बिलासपुर: दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के चीफ कम्युनिकेशन इंजीनियर (CCE) का रिटायरमेंट के 7 दिन पहले बिलासपुर से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया गया। रेलवे बोर्ड ने इसे प्रमोशन के बाद पोस्टिंग ऑर्डर बताया है। लेकिन, रिटायरमेंट से कुछ दिन पहले जारी आदेश को चीफ कम्युनिकेशन इंजीनियर ने प्रताड़ना बताया है। उनके मुताबिक पदोन्नति 6 महीने पहले हो जानी थी। जानबूझकर देरी की गई।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के जोनल मुख्यालय बिलासपुर में पदस्थ चीफ कम्युनिकेशन इंजीनियर कमलेश प्रसाद आर्य 30 नवंबर को रिटायर होंगे। इसके लिए वे तैयारी भी कर रहे थे। तभी अचानक एक सप्ताह पहले 22 नवंबर को रेलवे बोर्ड ने उनका प्रमोशनल ट्रांसफर आदेश जारी कर दिया। बोर्ड ने उन्हें दिल्ली उत्तर रेलवे में पोस्टेड किया है। खास बात यह है कि उन्हें 23 नवंबर को आनन-फानन में रिलीव भी कर दिया गया।उन्होंने रेल मंत्रालय और रेलवे बोर्ड को पत्र लिखकर शिकायत भी की है।
ट्रांसफर को रेलवे अधिकारी ने रेलवे बोर्ड के अफसर का पागलपन बताते हुए पत्र भी लिखा है।
इस आदेश से आर्य हैरान हैं। उन्होंने रेलवे बोर्ड के सचिव और रेल मंत्रलाय को पत्र लिखकर शिकायत की है। आदेश में आर्य को 28 नवंबर को उच्च प्रशासनिक ग्रेड पद पर उत्तर रेलवे में उपस्थिति देनी है, जबकि तीन दिन बाद वह सेवानिवृत्त हो जाएंगे।
ट्रांसफर ऑर्डर नहीं, मानसिक प्रताड़ना- आर्य
रेलवे अधिकारी कमलेश प्रसाद आर्य ने कहा कि अपना पूरा जीवन रेलवे संगठन की सेवा में गुजार दिया। उसे रिटायरमेंट के एक सप्ताह पहले स्थानांतरित कर दिया ताकि, उसकी सेवानिवृत्ति से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़े। ऐसे में उन्हें सेवा के अंतिम दिनों में मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है।
आदेश को लेकर सीसीई कमलेश प्रसाद आर्य के मुताबिक इसे प्रमोशनल तबादला कहा जा रहा है। लेकिन, इससे उन्हें किसी तरह का आर्थिक लाभ नहीं होगा। एक तरह से उन्हें परेशान किया जा रहा है। जिस पद पर उन्हें प्रमोशन दिया गया है यह पद दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में पहले से है।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे का महाप्रबंधक कार्यालय।
अगर चाहते तो सेवानिवृत्त से पहले यहीं पोस्टिंग दी जा सकती थी। रेल अधिकारी आर्य ने कहा कि मैं चाहता तो इस ट्रांसफर आदेश के खिलाफ कोर्ट भी जा सकता था। आवेदन देकर रोक भी सकता था। लेकिन, मैंने हमेशा ईमानदारी से काम किया है और रेलवे बोर्ड के अधिकारियों की करतूतों को बेनकाब किया है। यही वजह है कि मैंने दिल्ली में जॉइनिंग देने की तैयारी कर ली है।
रेलवे के पैसे की बर्बादी- कमलेश प्रसाद
आर्य ने आदेश को गलत ठहरने के साथ ही इसे सरकारी पैसे की बर्बादी भी बताया है। उन्हें ट्रांसफर मनी के रूप में तीन लाख रुपये का भुगतान किया जाएगा। रेलवे बोर्ड ने इस बारे में नहीं सोचा। पत्र में उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया है कि उनकी पदोन्नति छह महीने पहले हो जानी थी। इसमें जानबूझकर देरी की गई। पत्र में उन्होंने यह तक लिखा है कि मैंने संबंधित रेलवे बोर्ड के अधिकारियों को बेनकाब करना अपना कर्तव्य समझा, जैसा कि मैंने हमेशा किया है।