Thursday, April 25, 2024
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CG: छत्तीसगढ़ में एक ऐसा मंदिर जहां देवी-देवता नहीं बल्कि असुर की होती है पूजा… यहां दानव ही देवता हैं, मन्नत पूरी होने पर बड़ी संख्या में पहुंचते हैं श्रद्धालु

खोपा धाम में एक हजार इक्यावन नारियल फोड़े गए, श्रद्धालु की मन्नत हुई थी पूरी।

सूरजपुर: छत्तीसगढ़ के सूरजपुर में एक ऐसा मंदिर है जहां देवता नहीं दानव की पूजा की जाती है। खोपाधाम से लोगों की गहरी आस्था है। यहां आने से जब एक श्रद्धालु की मन्नत पूरी हुई, तो उसने एक पिकअप वाहन में 1051 नारियल का चढ़ावा चढ़ाया। सोमवार को जब गाड़ी पहुंची, तो वहां मौजूद अन्य लोग भी दंग रह गए।

पहले तो लोगों ने सोचा कि शायद ये व्यक्ति कोई दुकानदार है, जो यहां नारियल बेचने के लिए आया है, लेकिन जब एक-एक करके नारियल फोड़ा जाने लगा, तब जाकर उन्हें यकीन हुआ कि किसी भक्त ने मनोकामना पूरी होने पर एक गाड़ी भरकर नारियल चढ़ाया है। इस श्रद्धालु का नाम विजयलाल मरकाम है, जो वाड्रफनगर के रजखेता का रहने वाला है।

खोपाधाम में चढ़े 1051 नारियल को तोड़ते हुए लोग, इसने देखने के लिए जुट गई भीड़।

खोपाधाम में चढ़े 1051 नारियल को तोड़ते हुए लोग, इसने देखने के लिए जुट गई भीड़।

विजयलाल ने बताया कि असुरों ने उसकी इच्छा पूरी की है, इसलिए वो 1 हजार 51 नारियल यहां लेकर पहुंचा है। उसने कहा कि इस धाम में उसकी बहुत आस्था है और पहले भी कई मनोकामनाएं इस धाम ने पूरी की हैं। खोपा धाम में रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए किसी देवी-देवता नहीं बल्कि दानवों की पूजा-अर्चना करते हैं।

श्रद्धालु विजयलाल मरकाम ने मन्नत पूरी होने पर यहां नारियल चढ़वाया था।

श्रद्धालु विजयलाल मरकाम ने मन्नत पूरी होने पर यहां नारियल चढ़वाया था।

छत्तीसगढ़ के इस गांव में होती है दानव की पूजा

सूरजपुर जिले के खोपाधाम में देवी-देवताओं की जगह दानव की पूजा होती है। खोपा नाम के गांव में धाम होने के कारण यह खोपाधाम के नाम से प्रसिद्ध है। यहां छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों के लोग भी पूजा करने आते हैं। नारियल और सुपाड़ी चढ़ाकर पहले लोग पूजा कर मन्नत मांगते हैं।

ऐसी मान्यता है कि यहां चढ़ाया हुआ प्रसाद भी घर नहीं लाया जाता। मन्नत पूरी होने के बाद मुर्गे-बकरों की बलि देने के साथ ही शराब भी चढ़ाया जाता है। पहले यहां महिलाओं के पूजा करने पर पाबंदी थी, लेकिन अब महिलाएं भी पूजा करने आती हैं।

मनोकामना का नारियल लोग लाल कपड़े के साथ बांधकर जाते हैं। नारियल और सुपाड़ी चढ़ाकर लोग पूजा कर मन्नत मांगते हैं।

मनोकामना का नारियल लोग लाल कपड़े के साथ बांधकर जाते हैं। नारियल और सुपाड़ी चढ़ाकर लोग पूजा कर मन्नत मांगते हैं।

लोगों की ये है मान्यता

दानव की पूजा करने के पीछे की मान्यता है कि खोपा गांव के पास से गुजरे रेण नदी में बकासुर नाम का राक्षस रहता था। बकासुर गांव के ही एक बैगा से प्रसन्न हुआ और वहां रहने लगा, तब से यहां दानव की पूजा होने लगी। यही कारण है कि यहां पंडित या पुजारी नहीं बल्कि बैगा ही पूजा कराते हैं।

स्वतंत्र खुले आसमान के नीचे बकासुर ने खुद को स्थापित करने की बात श्रद्धालुओं को कही थी।

स्वतंत्र खुले आसमान के नीचे बकासुर ने खुद को स्थापित करने की बात श्रद्धालुओं को कही थी।

खोपा धाम में पिछले कई दशक से दूर-दराज से श्रद्धालु पूजा करने आते हैं, इसके बावजूद यहां मंदिर नहीं बनाया गया। इस संबंध में यहां के लोगों का कहना है कि बकासुर ने उसे किसी मंदिर या चारदीवारी में बंद करने के लिए नहीं कहा था। उसने खुद को स्वतंत्र खुले आसमान के नीचे ही स्थापित करने की बात कही थी। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और मन्नत के लिए लाल कपड़ा बांधते हैं। कोपा धाम के बैगा भूत-प्रेत और बुरे साए से बचाने का दावा भी करते हैं। यहां भूत-प्रेत बाधा से छुटकारा पाने के लिए लंबी लाइन लगी रहती है।

वनदेवी हैं मां खुड़ियारानी, पहाड़ी कोरवाओं की आराध्य हैं माता।

वनदेवी हैं मां खुड़ियारानी, पहाड़ी कोरवाओं की आराध्य हैं माता।

प्रवेश पत्रों से भरा मां खुड़ियारानी का त्रिशूल

जशपुर जिले के खुड़ियारानी मंदिर में इन दिनों छात्रों की भीड़ देखी जा रही है, वहीं मां खुड़ियारानी का त्रिशूल भी प्रवेश पत्रों से भरा हुआ है। छात्रों ने परीक्षा में अच्छे नंबर लाने के लिए माता के पास अर्जी लगाई है। सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाएं शुरू हो गई हैं, वहीं छत्तीसगढ़ की बोर्ड परीक्षाएं 1 मार्च से शुरू होने जा रही हैं। छात्र माता से परीक्षा को पास करने के लिए मनोकामना मांग रहे हैं।

बगीचा विकासखंड के ग्राम पंचायत छिछली के प्रसिद्ध मां खुड़ियारानी मंदिर में स्कूली छात्र मनोकामना त्रिशूल में अपना प्रवेश पत्र लगा रहे हैं। वे इस कामना के साथ ऐसा कर रहे हैं कि माता रानी इस प्रवेश पत्र में अंकित रोल नंबर वाले परीक्षार्थी काे अच्छे अंक दिलाएंगी। मां खुड़ियारानी मंदिर के बैगा भवन राम ने बताया कि ऐसा हर साल होता है। मान्यता है कि इस मंदिर में कोई भी व्यक्ति अगर सच्चे मन से कोई मनोकामना लेकर आता है, तो वो जरूर पूरी होती है, इसलिए इस मंदिर पर लोगों की बहुत आस्था है।

हर साल हजारों की संख्या में चढ़ते हैं प्रवेश पत्र, मनोकामना पूरी होने पर बकरे की दी जाती है बलि।

हर साल हजारों की संख्या में चढ़ते हैं प्रवेश पत्र, मनोकामना पूरी होने पर बकरे की दी जाती है बलि।

मां खुड़ियारानी मंदिर के गुफा द्वार के बाहर एक त्रिशूल रखा है। इस त्रिशूल को मनोकामना त्रिशूल कहा जाता है। भक्त मनोकामना की पर्ची त्रिशूल में लाल धागा बांधकर चढ़ाता है या फिर कागज पर समस्या लिखकर त्रिशूल पर चढ़ा देता है। बोर्ड परीक्षा में अच्छे नंबर पाने के लिए हर साल परीक्षार्थी भी यहां आते हैं और अपने प्रवेश पत्र की फोटो कॉपी त्रिशूल पर चढ़ा जाते हैं।

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