Monday, September 15, 2025

आत्महत्या पर शक… दबी जुबान में यही कह रहा है पूरा गांव; इकलौता बचा भाई, एक्सपर्ट कह रहे कि ये हत्या है…लेकिन पुलिस इस एंगल से जांच नहीं कर रही

जशपुर: कमोबेश पूरा गांव दबी जुबान में यही कह रहा है कि बगीचा तहसील से लगे गांव डूमरझार में पहाड़ी कोरवा परिवार आत्महत्या कर ही नहीं सकता। परिवार में बच गए एकमात्र सदस्य छोटे भाई देवकुमार थोड़ा खुलकर कहते हैं कि ये हत्या है। कुछ लोगों पर शक भी है, लेकिन जब देखा नहीं तो कैसे नाम ले दूं। पर ये पुलिस प्रशासन और राजनीति करने वालों को सुनाई नहीं दे रहा।

इधर परिस्थितियों पर गौर करें तो कुछ बातें और स्पष्ट हो जाती है। जिस पेड़ की डाल पर रस्सी का फंदा डला था वह राजूराम की हाइट (5.7 फीट) से महज चार अंगुल ऊपर है। व्यवहारिक रूप से फांसी लगाना मुश्किल है। जब डेडबॉडी उतारी गई तो महिला के पैर घुटने तक जमीन पर पड़े थे।

खुद राजू (मृतक) का पैर जमीन को छू रहा था। आंखें बंद थी। जीभ भी नहीं निकली थी। मल-मूत्र निकला था या नहीं इस पर तो उतारे जाने समय मौजूद गांव के लोगों ने बताया कि ऐसा कुछ नोटिस नहीं किया। इस मामले में हमने फॉरेंसिक एक्सपर्ट कुलदीप कुजूर से बात की। उन्होंने बताया- हत्या के एंगल से जांच नहीं कर रहे।

कंटेंट सहयोग- विकास पांडेय

मे रा भाई मुझसे कुछ नहीं छिपाता था। मौत से पहले वह रात को 12 बजे आया था। उसने बताया कि महुआ बीनते समय बैजनाथ और जगन नाम के दो लोगों से विवाद हुआ था। अब वह कभी महुआ बीनने नहीं जाएगा। उसने एक दीवार घड़ी दी। बच्चों और पत्नी से वह बहुत प्यार करता था। घर में इस वक्त तो किसी भी तरह की कमी नहीं थी। भाई ससुराल से लौटा था। सास को साड़ी दी थी। जिस समय वह घर के लिए निकला, तब वह सामान्य था। न गांव वालों से कोई विवाद था, और न ही परेशान करने लायक कोई अन्य बात। तो आप ही बताइए कि ऐसे में कोई आदमी फांसी क्यों लगाएगा।

फॉरेंसिक एक्सपर्ट साफ कह रहे कि हत्या के एंगल से जांच हो

1. पैर हवा में नहीं थे: अगर कोई व्यक्ति स्वयं फांसी लगाए तो अधिकांश केस में पैर जमीन से ऊपर होते हैं। इस केस में सिर्फ बच्चों के पैर हवा में थे। पत्नी तो घुटनों के बल जमीन पर बैठी थी। पति का पैर भी जमीन पर टिका हुआ था।
2. मुट्‌ठी बंधी हुई नहीं थी: फांसी के दौरान व्यक्ति कोई चीज पकड़ न ले, इसलिए हाथ की मुटि्ठयां बांध लेता है। इस केस में पत्नी के हाथ की मुटि्ठयां बिल्कुल खुली हुईं थी।
3. जीभ-आंख सामान्य: फांसी लगाते समय कई बार जीभ बाहर निकल जाती है। आंखें बाहर आ जाती है। लेकिन चारों शवों में से किसी में भी ये देखने को नहीं मिला।
4. क्राइम सीन: जिस डाली से फांसी की रस्सी लटकी थी, वह राजू की हाइट से महज तीन इंच ज्यादा थी। वहां से फांसी लगाकर कूदना असंभव जैसा है। भास्कर ने उस स्थान का मुआयना किया है। और नापकर भी देखा है। इसके अलावा एक डाली ठीक हाथ के सामने थी। उसे तड़पते समय आसानी से पकड़ा जा सकता था।

*जैसा कि फॉरेंसिक साइंस फोरम ऑफ एशिया के मेंबर नीरज ओसवाल ने बताया

पिता की हत्या हुई थी, आरोपी हाल ही में छूटे हैं..

1. राजू के पिता बुधु की 2012 में हत्या हुई थी। उसके आरोप में जेल जाने वाले कोंदा और बिफना कुछ ही दिन पहले जेल से छूटकर आए हैं। पुरानी रंजिश थी। ऐसे में हत्या की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। हालांकि पुलिस ने जब इनसे पूछताछ की तो बातचीत न होने और मौत के कारणों के बारे में कुछ भी जानने से मना कर दिया। गांव वाले भी पुलिस को कुछ बताने से कतरा रहे हैं। 2. महुआ बीनते समय जिन दो लोगों से झगड़ा हुआ था, उन्हें राजू ने मारा भी था। उसके बाद राजू व उसकी पत्नी से वाद विवाद भी हुआ था। राजू ने मरने से पहले भाई और कुछ गांववालों को बताया था कि अब वह कभी महुआ बीनने नहीं जाएगा। ये इस बात की ओर इशारा करता है कि राजू बैजनाथ और जगन के सामने नहीं आना चाहता था। उसे किसी अनहोनी का डर था।

ये है मामला

जशपुर के सामरबार इलाके में पहाड़ी कोरवा राजूराम, पत्नी भिनसारी(22) और दो मासूम बच्चों देवंती (3) व देवंत (1) का शव 2 अप्रैल को सुबह पेड़ पर लटका मिला था। इसे पुलिस ने खुदकुशी करार दे दिया था।

पेट में आधा पचा खाना

जशपुर प्रशासन के अनुसार राजूराम की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसके पेट में आधा पचा खाद्य पदार्थ मिला है। प्रशासन के अनुसार मृतक राजूराम नियमित रूप से पीडीएस दुकान से राशन ले रहा था।

…लेकिन जिम्मेदार चुप हैं

“जांच चल रही है। मैं ज्यादा कुछ नहीं बता सकता। आपको जो जानकारी चाहिए, मैडम उधर बैठती है। उनसे पूछ लीजिए।” – एमआर साहनी, एसआई व जांच अधिकारी, बगीचा थाना “मैं अपने उच्च अधिकारियों के निर्देश के बिना इस मामले में कुछ नहीं बता सकती।”- नीता कुर्रे, विवेचक, बगीचा थाना “मामला हैंगिंग का है। बस आप इतना समझ लीजिए। लेकिन इससे ज्यादा मैं आपको कुछ नहीं बता सकता। जब रिपोर्ट बनेगी तो सबको पता चल ही जाएगा।” – डॉ. सुनील लकड़ा, बीएमओ और पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर

सीधी बात – डी रविशंकर, डीआईजी, जशपुर

मामला सुसाइड ही लग रहा.. अभी हम किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं

हत्या है या आत्महत्या?
अभी तक तो आत्महत्या ही लग रहा है। मर्ग कायम कर जांच कर रहे हैं।
पैर जमीन पर, जीभ बाहर नहीं, और भी बहुत कुछ, तब अब तक की जांच में क्या?
शरीर पर किसी तरह के चोट के निशान नहीं हैं। ये भी एक तथ्य है। अगर जांच में कुछ और निकलेगा तो देखेंगे।
पीएम औऱ फॉरेंसिक रिपोर्ट क्या कह रही?
पीएम रिपोर्ट मिल गई है। फॉरेंसिक रिपोर्ट नहीं आई है। चालान पेश होने के बाद दे देंगे।



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