Saturday, May 18, 2024
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स्कूलों को राहत: रायपुर जिला शिक्षा अधिकारी ने 240 स्कूलों की मान्यता रद्द की थी, संचालक ने पलटा फैसला…

फाइल फोटो। - Dainik Bhaskar

फाइल फोटो।

  • बोले – एकतरफा कार्रवाई, प्रबंधन का पक्ष नहीं लिया

रायपुर/ लोक शिक्षण संचालनालय ने रायपुर जिले के 240 स्कूलों की मान्यता बहाल कर दी है। शिक्षा संचालक ने इस संबंध में आदेश जारी करने के साथ ही मान्यता समाप्ति की कार्रवाई को एकतरफा बताया। आदेश में कहा गया है कि इतने स्कूलों की मान्यता समाप्त करने के पहले प्रबंधन का पक्ष नहीं लिया गया। इसी वजह से पूर्व के आदेश को निरस्त करते हुए मान्यता बहाल की गई।

रायपुर जिले के 240 स्कूलों की मान्यता पिछले महीने तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी चंद्राकर ने समाप्त कर दी थी। उस समय तर्क दिया गया था कि प्रबंधन को बार-बार नोटिस दिए जाने के बावजूद उनकी ओर से फीस समिति का गठन नहीं किया गया, जबकि स्कूलों को अशासकीय विद्यालय फीस विनयमन अधिनियम 2020 के तहत फीस समिति का गठन करना अनिवार्य है। फीस समिति का गठन करने के बाद सूचना जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय को दी जानी थी।

फीस समिति का गठन इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि समिति के माध्यम से ही आगामी सत्र के लिए स्कूलों की फीस तय की जानी है। इसके लिए भी स्कूलों को प्रस्ताव तैयार करना था। इसके बावजूद स्कूल प्रबंधन ने गंभीरता से नहीं लिया। इसी तर्क के आधार पर एक साथ दो सौ चालीस स्कूलों की मान्यता समाप्त करने के आदेश जारी कर दिए गए।

गुरुवार को जिला शिक्षा अधिकारी के इसी आदेश को लोक शिक्षा संचालनालय ने निरस्त किया। संचालक के इस आदेश से स्कूल प्रबंधन को राहत मिली है। मान्यता बहाल होने से अब स्कूल आगामी सत्र के लिए प्रवेश दे सकेंगे। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के परिजनों की दुविधा भी दूर हो गई है। परिजन असमंजस में थे कि बच्चों को वहां पढ़ाई कराएं या नहीं। हालांकि मान्यता समाप्ति के बाद स्कूल प्रबंधन को तीन दिन का समय दिया गया था, उस दौरान लगभग सभी स्कूल प्रबंधन ने फीस समिति का गठन कर इसकी सूचना जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जमा कर दी थी।

मान्यता नियमों के तहत रद्द नहीं की गई
“प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के अनुसार निर्णय लेने के पूर्व सुनवाई का अवसर दिया जाना आवश्यक है। निजी स्कूलों की मान्यता समाप्ति से संबंधित कार्रवाई में इसका पालन नहीं किया गया। इसलिए डीईओ के आदेश को निरस्त किया गया है।”
-जितेंद्र शुक्ला, संचालक, लोक शिक्षण

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