Thursday, December 26, 2024
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              Chhattisgarh : ड्यूटी पर लौटेंगे सीनियर IPS जीपी सिंह, राजद्रोह-भ्रष्टाचार मामले में घिरने के बाद कर दिए गए थे रिटायर, CAT ने दिए बहाली के निर्देश

              रायपुर: छत्तीसगढ़ पुलिस के सीनियर अधिकारी IPS जीपी सिंह को CAT (केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण) से बड़ी राहत मिल गई है। CAT ने चार सप्ताह में जीपी सिंह से जुड़े सभी मामलों को निराकृत कर बहाल किए जाने का आदेश दिया है। जुलाई 2023 में राज्य सरकार की अनुशंसा पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी।

              जीपी सिंह पर 2022 में छत्तीसगढ़ सरकार ने राजद्रोह का केस दर्ज किया था। इस मामले में उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। हालांकि बाद में हाईकोर्ट से जमानत ले ली थी। सिंह को लेकर एक अफवाह ये भी थी कि उन्हें बर्खास्त किया गया है, लेकिन ऐसा नहीं था।

              सरकार के खिलाफ साजिश के आरोप लगे थे।

              सरकार के खिलाफ साजिश के आरोप लगे थे।

              ACB ने भ्रष्टाचार, सरकार ने राजद्रोह का केस कराया था दर्ज

              ACB ने जुलाई 2021 को सिंह के पुलिस लाइन स्थित सरकारी बंगले के अलावा राजनांदगांव और ओडिशा के 15 अन्य स्‍थानों पर छापा मारा था। इसमें 10 करोड़ की अघोषित संपत्ति के साथ कई संवेदनशील दस्‍तावेज मिले थे। इसके बाद ACB ने जीपी सिंह के खिलाफ FIR दर्ज की थी।

              वहीं दूसरी ओर सरकार ने 5 जुलाई को उन्हें सस्पेंड कर दिया और 8 जुलाई की रात को उनके खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज कराया था। आरोप था कि जीपी सिंह सरकार गिराने की साजिश रच रहे थे। 9 जुलाई 2021 को जीपी सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर CBI जांच की मांग की थी।

              मामले की जांच के बाद 11 जनवरी 2022 को जीपी सिंह को नोएडा से गिरफ्तार किया गया, जिसके बाद उन्हें मई 2022 में जमानत मिली गई। सर्विस रिव्यू कमेटी की सिफारिश पर 21 जुलाई 2023 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने IPS जीपी सिंह को भारत सरकार ने कंपलसरी रिटायर कर दिया था। तब जीपी सिंह की सेवा के 8 साल बचे थे।

              किस तरह के आरोप हैं जीपी पर
              जीपी सिंह पर राजद्रोह का मामला चल रहा है। फिलहाल वे जमानत पर हैं। जब जुलाई 2021 में GP सिंह के सरकारी आवास और अन्य ठिकानों पर छापा पड़ा तो ये बात सामने आई कि वो कुछ प्लानिंग कर रहे थे। इसे ही आधार बनाकर उन पर राजद्रोह का केस किया गया था। इसमें आरोप लगाया गया है कि सस्पेंड किए गए ADG सिंह सरकार के खिलाफ साजिश रच रहे थे। विधायकों और अफसरों के खिलाफ भी डायरी में बातें मिली थीं।

              5 पेज का डॉक्यूमेंट मिला
              ACB ने अपनी जांच में जो कागज हासिल किए थे, उसके बाद दावा किया गया है कि जानबूझकर सरकार के खिलाफ बातें लिखी गईं। इससे लोगों के मन में सरकार के प्रति नफरत पैदा हो और असंतोष का माहौल बने। अकेले जीपी सिंह के घर पर ही नहीं, बल्कि इनके दोस्त SBI के मैनेजर मणि भूषण के घर की तलाशी लेने पर भी 5 पेज का डॉक्यूमेंट मिला था। जिसमें अंग्रेजी में विधायकों और छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग के अलावा कुछ IAS अफसरों के खिलाफ भी बातें लिखी मिली थीं।

              ब्लैकमेल कर पैसे वसूले
              जीपी सिंह उस वक्त छत्तीसगढ़ पुलिस में पुलिस एकेडमी का जिम्मा संभाल रहे थे। उससे पहले वो खुद ACB के चीफ रह चुके थे। ACB के अफसरों ने बताया था कि जीपी सिंह के खिलाफ अवैध वसूली, ब्लैकमेलिंग के जरिए करोड़ों की प्रॉपर्टी बनाई गई, इसकी लगातार शिकायतें मिल रही थीं। इसके बाद ACB ने जांच शुरू की। खबर ये भी थी कि जब जीपी सिंह ACB प्रमुख थे, तब भ्रष्ट अफसरों को कार्रवाई का डर दिखाकर उन्हें ब्लैकमेल किया और रुपए वसूले थे।

              जब सरकार ने जीपी से कहा था-आपसे ये अपेक्षा नहीं थी
              IPS जीपी सिंह पर राज्य सरकार ने राजद्रोह, आय से अधिक संपत्ति का केस किया था। 1 जुलाई 2021 की सुबह 6 बजे ACB-EOW की टीमों ने रायपुर, राजनांदगांव और ओडिशा में एक साथ छापा मारा था। रायपुर में एक युवक से मारपीट, भिलाई में सरेंडर करने वाले नक्सल कमांडर से रुपयों का लेन-देन, रायपुर में एक केस में आरोपी की मदद का इल्जाम भी जीपी सिंह पर लगा था। इन पुराने केस की फिर से जांच की जा रही थी। इन तमाम मामलों के बीच 5 जुलाई को राज्य सरकार ने ADG जीपी सिंह को एक आदेश पत्र में यह लिखते हुए निलंबित कर दिया कि एक अफसर से ऐसी अपेक्षा नहीं थी।

              जीपी सिंह ने क्या कहा था
              जब जीपी सिंह को कोर्ट में पेश किया गया था तब उन्होंने अपने ऊपर हो रही कार्रवाई पर चुप्पी तोड़ी थी और कहा था- ये पॉलिटिकल विक्टमाइजेशन का केस है, मैं शुरू से कह रहा हूं। नागरिक आपूर्ति निगम की जांच कर रहा था, तब गवाहों को हॉस्टाइल करने कहा गया, इस मामले में रमन सिंह और वीणा सिंह को फंसाने कहा गया।

              जांच में सहयोग न करने के सवाल पर जीपी सिंह ने कहा था मैंने खुद कहा है, रिमांड जितनी चाहिए ले लो, और 15 दिन चाहते हैं तो ले लो। मुझपर दर्ज FIR गलत है, जो संपत्ति मेरे नाम बताई जा रही है वो मेरी नहीं है,उन्होंने तब कहा था कि ये पूरा केस फैब्रीकेटेड (रचा हुआ) है।

              जीपी सिंह के मामले में कब क्या-क्या हुआ

              • 1 जुलाई 2021 की सुबह 6 बजे ACB-EOW की टीमों ने रायपुर, राजनांदगांव और ओडिशा में एक साथ छापा मारा था।
              • जीपी सिंह पर FIR दर्ज की गई। दूसरे दिन शुक्रवार को दिन भर की जांच के बाद 5 करोड़ की चल-अचल संपत्ति का खुलासा हुआ। 10 करोड़ की संपत्ति मिलने और इसके बढ़ने की आधिकारिक जानकारी दी गई।
              • रायपुर में एक युवक से मारपीट, भिलाई में सरेंडर करने वाले नक्सल कमांडर से रुपयों का लेन-देन, रायपुर में एक केस में आरोपी की मदद का इल्जाम भी जीपी सिंह पर लगा। इन पुराने केस की फिर से जांच की जा रही है।
              • इन तमाम मामलों के बीच 5 जुलाई को राज्य सरकार ने ADG जीपी सिंह को एक आदेश पत्र में यह लिखते हुए निलंबित कर दिया कि एक अफसर से ऐसी अपेक्षा नहीं थी।
              • जुलाई के महीने से ही जीपी की लीगल टीम पुलिसिया कार्रवाई को रोकने की दलीलें हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में पेश कर रहे थे। मगर राहत नहीं मिली थी।
              • जनवरी 2022 में उन्हें अब गुरुग्राम से पकड़कर रायपुर पुलिस छत्तीसगढ़ लेकर आई।
              • जीपी सिंह खुद ACB के चीफ रह चुके हैं, इस दौरान उन पर कई लोगों को धमकाने और वसूली करने के आरोप लगे।
              • जीपी के बंगले के छापे में एक डायरी भी मिली, जिसमें कुछ नेताओं और अफसरों के खिलाफ बातें लिखीं थीं, इस मामले में उन पर राजद्रोह का केस भी दर्ज है।
              • 120 दिन रायपुर सेंट्रल जेल में रहे। बाहर आते ही पत्नी को गले लगाया,फौरन गाड़ी में बैठकर चले गए थे।
              • कोर्ट ने कहा था कि जीपी सिंह को रायपुर में रहने की अनुमति नहीं होगी। सिंह मीडिया से कोई बात नहीं करेंगे, केस के सिलसिले में, कोई सार्वजनिक बयान नहीं देंगे।

              जानिए क्या है कैट
              केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) की स्थापना 1985 में प्रशासनिक न्यायाधिकरण अधिनियम के माध्यम से की गई थी। कैट भारत में सार्वजनिक सेवा में कर्मियों की भर्ती और सेवा शर्तों से जुड़े मामलों के निर्णय या सुनवाई के लिए जिम्मेदार है।




                    Muritram Kashyap
                    Muritram Kashyap
                    (Bureau Chief, Korba)
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