Thursday, May 2, 2024
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BCC News 24: BIG न्यूज़- तड़प-तड़प कर कमरे में स्टूडेंट ने दम तोड़ा.. कोटा में मेडिकल की तैयारी कर रही थी, PG मालिक ने डॉक्टर को नहीं दिखाया

राजस्थान: PG के एक कमरे में 17 साल की मेडिकल की तैयारी कर रही स्टूडेंट ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। उसकी तबीयत लगातार बिगड़ती गई, पर कोई डॉक्टर के पास नहीं ले गया। घर वालों ने भी आने में देर कर दी। जब पहुंचे, तब तक बेटी सबको छोड़कर जा चुकी थी। पिता का आरोप है कि PG मालिक के हवाले बेटी को करके चले गए थे। उसने लापरवाही दिखाई और बेटी का इलाज नहीं कराया।

PG मालिक ने ऐसे आरोपों को नकार दिया है। उसने कहा कि पहले तबीयत खराब हुई थी तो डॉक्टर को दिखाया था। फिर तबीयत खराब होने लगी तो घर वालों को खबर की। कहा भी कि बेटी को ले जाओ। पर घर से कोई नहीं आया। दिल दहला देने वाली यह घटना कोटा की है। डॉक्टर बनने का सपने लिए आई एक लड़की इलाज के बिना मर गई। उसे बचाया नहीं जा सका।

फोन नहीं उठा तो PG मालिक को कॉल किया
आगरा (UP) के सिकंदराबाद की रहने वाली आयुषी कोटा में मेडिकल की तैयारी कर रही थी। वह कमला उद्यान स्थित PG में किराए पर रह रही थी। वह पिछले दिन से बीमार थी। घरवाले उसे बार-बार फोन कर रहे थे, लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिला। आखिर उन्होंने शनिवार को मकान मालिक जितेंद्र जैन को फोन कर बच्ची को देखने को कहा। जैन कमरे पर पहुंचे तो बच्ची पलंग पर बेहोश पड़ी हुई थी। परिजनों ने कोटा में रहने वाले अपने परिचितों को जानकारी दी। परिचित बच्ची को लेकर अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। जांच में सामने आया कि आयुषी पिछले कुछ दिनों से बीमार थी। रविवार को छात्रा के माता-पिता भी कोटा पहुंच गए। उनकी मौजूदगी में पुलिस ने पोस्टमॉर्टम करवाया। शुरुआती तौर पर बीमारी के चलते ही मौत होना माना जा रहा है।

मकान मालिक के भरोसे छोड़ा था सूचना तक नहीं दी
आयुषी के पिता कप्तान ने बताया कि बच्ची एक साल से कोटा में पीजी में रह रही थी। उन्होंने बेटी को मकान मालिक के भरोसे छोड़ा था। जब उसे छोड़ कर गए थे तो मकान मालिक से कहा था कि बच्ची का ध्यान रखें। जब बच्ची की तबीयत खराब हुई तो मकान मालिक ने सूचना तक नहीं दी। करीब 7 दिन पहले बच्ची से बात हुई थी। तब उसने बताया कि उसे उल्टी-दस्त हो रहे हैं। तब पिता ने बच्ची को डॉक्टर को दिखाने को कहा था। साथ में मकान मालिक को भी कहा, लेकिन बच्ची को डॉक्टर को नहीं दिखाया। उसके बाद लगातार बच्ची से बात होती रही। वह बार-बार यह कहती रही कि अब उसकी तबीयत ठीक है। पिता ने बच्ची को ले जाने के लिए भी कहा। टिकट भी बुक किए। पिता ने आरोप लगाया कि मकान मालिक बिल्कुल लापरवाह निकला। उसे किराए से मतलब था, बच्ची से नहीं। किराए को लेकर अप्रैल में बच्ची को परेशान करने लगा था। बार-बार ज्यादा किराया देने के लिए कहता था।

आगरा के सिकंदराबाद से कोटा आए मेडिकल की तैयारी करने वाली आयुषी के परिवार वालों को शव सौंप दिया गया है।

आगरा के सिकंदराबाद से कोटा आए मेडिकल की तैयारी करने वाली आयुषी के परिवार वालों को शव सौंप दिया गया है।

सुबह 9 बजे बात हुई 1 घंटे बाद फोन किया तो नहीं उठाया
पिता ने बताया कि शनिवार सुबह 9 बजे उनकी आयुषी से बात हुई थी। उसकी आवाज बदली-बदली सी लग रही थी। उन्होंने पूछा कि तबीयत फिर से खराब है क्या? आयुषी ने जवाब दिया था- नहीं, वह ठीक है। पिता ने कहा था कि रविवार को वह लेने आ रहे हैं। आयुषी ने पेपर का हवाला दिया था। कहा था कि पढ़ाई कर रही है। उसके बाद वह चली जाएगी। पिता ने साफ किया कि पढ़ाई को लेकर आयुषी को कोई टेंशन नहीं थी। जुलाई में होने वाली नीट को लेकर पूरी तरह कॉन्फिडेंट थी।

भरोसे की मौत
पिता ने कहा कि हमारे भरोसे की मौत हुई है। बेटी को जिसके भरोसे छोड़ कर गए थे, उसने ही ध्यान नहीं दिया। अगर समय रहते बेटी को सही इलाज मिल जाता तो शायद वह बच सकती थी। बच्ची के पिता आगरा में बजाज कंपनी में सेल्स का काम करते हैं। उन्होंने कहा- मेरी बेटी डॉक्टर बनना चाहती थी। डॉक्टर का इलाज नहीं मिलने से ही उसकी मौत हो गई।

पीजी मालिक बोला- हम लगातार पेरेंट्स को सूचना दे रहे थे
पीजी मालिक जितेंद्र जैन ने बताया कि हम लगातार बच्ची के पेरेंट्स को सूचना दे रहे थे। दो-तीन महीने पहले उसकी तबीयत खराब हुई थी। हम ही डिस्पेंसरी दिखाने ले गए थे। उसके पेरेंट्स को आकर बच्चे को ले जाने के लिए भी कहा था। बोला था- तबीयत खराब है। घरवाले ही नहीं आए।

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