Sunday, September 8, 2024
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छत्तीसगढ़: मोबाइल CG के बच्चों को बिगाड़ रहा.. बाल आयोग की अध्यक्ष बोलीं- मोबाइल में गलत चीजें देखते हैं इसलिए बच्चे पढ़ नहीं पाते

रायपुर: छत्तीसगढ़ के स्कूलों में मोबाइल फोन को प्रतिबंधित कर देना चाहिए। ये बच्चों को बिगाड़ रहा है। ये कहना है छत्तीसगढ़ राज्य बाल आयोग की अध्यक्ष तेजकुंवर नेताम का। रायपुर में रविवार को एक लग्जरी होटल में बाल अधिकारों, पाक्सो एक्ट, पुलिस की कार्रवाई, बच्चों से जुड़े कानून और कोर्ट की प्रक्रियाएं कैसे जल्दी पूरी की जाएं ऐसे विषयों पर वकॅशॉप का आयोजन था।

इसी कार्यक्रम में मीडिया को राज्य बाल आयोग की अध्यक्ष तेजकुंवार नेताम ने अहम बयान दिया। नेताम ने बताया कि प्रदेश के बच्चों का भविष्य संवारा जा सकता है। मगर मोबाइल से बच्चों को दूर करना होगा। ऑनलाइन क्लासेस की वजह से बच्चों की पढ़ाई अच्छी तरह से नहीं हो पाई है। रेगुलर क्लासेस में पढ़ाई अच्छी तरह हो पाती है।

कार्यक्रम में जज, पुलिस महकमे के अफसर पहुंचे।

कार्यक्रम में जज, पुलिस महकमे के अफसर पहुंचे।

मोबाइल कैसे बच्चों का भविष्य खराब कर रहा है ये पूछे जाने पर नेताम ने कहा- बच्चों के पास से मोबाइल न हो तो उनका भविष्य सुधरेगा । आज कल तो बच्चे मोबाइल में गलत चीजें भी देखते हैं। इसलिए पढ़ाई में ध्यान नहीं देते। इस वजह से हमारे बच्चे पढ़ नहीं पाए। इसका इस्तेमाल नियंत्रित होना चाहिए। माता-पिता भी ध्यान दें। ये भी होना चाहिए कि बच्चे मोबाइल फोन लेकर स्कूल में न जाएं। रेगुलर क्लासेस हों ये अच्छी बात है।

एक्सपर्ट्स ने रिव्यू किया।

एक्सपर्ट्स ने रिव्यू किया।

ये था कार्यक्रम
बाल आयोग ने रायपुर में प्रदेश स्तर की समीक्षा बैठक ली। इसमें ज्यूडशरी, पुलिस और सरकारी विभागों के लोग शामिल हुए। राज्य बाल आयोग ही इस समीक्षा बैठक और वर्कशॉप का आयोजक था। कार्यक्रम में खास तौर पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष गौतम भादुड़ी, यूनिसेफ के राज्य प्रमुख जॉब जकारिया, आईजी पुलिस डॉ. संजीव शुक्ला और महिला एवं बाल विकास विभाग के विशेष सचिव पोषण चंद्राकर भी उपस्थित थे।

प्रदेशभर से एक्सपर्ट पहुंचे थे रायपुर।

प्रदेशभर से एक्सपर्ट पहुंचे थे रायपुर।

हाईकोर्ट जज गौतम भादुड़ी का एक्सपर्ट व्यू
न्यायाधीश भादुड़ी ने कहा कि सरकार द्वारा कानून बनाए गए है लेकिन उसका लाभ भी लोगों तक पहुंचना चाहिए। पहले नैतिक कहानियों की प्रेरक पुस्तकें बच्चों के हाथ मेें होती थी। अब उसका स्थान मोबाइल ने ले लिया। मोबाइल के दुष्प्रभाव को रोकना होगा। इससे बचपन खत्म हो रहा है। उन्होंने न्यायाधीशों और संबंधित अधिकारियों से कहा लोगोें की समस्या के निराकरण के लिए आगे बढ़े और नए रास्ते तैयार करें।

कानूनी जागरुकता पर बात की गई।

कानूनी जागरुकता पर बात की गई।

युनिसेफ चीफ जॉब जकारिया ने कहा कि बच्चों का अधिकार सुरक्षित करना हम सब की सामूहिक जिम्मेदारी है। इसके लिए व्यवहार और सोच मेें परिवर्तन का होना जरूरी है। बच्चों का अधिकार संरक्षण करने के लिए बड़ा निवेश होना चाहिए।

कार्यक्रम में विषय विशेषज्ञों ने कहा कि- लोगों को मानसिक रूप जागरूक करने की जरूरत है। समाज है तो अपराध होगा ही, जिसे रोक तो नहीं सकते लेकिन लोगों की मानसिकता बदली जा सकती है। राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष तेजकुंवर नेताम ने आगे कहा कि इस कार्यशाला के बाद बच्चों के परिजनों को जागरूक करेंगे, जिसके लिए शिक्षा विभाग की मदद ली जाएगी और भी कई तरह के जागरूकता कार्यक्रमों का भी आयोजन होगा।

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