- वनोपज से बदल रही जिंदगी
रायपुर: बस्तर जिले के बकावंड विकासखंड के मटनार गांव में महिला स्व-सहायता समूह की दीदियां अपने मेहनत और लगन से आर्थिक रूप से सशक्त बनने की राह पर हैं। वनोपज संग्रहण और प्रसंस्करण के माध्यम से इन महिलाओं ने न केवल अपनी आमदनी में इजाफा किया है, बल्कि पूरे क्षेत्र में प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं। रेखा पांडे और उनकी साथी महिलाओं ने अपने गांव और आसपास के हाट-बाजारों में मिलने वाली ईमली और मक्का जैसे उत्पादों के संग्रहण और प्रसंस्करण से अपनी नई पहचान बनाई है। उन्होंने कृषक कल्याण उत्पादक समूह का गठन कर इस काम को संगठित रूप से आगे बढ़ाया है। इस समूह को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से डेढ़ लाख रुपये की कार्यशील पूंजी प्राप्त हुई।
इस साल ईमली सीजन में समूह ने 450 क्विंटल ईमली 13.50 लाख रुपये किलो में खरीदी और इसे प्रसंस्कृत कर (फूल ईमली बनाकर) जगदलपुर के व्यवसायियों को बेचा। इस प्रक्रिया से समूह ने 4 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ है। इस सफलता से उत्साहित होकर समूह की महिलाओं ने अगले साल ईमली संग्रहण बढ़ाने का संकल्प लिया है। महिला समूह केवल ईमली तक सीमित नहीं है। वे मक्का, तिलहन और अन्य कृषि उत्पादों का भी क्रय-विक्रय कर रही हैं। इस प्रयास से समूह की आय में लगातार वृद्धि हो रही है।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत बस्तर जिले के सात विकासखंडों में 90 उत्पादक संगठन बनाए गए हैं, जिनसे 2835 सदस्य जुड़ी हुई हैं। इन समूहों को इंफ्रास्ट्रक्चर और कार्यशील पूंजी के लिए फंड मुहैया कराया गया है। परियोजना के तहत किसानों और वनोपज संग्राहकों को उनके उत्पाद का सही दाम दिलाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
इस पहल से स्थानीय वनोपज संग्राहकों और किसानों को अपने उत्पाद के लिए बाजार मूल्य और वाजिब दाम मिल रहे हैं। इससे उनकी आय में स्थिरता आई है और आजीविका के साधन मजबूत हुए हैं। मटनार की दीदियों का यह प्रयास बताता है कि जब सही संसाधन और दिशा मिले, तो महिलाएं अपनी मेहनत से असंभव को भी संभव बना सकती हैं। उनकी यह कहानी न केवल बस्तर, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए प्रेरणा बन चुकी है।
(Bureau Chief, Korba)