जालंधर/अमृतसर/लुधियाना: पंजाब अब आप का हो गया है। दिल्ली की सरहद के बाहर आप न सिर्फ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, बल्कि बहुमत के आंकड़े से भी बहुत आगे निकलती नजर आ रही है। आप के CM कैंडिडेट भगवंत मान ने भी 45 हजार वोटों से रिकॉर्ड जीत दर्ज की है। इधर, विधानसभा चुनाव में हार के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है।
जीत के बाद भगवंत मान ने पंजाब की जनता को संबोधित किया। वे कल पद की शपथ लेंगे। शपथ समारोह भी राजभवन की जगह शहीदे आजम भगत सिंह के पैतृक गांव खटकड़ कलां में होगा। इससे पहले CM की शपथ राजभवन में होती रही है। शपथ लेने से पहले मान शहीदी स्मारक पर माथा टेकने भी जाएंगे।
इधर, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह 13 हजार तो सुखबीर सिंह बादल 12 हजार वोट से चुनाव हार गए हैं। मौजूदा CM चन्नी और कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू को भी हार का मुंह देखना पड़ा है। दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस, अकाली दल और भाजपा समेत उसके सहयोगी मिलकर भी आप के लगभग चौथाई हिस्से तक ही पहुंच पा रहे हैं। वहीं, भाजपा दहाई का अंक छूने के लिए भी तरस गई है।
काउंटिंग अपडेट्स..
- आम आदमी पार्टी के CM कैंडिडेट भगवंत मान धूरी से रिकॉर्ड 45 हजार वोटों से जीत गए हैं। वे कल पद की शपथ लेंगे।
- CM चरणजीत चन्नी ने कल कैबिनेट मीटिंग बुलाई है, वे कल ही राज्यपाल को इस्तीफा सौंप सकते हैं।
- पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल लांबी से चुनाव हार गए हैं। 94 साल के बादल सबसे बुजुर्ग कैंडिडेट थे।
- मंत्री परगट सिंह जालंधर कैंट से चुनाव जीते। करीबी मुकाबले में उन्होंने आम आदमी पार्टी के कैंडिडेट को हराया।
- फतेहगढ़ साहिब से कांग्रेस के वर्किंग प्रधान कुलजीत नागरा हारे, आप के लखबीर सिंह राय जीते।
- डिप्टी CM सुखजिंदर रंधावा डेरा बाबा नानक से चुनाव जीत गए हैं।
- कोटकपूरा से आम आदमी पार्टी के कुलतार संधवां ने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की है।
- लुधियाना वेस्ट से मंत्री भारत भूषण आशु 7440 वोटों से हारे, उन्हें आप के गुरप्रीत गोगी ने हराया।
- खरड़ से पंजाबी गायिका अनमोल गगन मान जीतीं, वे आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ी थीं।
- जालंधर सेंट्रल से आप के रमन अरोड़ा ने कांग्रेस के राजिंदर बेरी को 163 मतों से हरा दिया है।
- कपूरथला सीट से कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस कैंडिडेट राणा गुरजीत सिंह चुनाव जीत गए हैं।
- CM चरणजीत सिंह चन्नी भदौड़ और चमकौर साहिब सीट से पीछे चल रहे हैं। उनके कई मंत्री भी पिछड़ते नजर आ रहे हैं।
- अमृतसर ईस्ट सीट से पंजाब कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू पिछड़कर तीसरे नंबर पर पहुंच गए हैं।
- गिद्दड़बाहा से ट्रांसपोर्ट मंत्री अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने अकाली कैंडिडेट हरदीप डिंपी ढिल्लो को कड़े मुकाबले में हराया।
केजरीवाल ने जीत पर बधाई दी
आम आदमी पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पार्टी के CM कैंडिडेट भगवंत मान के साथ फोटो ट्वीट की। इसमें उन्होंने AAP की जीत को इंकलाबी बताया है।
नेताओं के घरों पर हार-जीत का असर
चुनावी हार-जीत का अंदाजा नेताओं के घरों को देखकर भी लगाया जा सकता है। पंजाब जीतने वाले भगवंत मान के घर को फूलों से सजाया गया है। उनके घर सुबह से जलेबियां भी बन रही थीं। दूसरी तरफ मौजूदा CM चरणजीत चन्नी और अकाली लीडर सुखबीर सिंह बादल के घर सन्नाटा पसरा है। तस्वीरों में देखकर आप खुद समझ सकते हैं कि नेताजी के घर पर जीत की रौनक और हार की मायूसी कैसे रिफ्लेक्ट होती है।
एग्जिट पोल में भी आप की जीत बताई थी
एग्जिट पोल्स में आम आदमी पार्टी के सबसे बड़ी पार्टी बनने का अनुमान लगाया गया था। इसके मुताबिक अकाली दल-BSP गठबंधन दूसरे नंबर पर रह सकता है। तीसरे पर कांग्रेस तो वहीं भाजपा का दहाई के आंकड़े तक पहुंचना भी मुश्किल लग रहा है। अभी तक के रुझानों में यह सही साबित हो रहा है।
पंजाब की राजनीति से जुड़ी 6 दिलचस्प बातें
1. पंजाब ज्यादातर समय कांग्रेस का गढ़ रहा
2017 के विधानसभा चुनावों में, कांग्रेस पार्टी का वोट शेयर 66% था। ये कांग्रेस का दूसरा बड़ा वोट शेयर था। 1992 के चुनावों में कांग्रेस का वोट शेयर 74% था। राज्य के 22 मुख्यमंत्रियों में से 14 मुख्यमंत्री कांग्रेस पार्टी के रहे हैं।
2. दलित वोट की अहम भूमिका
भारत की अनुसूचित जाति (SC) की आबादी का पंजाब में अनुपात (31.9%) सबसे ज्यादा है। हालांकि, जाट सिख (जनसंख्या का 20%) यहां की राजनीति पर हावी है। चरणजीत सिंह चन्नी राज्य के पहले दलित मुख्यमंत्री हैं। ज्ञानी जैल सिंह पंजाब के अंतिम गैर-जाट सिख मुख्यमंत्री (1972-77) थे।
3. मालवा जीतने वाला पंजाब जीतता है
सतलुज नदी के साउथ बेल्ट से पंजाब विधानसभा में 69 सदस्य जाते हैं। आम तौर पर, जो भी इस क्षेत्र में जीतता है उसके पास सरकार बनाने का अच्छा मौका होता है। हालांकि, 2007 में उपवाद भी दिखा था। यहां कांग्रेस ने जीत हासिल की थी, लेकिन शिअद-भाजपा गठबंधन सत्ता में आया था।
4. भाजपा से पहले अकालियों ने कांग्रेस को धोखा दिया था
स्वतंत्र भारत में पंजाब राज्य में बनी पहली सरकार में, मुख्यमंत्री गोपी चंद भार्गव के नेतृत्व में कांग्रेस और अकालियों के बीच गठबंधन हुआ था। लेकिन, यह लंबे समय तक नहीं चला। सिखों की सुरक्षा की मांग से इनकार के बाद अप्रैल 1949 में सरकार गिर गई थी। इसके चलते राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। उस समय कैप्टन अमरिंदर सिंह शिअद से कांग्रेस में चले गए थे।
5. पंजाब ने भारत को एक PM और राष्ट्रपति दिया, पाक में भी ऐसा ही
पंजाब ने भारत को एक राष्ट्रपति दिया है – ज्ञानी जैल सिंह। जैल सिंह 1982 से 1987 तक राष्ट्रपति रहें। वह भारत के पहले और एकमात्र सिख राष्ट्रपति हैं। पंजाब ने भारत को एक प्रधान मंत्री भी दिया है – डॉ मनमोहन सिंह जो दो कार्यकाल, 2004-14 के लिए इस पद पर थे।
मुहम्मद जिया-उल-हक 1978 से 1988 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहें। जिया-उल-हक अविभाजित भारत में 1924 में पंजाब राज्य के जालंधर में पैदा हुए थे। पाकिस्तान के वर्तमान प्रधानमंत्री, इमरान खान के परिवार के मातृ पक्ष जालंधर से हैं। वे विभाजन के दौरान लाहौर चले गए थे।
6. 1966 के बाद कोई भी गैर-सिख CM नहीं बना
1966 में संसद ने पंजाब पुनर्गठन अधिनियम पारित किया था। इसके बाद, मॉडर्न स्टेट ऑफ पंजाब और नए राज्य हरियाणा के निर्माण का रास्ता खुला। तब से लेकर अब तक यहां हर मुख्यमंत्री सिख रहा है।
पंजाब के सियासी हालात ग्राफिक्स से समझिए
पंजाब में पिछले 5 चुनाव का वोटिंग ट्रेंड देखें तो कांग्रेस और अकाली दल ही सत्ता में काबिज रहे हैं। वहीं, इस बार वोटिंग में पिछली बार से 5% की कमी आई थी। पिछले चुनाव यानी 2017 में कांग्रेस ने 77 सीटों पर बंपर जीत हासिल कर सरकार बनाई थी।