बिलासपुर: छत्तीसगढ़ की जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदी रखने ओर उनकी समस्याओं को लेकर बिलासपुर हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई की। RTI के तहत मिली जानकारी के आधार पर लगाई गई जनहित याचिका में कहा गया है कि प्रदेश की 5 केंद्रीय, 10 जिला जेल और 12 उप जेलों में तय क्षमता से ज्यादा कैदियों और बंदियों को रखा गया है।
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने राज्य शासन से लिखित में जवाब देकर यह बताने के लिए कहा है कि स्पेशल जेल और नए जेलों का काम कब तक पूरा हो जाएगा। इसके लिए चार हफ्ते का समय दिया गया है। अगली सुनवाई फरवरी में होगी। मामले की सुनवाई 10 साल से चल रही है।
बिलासपुर सेंट्रल जेल की क्षमता 948 है, लेकिन यहां 2557 कैदी हैं।
ज्यादा कैदी होने से जेलों में बदइंतजामी
बिलासपुर के शिवराज सिंह ने हाईकोर्ट में यह जनहित याचिका लगाई है। जनहित याचिका में कहा गया है कि प्रदेश के 5 केंद्रीय, 10 जिला जेल और 12 उप जेल में तय क्षमता से ज्यादा कैदियों और बंदियों को रखा गया है। इसके चलते जेलों में भारी अव्यवस्था है।
जेलों में साफ-सफाई और कैदियों के बेहतर स्वास्थ्य को लेकर जेल मुख्यालय को रिपोर्ट देने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य संचालनालय को सौंपी गई है। रिपोर्ट के आधार पर जेल मुख्यालय को जेलों में सुविधाएं मुहैया करानी है। इस नियम का भी पालन नहीं हो रहा है।
रायपुर और बिलासपुर में स्पेशल जेल का निर्माण
शासन ने हाईकोर्ट को बताया कि इस समस्या को दूर करने के लिए लेकर रायपुर और बिलासपुर में स्पेशल जेल का निर्माण किया जा रहा है। स्पेशल जेल बनने के बाद कैदियों को रखने की समस्या काफी हद तक दूर हो जाएगी।
वहीं, बेमेतरा में खुली जेल शुरू करने की योजना है। सरकार के वकील ने तब कहा था कि रायपुर जिले में विशेष जेल के लिए जमीन मिल गई है।
रायपुर सेंट्रल जेल की क्षमता 1130 कैदियों की है, लेकिन यहां 2540 कैदी हैं।
10 साल से चल रही सुनवाई फिर भी व्यवस्था नहीं सुधरी
इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में पिछले 10 साल से चल रही है। इस दौरान राज्य शासन ने माना था कि प्रदेश की जेलों में हालात संतोषजनक नहीं हैं। शासन ने यह भी बताया था कि अव्यवस्था दूर करने के लिए लगातार कोशिश की जा रही है। हालांकि अभी तक जेलों की स्थिति में सुधार नहीं हो सका है।
हाईकोर्ट ने कैदियों के लेटर को माना पत्र याचिका
इस बीच जेल के कैदियों ने हाईकोर्ट को पत्र लिखकर समस्याएं बताई थी। लेटर को हाईकोर्ट ने पत्र याचिका मानकर सुनवाई शुरू की। इस मामले में कोर्ट ने एडवोकेट रणवीर सिंह को न्याय मित्र नियुक्त किया था। उन्होंने जेलों की स्थिति का जायजा लेकर रिपोर्ट भी पेश की थी। तब से लेकर केस की लगातार सुनवाई चल रही है।
4 हफ्ते बाद DGP को देना होगा लिखित जवाब
हाईकोर्ट ने पहले शासन से जेलों में हो रहे सुधार और कार्य योजना पर एक शपथपत्र पेश करने को कहा था, लेकिन अब तक शासन ने कोई जवाब नहीं दिया है। बुधवार को इस केस की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने DGP को लिखित जवाब पेश करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है।
किस जेल की कितनी क्षमता, कितने कैदी
जेल | कैदी क्षमता | कैदियों की संख्या |
बिलासपुर सेंट्रल जेल | 948 | 2557 |
रायपुर सेंट्रल जेल | 1130 | 2540 |
अंबिकापुर सेंट्रल जेल | 873 | 1839 |
दुर्ग सेंट्रल जेल | 396 | 1514 |
जगदलपुर सेंट्रल जेल | 629 | 1504 |
महासमुंद जिला जेल | 70 | 298 |
सेंट्रल और जिला जेलों के साथ ही उप जेलों की हालत भी लगभग ऐसी ही है। क्षमता से ज्यादा कैदी होने के कारण ही समस्याएं हो रही हैं, जिसे दूर करने के लिए नए बैरकों का निर्माण किया गया है, लेकिन ये भी नाकाफी साबित हो रहे हैं।