Tuesday, April 30, 2024
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CG: विश्व आर्द्रभूमि दिवस 2023: देर होने से पहले आर्द्रभूमि को बचाने के बारे में सोचना शुरू करें…

  • पारिस्थितिकी तंत्र की बेहतरी और जलवायु परिवर्तन की समस्याओं से बचाव के लिए आर्द्रभूमि का संरक्षण जरूरी
  • वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने ग्रीन क्लब और कलिंगा विश्वविद्यालय के सहयोग से जन-जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

रायपुर: पारिस्थितिकी तंत्र की बेहतरी और जलवायु परिवर्तन की समस्याओं से बचाव के लिए आर्द्रभूमि (वेटलैण्ड) के संरक्षण और लोगों में इसके प्रति जागरूकता की महती आवश्यकता है। इसे देखते हुए 02 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस के अवसर पर वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के महासमुंद वन प्रभाग ने ग्रीन क्लब और कलिंगा विश्वविद्यालय, नया रायपुर के सहयोग से वन चेतना केन्द्र, कोडर बांध, पटवा, महासमुंद में जन-जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विश्व विद्यालय और स्कूली छात्रों ने सफाई अभियान चलाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश लोगों को दिया। उन्होंने लगभग 285 किलोग्राम कचरा एकत्र कर उचित निपटान के लिए नगर पालिका में जमा किया।

जलवायु परिवर्तन
जलवायु परिवर्तन

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उल्लेखनीय है कि आर्द्रभूमि के संरक्षण की आवश्यकता के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए हर साल 02 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस मनाया जाता है। आर्द्रभूमि में झीलों, दलदलों, मैंग्रोव, नमक पैन, ज्वारीय फ्लैट और जलाशयों जैसे प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों स्थल शामिल हैं। इस वर्ष के विश्व आर्द्रभूमि दिवस का विषय ’आर्द्रभूमि बहाली’ है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आर्द्रभूमि ठीक से काम कर सके और पर्यावरणीय स्थिरता को बनाए रखा जा सके। वेटलैण्ड (आर्द्रभूमि) को पारिस्थितिकीय तथा स्वस्थ्य पर्यावरण के लिए बहुत उपयुक्त माना जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देश पर वेटलैण्डों के विकास के लिए चरणबद्ध तरीके से कार्ययोजना बनाई जा रही है। छत्तीसगढ़ में कुल 35 हजार 534 वेटलैण्ड हैं। वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर के कुशल मार्गदर्शन में इन वेटलैण्डों में आने वाले प्रवासी, स्थानीय पक्षियों के रहवास विकास को देखते हुए छत्तीसगढ़ के  27 वेटलैण्ड में सर्वे कराया जा रहा है।

जलवायु परिवर्तन

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कलेक्टर श्री नीलेशकुमार महादेव क्षीरसागर और विशिष्ट अतिथि कलिंग विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आर. श्रीधर ने छात्रों को स्वस्थ भविष्य के लिए जल निकायों के महत्व के बारे में बताया और उन्हें संरक्षण के लिए प्रेरित किया। श्री नीलेशकुमार ने समाज की भलाई के लिए इस तरह की पहल करने के लिए श्री पंकज राजपूत, प्रभागीय वन अधिकारी, महासमुंद के प्रयासों की सराहना की। कार्यक्रम में भोपाल, मध्य प्रदेश के गिद्ध विशेषज्ञ श्री दिलशेर खान ने छात्रों के मध्य खेल के माध्यम से अपनी बातें रखीं। इसके बाद स्थानीय लोगों के साथ संवाद सत्र की आयोजित किया गया और छात्रों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। इस अवसर पर नवा रायपुर के कलिंग विश्वविद्यालय, महासमुंद के श्याम विद्या मंदिर, श्याम बालाजी कॉलेज, मां गायत्री उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, ज्ञानंजली पब्लिक स्कूल और एकलव्य रेजीडेंसी स्कूल, भोरिंग के विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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