Thursday, April 18, 2024
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BCC News 24: CG न्यूज़- करोड़ों रुपए के जमीन घोटाले की जांच में कोताही.. पटवारी को किया गिरफ्तार, पर तहसीलदार पर नहीं हुई कोई कार्रवाई, फोरेंसिक जांच में सामने आई गड़बड़ी

छत्तीसगढ़: बिलासपुर में करोड़ों रुपए की सरकारी जमीन की हेराफेरी के खेल में पुलिस की जांच पर अब कई तरह के सवाल उठने लगे हैं। इस केस की जांच में फोरेंसिक रिपोर्ट भी आ गई है, जिसके आधार पर पुलिस ने पटवारी को दोषी मानते हुए गिरफ्तार किया है। लेकिन, जिस तहसीलदार के कार्यकाल में जमीन के नामांतरण कर भू माफिया के साथ मिलीभगत की गई, उसके खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। हालांकि, SSP पारुल माथुर ने इस पूरे मामले में दस्तावेज के आधार पर केस में संलिप्त और दोषियों पर सख्ती से कार्रवाई की जाएगी।

जमीन घोटाले के इस केस में राजस्व विभाग के साथ ही भू-अभिलेख शाखा, रजिस्ट्री विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों ने दसतावेजों में गड़बड़ी की है। रिकार्ड में कांटछाट कर कूटरचना कर शासकीय जमीन को निजी बताकर रजिस्ट्री कराई है। जब इस अनियमतिता की शिकायत की गई और पुलिस ने जांच शुरू की, तभी से दोषियों को बचाने का खेल शुरू हो गया। शुरूआती जांच में पुलिस ने राजस्व विभाग के तत्कालीन तहसीलदार संदीप ठाकुर से शिकायत लेकर केस दर्ज किया है। इसके बाद इस केस में अलग-अलग आधा दर्जन FIR दर्ज कर पुलिस जांच कर रही है। हैरानी की बात यह है कि केस में जिस तहसीलदार के कार्यकाल में राजस्व रिकार्ड में काटछाट की गई। उनकी भूमिका की कोई जांच नहीं की गई।

रिक्शा चालक को भू-माफियाओं ने मोहरा बनाकर रचा षडंयंत्र।

रिक्शा चालक को भू-माफियाओं ने मोहरा बनाकर रचा षडंयंत्र।

रिक्शा चालक भोंदू दास को मोहरा बनाकर रचा षडयंत्र
तोरवा क्षेत्र के हेमूनगर में रहने वाले रिक्शा चालक भोंदूदास मानिकपुरी ने 2015-16 में बिलासपुर तहसीलदार के न्यायालय में लगरा स्थित अपनी जमीन के दस्तावेज में नाम सुधरवाने के लिए आवेदन किया था। भोंदूदास ने बताया कि उसने वासल बी. निवासी जूना बिलासपुर से लगरा में 11 एकड़ 20 डिसमिल जमीन को पंजीकृत विक्रय पत्र के माध्यम से खरीदा था। इसके बाद से जमीन उसके नाम पर दर्ज थी। बीते दिनों राजस्व दस्तावेज से उसका नाम विलोपित हो गया है। भू-माफियाओं ने राजस्व अफसरों के साथ ही भू-अभिलेख शाखा और फिर रजिस्ट्री विभाग से मिलीभगत कर रिकार्ड दुरुस्त कराने के बहाने सरकारी जमीन की रजिस्ट्री करा ली। इधर, तहसीलदार संदीप ठाकुर ने अपना बचात करते हुए पुलिस को बताया कि दस्तावेज में सुधार के लिए आवेदन मिलने और ईश्तहार प्रकाशन में कोई दावा-आपत्ति नहीं मिलने पर10 अक्टूबर 2016 को मामले में नामांतरण आदेश के लिए फाइल एसडीएम न्यायालय को भेज दिया।

पुलिस ने तत्कालीन पटवारी अजय जायसवाल को दोषी मानकर किया गिरफ्तार।

पुलिस ने तत्कालीन पटवारी अजय जायसवाल को दोषी मानकर किया गिरफ्तार।

फोरेसिंक जांच के लिए भेजे दस्तावेज, रिपोर्ट आने पर पटवारी को किया गिरफ्तार
चूंकि, इस केस में सरकारी ऑफिस के दस्तावेज और रिकार्ड में कूटरचना की गई है। पुलिस ने शुरूआती जांच में ही दस्तावेज खंगालकर पूरी गलती पकड़ ली, जिसमें यह पता चला कि पुराने राजस्व रिकार्ड में कूटरचना की गई है और शासकीय जमीन को निजी बताकर रजिस्ट्री कराई गई है। इसके बाद गड़बड़ियों की पुष्टि करने के लिए दस्तावेजों को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया, जिसमें तहसील कार्यालय के रिकार्ड में किए गए हेरफेर की रिपोर्ट आ गई है। इसी आधार पर पुलिस ने तत्कालीन पटवारी अशोक जायसवाल को एक सप्ताह पहले गिरफ्तार किया गया। लेकिन, इसके बाद दोषी RI, तहसीलदार या अन्य राजस्व अफसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
डिप्टी कलेक्टर बनने के बाद केस दर्ज कराने पर उठे सवाल
रिक्शा चालक भोंदूदास के नाम करोड़ों रुपए कीमती जमीन रजिस्ट्री होने का मामला मीडिया में आने के जिला प्रशासन और शासन में हड़कंप मच गया। पुलिस के आला अधिकारियों ने इस मामले की जांच के लिए टीम बनाई। जांच के दौरान पता चला कि लगरा और चिल्हाटी की आवेदित जमीन दस्तावेज में सरकारी है। जांच में यह भी पता चला कि भोंदूदास ने भू-माफिया और राजस्व अफसरों की मदद से फर्जी दस्तावेज के माध्यम से सरकारी जमीन को कब्जा करने कोशिश की है। इसके लिए उसने न्यायालय में फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत किया है। अब जांच में गड़बड़ी सामने आने के बाद भी पुलिस ने तत्कालीन तहसीलदार और वर्तमान डिप्टी कलेक्टर संदीप ठाकुर को बुलाकर केस दर्ज किया है। इसके बाद से ही इस केस में पुलिस की जांच पर सवालिया निशान उठ रहे हैं।

जमीन रजिस्ट्री कराने और बेचने वालों पर भी नहीं हुई कार्रवाई
शासकीय जमीन की हेराफेरी करने के इस पूरे मामले में खास बात यह है कि पुलिस ने न तो अब तक शासकीय जमीन को वापस लेने के लिए कोई पहल की है और न ही जमीन की रजिस्ट्री कराने वालों को दोषी माना है। जबकि, रिक्शा चालक भोंदू दास और भू-माफियों के साथ जमीन का काम करने वाले चार लोगों को आरोपी बनाकर गिरफ्तार किया है। जिन भू-माफियाओं ने परदे के पीछे भोंदू दास को मोहरा बनाकर खेल किया है और जमीन अपने रिश्तेदारों के नाम रजिस्ट्री करा ली है, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। बल्कि, पुलिस उन्हें पीड़ित मान रही है।

SSP बोलीं- जांच में जो भी होंगे दोषी, सभी पर की जाएगी कार्रवाई
इधर, SSP पारुल माथुर का कहना है कि जमीन घोटाले की इस केस की जांच चल रही है। जांच रिपोर्ट के आधार पर पटवारी को गिरफ्तार किया गया है। जैसे-जैसे दस्तावेजों की जांच रिपोर्ट आ रही है। वैसे कार्रवाई की जा रही है। पूरे प्रकरण में राजस्व विभाग, भू अभिलेख शाखा और रजिस्ट्री विभाग से संबंधित है। इसलिए जांच में देरी हो रही है। जांच में जो भी दोषी पाए जाएंगे, उन सभी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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