Saturday, May 4, 2024
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CG: बुजुर्ग की मौत पर हाइटेक अस्पताल में हंगामा.. परिजनों ने कहा 22 दिन तक मरीज को रखा भर्ती, फिर कह दिया हो गई मौत

छत्तीसगढ़: भिलाई स्थित हाइटेक सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में परिजनों ने देर रात जमकर हंगामा किया। परिजनों का आरोप है कि उनके मरीज 22 दिन तक अस्पताल में इलाज के रखा गया। परिजनों से भी नहीं मिलने दिया गयाा। हर समय मरीज की स्थिति सामान्य बताई गई और फिर 1 दिसंबर को कह दिया गया कि उनकी मौत हो गई। मरीज के परिजनों ने बताया कि मरोदा निवासी द्वारिका दास मानिकपुरी (60 साल) को गर्दन के पीछे गांठ की समस्या थी। उन्हें हाइटेक में न्यूरो सर्जन को दिखाया गया। उन्होंने कहा की गांठ में पानी भरा है। छोटा से ऑपरेशन करना पड़ेगा, जो आयुस्मान कार्ड से हो जाएगा। परिजन राजी हो गए और उन्होंने बीते 8 नवंबर को स्मृति नगर स्थित हाइटेक अस्पताल में मरीज को भर्ती कराया। वहां कुछ दिन इलाज के बाद ऑपरेशन के लिए 19 नवंबर की डेट दी गई। ऑपरेशन न्यूज सर्जन डॉ. नचिकेत दीक्षित और दीपक बंसल ने किया। सर्जरी के बाद द्वारिकादास की आवाज ही चली गई। परिजनों का आरोप है कि उन्हें सर्जरी से पहले यह नहीं बताया गया था कि सर्जरी कराने से उनकी आवाज चली जाएगी। सर्जरी के बाद बताया गया कि इसमें ये रिस्क रहता है। डॉक्टरों ने बताया कि मरीज को कुछ दिन और रखना पड़ेगा वो ठीक हो जाएगा। इसके बाद 1 दिसंबर को बोला गया कि मरीज की मौत हो गई।

हाइटेक अस्पताल में हंगामा करते परिजन

हाइटेक अस्पताल में हंगामा करते परिजन

मौत से कुछ घंटे पहले कही रेफर करने की बात

परिजनों का आरोप है कि द्वारिका दास को 22 दिन तक अस्पताल में रखकर केवल बिल बढ़ाने का काम किया गया। इस दौरान परिजन मरीज की स्थिति पूछते तो ठीक होने का आश्वासन दिया गया। मौत से कुछ घंटे पहले 1 दिसंबर को कहा गया कि मरीज की हालत काफी खराब है उसे एम्स ले जाएं। इसके कुछ दे बाद मरीज की मौत की जानकारी दी गई।

बिल में नहीं मरीज का नाम पर परचेज डेट

मरीज के परिजनों ने बताया कि अस्पताल से जितनी भी दवा खरीदी गई वह किस दिन और किस मरीज के लिए दी गई। कितने समय दी गई उसका कोई जिक्र नहीं है। केवल दवा का बिल दिया गया। पूछने पर अस्पताल का स्टॉफ कहता है यहां ऐसा ही होता है। डॉक्टर से बात करने की बात कहने पर वह लोग गाली गलौज तक कर रहे हैं।

आयुष्मान से इलाज के बाद भी ले लिया 4 लाख रुपए

परिजनों मोबाइल का मैसेज दिखाते हुए बताया कि उनके पास मैसेज आया है कि आयुष्मान कार्ड से मरीज का इलाज हुआ और उससे 50 हजार रुपए काटे गए हैं। इसके बाद भी अस्पताल प्रबंधन ने मरीज के परिजनों से 4 लाख रुपए जमा कराए हैं। पूछने पर कहा जाता है कि आयुष्मान कार्ड से पूरा इलाज नहीं होता है, इसलिए परिजनों को शेष पैसा जमा करना पड़ता है।

कलेक्टर, सीएसपी और सीएमएचओ से की शिकायत

परिजनों का कहना है कि इलाज में लापरवाही के चलते उनके मरीज की मौत हुई है। इसकी शिकायत उन्होंने कलेक्टर दुर्ग, सीएसपी भिलाई नगर और सीएमएचओ दुर्ग से की है। परिजनों ने मामले में जांच के बाद कार्रवाई की मांग की है।

10 माह के बच्चे की मौत दुर्ज हुआ था मामला

इलाज में लापरवाही से मौत का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी भिलाई 3 के सिद्धिविनायक अस्पताल में इलाज के दौरान 10 माह के बच्चे की मौत हो चुकी है। जांच के बाद 4 डॉक्टर्स सहित 7 के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। भिलाई तीन पुलिस ने इस मामले में परिजनों की शिकायत के बाद जांच में लापरवाही पाए जाने पर डॉक्टर व अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की थी। देव बलौदा निवासी महेश कुमार वर्मा ने शिकायत की थी कि उसके 10 माह के नाती शिवांश वर्मा को सर्दी-खांसी की शिकायत पर 27 अक्टूबर 2022 को सिद्धिविनायक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 31 अक्टूबर को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। डॉ. एसआर प्रसाद ने बच्चे का इलाज किया और फेफड़े में कफ भरा होने की बात कही थी। 31 अक्टूबर को डॉक्टर की गैरमौजूदगी में नर्स ने ऐसा इंजेक्शन लगाया कि शाम 6.40 बजे उसकी मौत हो गई।

4 डॉक्टर्स सहित 7 पर केस दर्ज

महेश की शिकायत पर स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों और लिपिक कर्मचारी का संयुक्त जांच दल गठित कर सीएमएचओ की ओर से विभागीय जांच करवाया गया। जांच में चिकित्सक अधिकारी डॉ.संमीत राज प्रसाद, आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ.दुर्गा सोनी, डॉ. हरिराम यदु, डॉ. गिरीश साहू एवं पैरामेडिकल स्टाफ कुमारी विभा साहू, आरती साहू, कुमारी निर्मला यादव की ओर से शिवांस वर्मा के इलाज में लापरवाही बरतने से मौत होना पाया गया। जांच के आधार पर 4 डॉक्टर सहित 7 के खिलाफ धारा 304 के तहत अपराध दर्ज किया गया। साथ ही साथ सिद्धिविनायक हॉस्पिटल का लाइसेंस भी रद्द कर दिया गया।

अस्पताल प्रबंधन ने दिया गोलमोल जवाब

हइटेक अस्पताल के मेडिकल सुप्रीटेंडेंट डॉ. रंजन सेनदास गुप्ता ने कहा कि बुजुर्ग का इलाज पूरी तरह से सही हुआ है। उसकी हालत पहले खराब थी। उन्होंने एकाउंट से संबंधित कोई भी जानकारी देने से मना किया। वहीं हॉस्पिटल के संचालक संजय अग्रवाल ने कुछ भी बोलने से मना कर दिया।

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