्टोन, अग्नेशिला, सिलिका, मैग्नीज, कैल्साइट कैल्शियम आदि तरह के पत्थर है।