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बिलासपुर: अरपा में अवैध खुदाई बंद होने के बाद माफिया ने रेत की कीमत 21 हजार रुपए तक बढ़ा दी है। हालांकि रेत की बिक्री 3500 से 4000 रुपए प्रति ट्रैक्टर के हिसाब से हो रही है। खनिज विभाग और प्रशासन की नाक के नीचे शहर में ही कई अवैध डंपिंग यार्ड बन गए हैं, जहां बड़े पैमाने पर रेत डंप कर ज्यादा कीमत पर बेचा जा रहा है।
इससे मकान बनाने की लागत बढ़ गई है। इसके बावजूद खनिज विभाग या जिला प्रशासन कार्रवाई करना तो दूर रेत के अवैध परिवहन पर भी रोकथाम नहीं लगा पा रहा। शहर में सरकंडा, कोनी, मंगला, लिंगियाडीह, लोखंडी से लेकर उसलापुर तक रेत डंप की बेची जा रही है।
शहर और ग्रामीण इलाकों में रेत की ऐसी मारामारी और किल्लत है कि लोग 21 हजार रुपए प्रति हाइवा में रेत खरीदने मजबूर हैं। यह पहली बार है, जब शहर में इतनी बढ़ी हुई कीमत में रेत मिल रही है। रेत के दाम अधिक होने के पीछे वजह ये है कि शहर में महासमुंद और आरंग से रेत आ रही है। कुछ जगहों पर शिवरीनारायण से रेत मंगाई जा रही है। शिवरीनारायण से आने वाले रेत की कीमत 17-18 हजार रुपए प्रति हाइवा है।
जिले की खदानों से रेत नहीं निकाले जाने के कारण बाहर से रेत मंगाई जा रही है और इसका फायदा माफिया उठा रहे हैं। दैनिक भास्कर ने रेत की कीमत की पड़ताल की तो पता चला कि महासमुंद और आरंग की ओर से रात में रेत से भरे हाइवा पहुंचते हैं। इन्हें सरकंडा, कोनी, मंगला, लिंगियाडीह, लोखंडी से लेकर उसलापुर आदि इलाकों में डंप किया जाता है। शहर से लगे ग्राम लोखंडी में दो भाई द्वारा महासमुंद से सीधे रेत मंगाकर बेच रहे हैं। हाइवा में रेत मंगाते हैं और उसे ट्रैक्टर में पलटी कर बेच रहे हैं। दो दिन पहले ही दीनदयाल कॉलोनी मंगला के सेक्टर पांच में अचानक रात में एक हाइवा रेत को सड़क के बीच में गिरा दिया गया। रिपोर्टर ने जब पूछा तो मकान बनवा रहे व्यक्ति ने बताया कि दो लोगों ने महासमुंद से रेत मंगवाया है। अपने हिस्से का 11500 रुपए दिया हूं, जबकि श्लोक विहार कॉलोनी के सामने सड़क पर देर रात एक हाइवा रेत गिराई गई और सुबह ट्रैक्टर में भरकर बेच दिया गया।
डंपिंग की परमिशन नहीं इसलिए ऐसी कवायद
रेत के कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि एक हाइवा से ज्यादा रेत डंप करने की अनुमति नहीं है। इसके बाद भी कोनी, मंगला इलाके से लेकर लिंगियाडीह, तोरवा की ओर डंप की जाती है। कुछ ऐसे भी सप्लायर हैं, जो बाहर से रेत मंगाते हैं और शहर के अलग-अलग हिस्से में मांग के हिसाब से किसी भी खाली जगह पर डंप करते हैं, फिर सुबह ट्रैक्टर से उसे सप्लाई करते हैं। शहर के भीतर खुलेआम ट्रैक्टर से रेत की सप्लाई की जा रही है, लेकिन कोई भी जिम्मेदार एजेंसी कार्रवाई नहीं करती।
पांच साल में 800 की रेत 3500 पहुंची
रेत के दाम बेतहाशा बढ़ते ही जा रहे हैं। पहले तो रेत घाट के ठेकेदारों ने सिंडिकेट बनाकर इसके दाम बढ़ाए। रेत घाट का ठेका होने के पहले जहां रेत 800 से 900 रुपए ट्रैक्टर थी। वहीं, ठेका शुरू होने के साथ ही दोगुनी हो गई। फिर रेत के दाम और बढ़ा दिए गए। हर बार किसी न किसी बहाने रेत के दाम बढ़ाए गए। जून से तो रेत के दाम हर पंद्रह दिन में बढ़े और अब ये बढ़कर 3500 रुपए ट्रैक्टर हो चुका है।