Thursday, May 9, 2024
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एक और कुर्बानी: दंतेवाड़ा के बाद अब नारायणपुर में ब्लास्ट; कैंप लौट रही थी टीम, महाराष्ट्र का रहने वाला जवान शहीद…

  • कोहकामेटा में सड़क निर्माण की सुरक्षा में गई थी फोर्स, बम की चपेट में आया आईटीबीपी जवान

दंतेवाड़ा के पाहुरनार में हुए ब्लस्ट के दूसरे दिन शुक्रवार को नारायणपुर के के कोहकामेटा के पास नक्सलियों द्वारा लगाए गए आईईडी बम की चपेट में आकर आईटीबीपी की 53वीं बटालियन का एक जवान शहीद हो गया है। शहीद जवान का नाम मंगेश हरिदास है और वह महाराष्ट्र के नागपुर के रहने वाले थे।

पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार को जवान इलाके में सड़क निर्माण को सुरक्षा देने के लिए निकले थे। वहां से कैंप के लिए लौटने के दौरान जवान मंगेश का पैर प्रेशर आईईडी पर पड़ गया और धमाका हो गया। घटना में मंगेश के एक पैर के चिथड़े उड़ गए और पैर के अवशेष भी साथी जवानों को नहीं मिल पाए। घटना के बाद जवान को गंभीर अवस्था में जिला हॉस्पिटल पहुंचाने का प्रयास किया गया लेकिन उन्होंने दम तोड़ दिया। अफसरों का कहना है कि नक्सलियों ने जवानों की मौजूदगी को देखते हुए यहां पहले से ही प्रेशर बम लगा रखा था।

नक्सलियों को यकीन था कि सड़क की सुरक्षा में निकलने वाले जवान इसी रास्ते का उपयोग करेंगे और हुआ भी ऐसा ही। प्रेशर बम पर पैर पड़ते ही बड़ा धमाका हुआ। गौरतलब है कि अभी एक दिन पहले ही दंतेवाड़ा के पाहुरनार में भी आईईडी की चपेट में आकर सीएएफ का जवान शहीद हो गया था और उसके शरीर के चिथड़े उड़ गए थे। गौरतलब है एक दिन पहले ही दंतेवाड़ा के पाहुरनार में भी आईईडी की चपेट में आकर सीएएफ का जवान शहीद हो गया था और उसके शरीर के चिथड़े उड़ गए थे।

नारायणपुर के उप पुलिस अधीक्षक नीरज चंद्राकर ने बताया कि जवान सड़क सुरक्षा के लिए निकले थे। जवान जब कैम्प वापास आ रहे थे उसी दौरान एक जवान आईईडी की चपेट में आ गया। घटना के बाद जवान को हॉस्पिटल लाया जा रहा था लेकिन उसने दम तोड़ दिया। जवान के पार्थिव शरीर को लाया जा रहा है। जिसके बाद उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी। वे महाराष्ट्र के नागपुर के रहने वाले थे।

तीन सालों में दो सौ से ज्यादा ब्लास्ट तो एक हजार बम जवानों ने किए डिफ्यूज

इधर पिछले तीन सालों में नक्सलियों ने जवानों को निशाना बनाने के लिए दो सौ से ज्यादा ब्लास्ट किए हैं जबकि ब्लास्ट से पहले ही सुरक्षा बलों के जवानों ने आईईडी को ढूंढ निकाला है। नक्सल मोर्चे में तैनात अफसरों ने बताया कि जवान जब भी सर्चिंग पर जाते हैं तो अपने मेटल डिटेक्टर, बम डिटेक्टर और बारूद को सूंघने की ताकत रखने वाले कुत्तों को अपने साथ रखते हैं लेकिन कई बार बम डिटेक्ट नहीं हो पाते हैं इसके पीछे का कारण भी यह है कि अब नक्सली प्लास्टिक के कंटेनर में बारूद को दबाने लगे हैं जिससे मेटल डिटेक्टर इसे ढूंढ नहीं पाता है।

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