कोरबा: जिले के देवी मंदिरों में आज चैत्र नवरात्र की महानवमी में भक्तों की भारी भीड़ है। आज यहां मां सिद्धिदात्री की विशेष पूजा-अर्चना की गई। वहीं अष्टमी के दिन सर्वमंगला मंदिर में श्रद्धालुओं ने 11 किलोमीटर की पदयात्रा कर माता को 301 मीटर लंबी चुनरी चढ़ाई।
फूल मालाओं से सुसज्जित वाहन में मां दुर्गा की तस्वीर स्थापित की गई थी। श्रद्धालुओं ने हाथों से चुनरी को पकड़कर 11 किलोमीटर की पदयात्रा शुरू की। जैसे-जैसे यात्रा आगे बढ़ती गई, वैसे-वैसे चुनरी को पकड़ने श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती चली गई।
सर्वमंगला मंदिर में श्रद्धालुओं ने माता को 301 मीटर लंबी चुनरी चढ़ाई।
भक्तों ने लगाए माता के जयकारे
मंगलवार देर शाम यात्रा सीएसईबी चौक और टीपीनगर होते हुए सर्वमंगला मंदिर की ओर बढ़ी। इस दौरान भक्ति गीत बज रहे थे। भक्त माता रानी के जयकारे लगा रहे थे। जब यात्रा शहर के मुख्य मार्ग से होकर गुजर रही थी, तब इसे देखने के लिए सड़क के दोनों ओर भारी संख्या में लोग खड़े नजर आए। देर रात यात्रा सर्वमंगला मंदिर पहुंची। भक्तों ने मां सर्वमंगला को चुनरी चढ़ाई और पूजा-अर्चना कर सुख-शांति और समृद्धि की कामना की।
जसगीतों पर थिरके श्रद्धालु
इस अवसर पर मंदिर परिसर मां आदिशक्ति के जयकारे से गुंजायमान हो गया। यात्रा में बड़ी संख्या में बच्चे, युवा और महिलाएं भी शामिल हुईं। यहां जसगीतों की धुन पर श्रद्धालु थिरकते नजर आए। कोरबा में नवरात्र के मौके पर मां सर्वमंगला को चुनरी चढ़ाने की परंपरा रही है। मंदिर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं ने भी पूजा की थाली में चुनरी और श्रृंगार का सामान रखकर माता रानी को अर्पित किया। हर बार की तरह इस बार भी कोरबा के मां सर्वमंगला मंदिर परिसर में हजारों की तादाद में मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित किए गए थे। मंदिर की खास सजावट भी की गई।
मां सर्वमंगला मंदिर में सुरक्षा-व्यवस्था रही कड़ी।
रानी धनराज कुंवर के पूर्वजों ने कराया था मंदिर का निर्माण
सर्वमंगला मंदिर का पुरातात्विक महत्व भी काफी है। लोग बताते हैं कि ब्रिटिश शासन के दौरान कोरबा पर शासन करने वाली रानी धनराज कुंवर के पूर्वजों ने इस मंदिर को बनवाया था। ये मंदिर हसदेव नदी के तट पर स्थित है। यहीं से एक सुरंग नदी के उस पार निकलती है। आपात परिस्थितियों में रानी इस सुरंग के जरिए नदी पार करती थी।
(Bureau Chief, Korba)