Thursday, May 8, 2025
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 21 जजों की संपत्ति का ब्यौरा वेबसाइट पर अपलोड किया, ज्युडिशियरी में ट्रांसपेरेंसी और जनता का भरोसा बनाए रखने उठाया कदम

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अपने जजों की संपत्ति का ब्यौरा अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। सोमवार को जारी एक बयान में कहा गया कि ज्युडिशियरी में ट्रांसपेरेंसी और जनता का भरोसा बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया गया है। हालांकि वेबसाइट पर 33 में से केवल 21 जजों की जानकारी ही देखी जा सकती है। बाकी जजों ने ब्योरा केवल सुप्रीम कोर्ट को सौंपा है।

सुप्रीम कोर्ट ने एक रिलीज में कहा- सुप्रीम कोर्ट की फुल कोर्ट ने 1 अप्रैल 2025 को निर्णय लिया है कि कोर्ट के जजों की संपत्ति का ब्योरा वेबसाइट पर अपलोड करके सार्वजनिक किया जाएगा। कोर्ट को पहले से मिली जजों की डीटेल्स अपलोड की जा रही है। बाकी जजों की जानकारी मिलने पर अपलोड की जाएगी।

यह फैसला दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर से कैश मिलने के विवाद के बाद लिया गया है। जस्टिस वर्मा के सरकारी बंगले में 14 मार्च को आग लगी थी। फायर सर्विस टीम को वहां अधजले नोट मिले थे।

सुप्रीम कोर्ट ने और क्या-क्या अपलोड किया

  • सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में नियुक्तियों की पूरी प्रक्रिया को भी अपनी वेबसाइट पर डाल दिया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को सौंपी गई भूमिका, राज्य सरकारों और भारत संघ से मिलने वाला इनपुट और कॉलेजियम के विचार शामिल हैं। यह फैसला इसलिए लिया गया ताकि जनता को जानकारी और जागरूकता मिल सके।
  • 9 नवंबर 2022 से 5 मई 2025 की तक हाईकोर्ट के जजों के रूप में नियुक्तियों के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के प्रस्तावों को भी अपलोड किया है। इसमें जज का नाम, हाईकोर्ट, सोर्स- सर्विस से या बार से, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश की तारीख, नोटिफिकेशन की तारीख, नियुक्ति की तारीख, स्पेशल कैटेगरी (SC/ST/OBC/अल्पसंख्यक/महिला) शामिल है।
  • इस जानकारी में यह भी बताया गया है कि क्या उम्मीदवार किसी मौजूदा या रिटायर्ड हाईकोर्ट/सुप्रीम कोर्ट के जज से जुड़ा तो नहीं है। इसके मुताबिक कॉलेजियम ने 9 नवंबर 2022 से 5 मई 2025 के बीच 303 नामों पर विचार किया और 170 की नियुक्त की सिफारिश की।
  • इन 170 में से SC से 7, ST से 5, OBC से 21, अत्यंत पिछड़ा वर्ग से 7 हैं। इनमें 28 महिलाएं और 23 जज अल्पसंख्यक हैं। कॉलेजियम ने जो नाम हाईकोर्ट जज के लिए भेजे, उनमें 12 ऐसे हैं जो किसी पूर्व या वर्तमान जज के परिजन हैं।
  • इनमें से 11 की नियुक्ति हो चुकी है। इनमें 3 राजस्थान, 2-2 इलाहाबाद और छत्तीसगढ़ और 1-1 बॉम्बे, पटना, गुजरात और दिल्ली हाईकोर्ट में हैं। इन 11 जजों में 6 के पिता, 3 के बहनोई/साले, 1-1 के भाई या ससुर पूर्व या वर्तमान जज हैं।

सुप्रीम कोर्ट के जजों की संपत्ति की घोषणा से जुड़े बड़े घटनाक्रम

  • 1997 का प्रस्ताव: 1997 में, तत्कालीन CJI जे एस वर्मा ने एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें जजों से अपेक्षा की गई कि वे अपनी संपत्ति की घोषणा चीफ जस्टिस को करें। हालांकि, यह घोषणा सार्वजनिक नहीं की जानी थी। ​
  • 2009 का न्यायाधीश संपत्ति विधेयक: 2009 में, “न्यायाधीश संपत्ति और देनदारियों की घोषणा विधेयक” संसद में प्रस्तुत किया गया। इसमें सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों को अपनी संपत्ति की घोषणा करने कहा गया था। हालांकि, इसमें यह प्रावधान था कि घोषणाएं सार्वजनिक नहीं की जाएंगी। इस प्रावधान के कारण विधेयक को विरोध का सामना करना पड़ा और इसे स्थगित कर दिया गया।
  • 2009 में संपत्ति की घोषणाएं: 2009 में सूचना के अधिकार (RTI) के तहत दबाव और पारदर्शिता की बढ़ती मांग के कारण, कुछ जजों ने अपनी मर्जी से संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक की।

क्या था जस्टिस वर्मा कैश केस से जुड़ा मामला

14 मार्च यानी होली की रात करीब साढ़े 11 बजे जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी बंगले यानी 30, तुगलक क्रेसेंट कोठी में आग लगी। जस्टिस वर्मा घर पर नहीं थे तो उनकी बेटी और मां ने फोन कर फायर ब्रिगेड और पुलिस को बुलाया।

फायर ब्रिगेड ने मौके पर पहुंचकर आग बुझाने का काम किया और पुलिस भी आई दमकलकर्मी घर के बाहर की ओर स्टोर रूम में गए, तो जलता हुआ नोटों का ढेर मिला। फोटो वीडियो सामने आने के बाद इस पर विवाद बढ़ता गया।

23 मार्च को ही जस्टिस वर्मा से दिल्ली हाईकोर्ट ने कार्यभार वापस ले लिया था। बाद में उन्हें दिल्ली से इलाहाबाद ट्रांसफर कर दिया गया था। इधर, जांच कमेटी ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ जांच रिपोर्ट CJI संजीव खन्ना को सौंप दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई को प्रेस रिलीज के जरिए इसकी जानकारी दी। जिसमें कहा- 3 मई को जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई। 4 मई को ये रिपोर्ट CJI को दी गई है। अब इस मामले में आगे का फैसला CJI लेंगे।

जांच कमेटी में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं। CJI खन्ना के आदेश पर 21 मार्च को मामले की जांच के लिए 3 सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई थी।

24 मार्च को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस यशवंत वर्मा का दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर की सिफारिश की। राष्ट्रपति की मंजूरी और आदेश के बाद 28 मार्च को केंद्र सरकार ने ट्रांसफर की अधिसूचना जारी की। जस्टिस यशवंत वर्मा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में 5 अप्रैल 2025 को शपथ ली।

हालांकि, इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को निर्देश दिया गया कि जस्टिस वर्मा को कोई न्यायिक काम न सौंपा जाए।


Muritram Kashyap
Muritram Kashyap
(Bureau Chief, Korba)
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