दशकों से सरकार की नीतियों के विरोध में विपक्षी दल हड़ताल-बंद का आह्वान और नेतृत्व करते आ रहे हैं। देश का किसान मजदूर बस-ट्रैक्टर ट्रॉली में भरकर भीड़ के रूप में शामिल होता आ रहा है। लेकिन इस बार किसान आंदोलन में परिदृश्य बदला हुआ नजर आया। मंगलवार को भारत बंद में विपक्षी राष्ट्रीय-क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियां के अलावा ट्रांसपोर्ट यूनियन, रेलवे यूनियन, बैंक यूनियन, पेट्रोल पंप एसोसिएशन आदि किसान संगठनों के पीछे मजबूती से खड़े दिखाई दिए। हिंसा, तोड़फोड़, आगजनी, जबरिया बाजार बंद जैसे कृत्यों से आंदोलन अछूता रहा।
दिल्ली के सिंघु बार्डर पर किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने भारत बंद के एक दिन पहले सभी राजनीतिक दलों से अपना झंडा-बैनर नहीं लाने का अनुरोध किया था। किसान संगठनों ने पीछे 13 दिनों में राजनीतिक दलों को अपने मंच का इस्तेमाल नहीं करने दिया। भारत बंद में राजनीतिक पार्टियों किसान संगठनों के पीछे खड़े थे। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में राजनीतिक दलों ने अपने तरीके से चार घंटे के चक्का जाम में सहयोग किया।
भारतीय किसान यूयिन हरियाण के प्रदेश अध्यक्ष व किसान संगठनों की कोर कमेटी के वरिष्ठ सदस्य गुरुनाम सिंह चढूनी ने ‘हिन्दुस्तान’ को बताया कि 32 साल पहले हुए किसान आंदोलन में राजनीतिक दल ने सांकेतिक समर्थन किया था। लेकिन यह पहली बार होगा जब समाज के सभी वर्गों के लोग इस आंदोलन के साथ मजबूती से खड़े हैं। देश की दो सबसे बड़ी रेल यूनियन ऑल इंडिया रेलवेमैन यूनियन, नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवे आंदोलन को न सिर्फ अपना समर्थन दिया है बल्कि सरकार द्वारा मांगे नहीं मानने पर रेल यूनियन ट्रेनों का चक्का जाम करने की तैयारी में हैं।
देश की सबसे बड़ी ट्रांसपोर्ट यूनियन ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस भारत बंद के तहत 90 लाख ट्रकों का चक्का जाम किया। दिल्ली सहित अन्य शहरों के ट्रांसपोर्ट नगरों में कामकाज नहीं हुआ। उत्तर प्रदेश के किसान नेता राकेश टिकैत ने बताया कि कई राज्यों में ट्रेनों का आगवामन बाधित हुआ। पेट्रोल पंप एसोएिशन ने पूरा दिन पेट्रोल पंप बंद रखे हैं। किसान संगठनों ने लोगों से खुद भारत बंद में शामिल होने का अनुरोध किया।