Sunday, July 6, 2025

RAIPUR : ‘रेप के बाद हंसना भूल गई 6 साल की बेटी’, पिता बोले- बाहर जाने से भी डरती है; 19 दिन दर्द छिपाए रखी

पीड़ित के पिता।

RAIPUR: रायपुर में 29 मार्च को दर्द से तड़पती 6 साल की बच्ची को लेकर उसके माता-पिता अंबेडकर अस्पताल पहुंचे। डॉक्टरों ने जांच के बाद रेप की आशंका जताई। पता चला कि शिवरात्रि के दिन पड़ोसी ने उसके साथ गलत काम किया है।

मासूम इस दर्द को 19 दिनों तक अपने भीतर छिपाए रही। वह बार-बार पेट दर्द की शिकायत करती, लेकिन जब दर्द हद से ज्यादा बढ़ गया तब रेप का पता चला। पुलिस ने FIR दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।

पुलिस गिरफ्त में आरोपी।

पुलिस गिरफ्त में आरोपी।

अगले दिन खबर सुर्खियां बनी और फिर भुला दी गई। न तो कोई कैंडल मार्च निकला, न किसी संगठन ने आवाज उठाई। बेटियों को बचाने की बात करने वाले नेता भी सामने नहीं आए। उस बच्ची और उसके परिवार पर

क्या बीत रही है, पढ़िए पिता के शब्दों में……

मेरी बेटी अब हंसना भूल गई है, जिसके चहकने और शरारतों से घर और आस-पड़ोस में रौनक हुआ करती थी। बच्ची अब घर से कदम बाहर निकालने से भी डरने लगी है। अगर गलती से कभी भी चौखट के बाहर वह कदम रखती है, तो हम बढ़ी हुई सांसें लेकर उसकी ओर भागते हैं। साये की तरह उसके साथ रहते हैं।

ये कहते ही पिता का गला रुंध गया। वह कहते हैं कि, मेरी बच्ची के साथ जो हुआ उसका गुस्सा कितना है, मैं बता नहीं सकता, लेकिन इस गुस्से को ताकत बना रहा हूं ताकि कानूनी लड़ाई लड़ सकूं। आंखों में आने वाले आंसुओं को रोककर होंठों से मुस्कुराना कितना मुश्किल है, बता नहीं सकता।

बच्ची का ध्यान घटना से हटाने के लिए मां अगर हंसाने की भी कोशिश भी करती है तो बच्ची रोने लगती है। मां के मन में बार-बार ये सवाल उठ रहा है कि आखिर मेरी मासूम बेटी का दोष ही क्या था, जो उस दरिंदे ने उसे ऐसा दर्द दिया। पिता कहते हैं कि ऐसे आरोपियों को फांसी की सजा होनी चाहिए।

ऐसी केवल एक कहानी नहीं…

ये केवल एक वारदात नहीं है 18 मार्च छत्तीसगढ़ की न्यायधानी कहे जाने वाले बिलासपुर में 3 साल की बच्ची से रेप हुआ। गंभीर हालत में जब परिजन उसे सिम्स अस्पताल लेकर पहुंचे तो डॉक्टरों ने बच्ची को मृत घोषित कर दिया। इस घटना के ठीक 2 दिन बाद बिलासपुर के ही कोनी में 5 साल की बच्ची से गैंगरेप हुआ।

मासूमों के साथ हैवानियत की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। बिलासपुर में पापा की लाडली उस दरिंदगी की वजह से हमेशा के लिए खामोश हो गई। खिलौनों से खेलने वाली उम्र में ये बच्चियां हर दिन पुलिस और कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगा रही हैं।

छत्तीसगढ़ में दोगुने हुए रेप के मामले

फरवरी में विधानसभा में पेश आंकड़ों के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में रेप के मामले हर साल बढ़ रहे हैं। साल 2021 में बलात्कार का आंकड़ा 1093 था, जो साल 2022 में बढ़कर 1246 हो गया। यही आंकड़ा साल 2023 में दोगुना हो गया। इस साल 2564 रेप के मामले दर्ज किए गए। इन घटनाओं में कई बच्चियों की मौत भी हो गई, जो अब केवल आंकड़े बनकर रह गई हैं।

एडल्ट के लिए कपड़े, तो मासूमों से हैवानियत क्यों?

रेप के मामलों को लेकर समाजसेवी सुदेशना रुहान का कहना है कि इस तरह की घटनाओं के लिए केवल आरोपी ही नहीं बल्कि समाज भी जिम्मेदार होता है। ये किसी एक का व्यक्तिगत मामला नहीं है क्योंकि जब किसी एडल्ट लड़की के साथ इस तरह की घटना होती है तब उससे पहला सवाल यही होता है कि आप वहां गई क्यों थी, पहना क्या था, लेकिन बताइए 3 साल की मासूम कैसे किसी की यौन उत्तेजना बढ़ा सकती है।

सुदेशना कहती है कि इस तरह की खबरों को लेकर समाज इतना सामान्य हो गया है कि दूसरों पर बीतने वाली इन घटनाओं को लेकर संवेदनाएं खत्म होने लगी है। बड़ी आसानी से लोग ऐसी घटनाओं को भूल जाते हैं। इसलिए समाज की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आना भी इन घटनाओं को बढ़ावा देने की एक वजह है।

मासूमों से रेप करने वाले ये लोग कौन होते हैं?

छत्तीसगढ़ में चाइल्ड राइट्स को लेकर काम करने वाले राकेश सिंह ठाकुर का मानना है कि अपराधी हम में से कोई भी हो सकता है। ये किसी भी पृष्ठभूमि के हो सकते हैं। बच्चों के यौन शोषण या रेप करने वालों में घर-परिवार से जुड़े सदस्य और पड़ोसी ज्यादातर होते हैं। हैरानी की बात ये है कि हाल ही में आए कई मामलों में आरोपी नाबालिग हैं।

अश्लील कंटेंट और नशा सबसे बड़ा कारण

मनोविज्ञान की प्रोफेसर डॉ. प्रियंवदा श्रीवास्तव का कहना है कि नशा और इंटरनेट-मोबाइल पर आसानी से मिलने वाला अश्लील कंटेंट ऐसी वारदातों का सबसे बड़ा कारण है। साथ ही विकृत मानसिकता के लोग बच्चियों के साथ इस तरह की हैवानियत करते हैं।

नाबालिग अपराधियों को लेकर लेकर डॉ. प्रियंवदा कहती हैं कि कि नाबालिगों में किशोरावस्था के दौरान कई शारीरिक बदलाव आते हैं। इन शारीरिक परिवर्तनों के दौरान अगर उन्हें इंटरनेट पर अश्लील कंटेंट आसानी से मिल जाता है। ऐसे में उनके व्यवहार में विकृतियां आने लगती है।

पारिवारिक परिवेश में इन चीजों को समझाने वाला कोई नहीं होता। ऐसे में विकृती और बढ़ने लगती है। इसका एक बड़ा कारण नशा भी है, चाहे वो शराब का हो या किसी और ड्रग्स का। आसानी से मिलने वाले नशे में लोगों की समझ काम नहीं करती और रेप जैसी वारदात करते हैं।

ऐसे मामलों में सजा के लिए पॉक्सो एक्ट

चाइल्ड अब्यूज को लेकर देश में साल 2012 में POCSO यानी प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफेंस एक्ट बनाया गया था। इसका मकसद बच्चों को यौन उत्पीड़न और अश्लीलता से जुड़े अपराधों से बचाना है। इस कानून के तहत 18 साल से कम उम्र के नाबालिगों के खिलाफ होने वाले अपराधों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है।

दुर्ग की क्रिमिनल लॉयर उमा भारती साहू ने बताती हैं कि इस एक्ट में साल 2019 में इसमें संशोधन कर अपराधियों के लिए सजा सख्त कर दी गई है। इसमें कम से कम 20 साल की सजा होती है और मृत्युदंड का भी प्रावधान किया गया है।

बच्चों के यौन उत्पीड़न पर बेहद सख्त है सजाएं

16 साल से कम उम्र के बच्चे के साथ पेनेट्रेटिव सेक्शुअल असॉल्ट के दोषी को 20 साल से लेकर उम्र कैद तक हो सकती है।

अगर मामले में बच्चे की मौत हो जाती है तो मृत्यु दंड तक दिया जा सकता है।

बच्चे का इस्तेमाल चाइल्ड पोर्नोग्राफी के लिए करने पर पहली बार 5 साल और दूसरी बार में 7 साल की सजा हो सकती है। इसके अलावा जुर्माना भी देना पड़ता है।

अगर कोई व्यक्ति बच्चों से जुड़ी पोर्नोग्राफी को स्टोर करता है, डिस्प्ले करता है या फिर किसी के साथ साझा करता है, तो 3 साल कैद या जुर्माना या दोनों हो सकता है।

अगर आरोपी नाबालिग हो तब

रेप की घटनाओं में अगर आरोपी नाबालिग हो तब जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में इसकी सुनवाई होती है। आरोपी की उम्र 18 साल से कम होने पर आरोपी को जेल ना भेजकर उन्हें सुधार गृह भेजा जाता है और नाबालिगों के लिए बनाए गए नियमानुसार उन्हें सजा मिलती है।

केवल लड़कियां ही नहीं लड़के भी रेप का शिकार बनते हैं

ऐसे मामलों में केवल लड़कियां ही नहीं बल्कि लड़के भी यौन शोषण का शिकार होते हैं। ऐसे में सबसे बड़ी भूमिका मां-बाप की होती है कि छोटे बच्चों से गुड और बैड टच के बारे में जानकारी साझा करें। किशोरों पर नजर रखी जाए कि वे कैसा कंटेंट देख रहे हैं। उनके मन पर इसका क्या असर हो रहा है। इसके लिए सबसे ज्यादा ज़रुरी है कि बंदिश तोड़ी जाए और खुलकर इस विषय पर माता-पिता अपने बच्चों से बातचीत करें।


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