Friday, April 26, 2024
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छत्तीसगढ़- ये है कलेक्टोरेट का हाल: 24 घंटे रिकॉर्डिंग के दावे की खुली पोल… तीन साल पहले कलेक्टोरेट में लगाए गए सभी 16 कैमरे बंद.. जिन्होंने लगवाए तबादला हो गया, ठेकेदार का भी पता नहीं

बिलासपुर: मैं कलेक्टोरेट हूं! 157 साल पुरानी बिल्डिंग। जिला मुख्यालय का प्रमुख शासकीय भवन। जिले के मुखिया यानी कलेक्टर व जिला दंडाधिकारी यहां बैठते हैं। डॉ.सारांश मित्तर जिले के 88 वें कलेक्टर हैं। अतिरिक्त कलेक्टर, अपर कलेक्टर, सिटी मजिस्ट्रेट, डिप्टी कलेक्टर सहित 55 शाखाओं के दफ्तर यहां हैं।

सुरक्षा की दृष्टि से तीन साल पहले कलेक्टोरेट कक्ष, कलेक्टोरेट न्यायालय कक्ष, मंथन कक्ष के सामने परिसर, ट्रेजरी, सिटी मजिस्ट्रेट, भू अभिलेख शाखा, अपर कलेक्टर कक्ष, नकल शाखा आदि जगहों पर 16 सीसी टीवी कैमरे लगाए गए। दरअसल यहां घेराव करने वाले कुछ लोग हंगामा मचाने लगे थे। विधानसभा चुनाव 2018 की तैयारी भी शुरू हो चुकी थी। ऐसे में सीसीटीवी कैमरे लगाने की जरूरत महसूस हुई।

जिला मुख्यालय और संवेदनशील स्थल होने के कारण ये कैमरे लगाते हुए नाजिर शाखा के बाजू में बनाए गए कंट्रोल रूम में 24 घंटे रिकार्डिंग का दावा किया गया था। तत्कालीन कलेक्टर पी.दयानंद ने कंट्रोल रूम का औपचारिक उद्घाटन किया था। कुछ दिन तो सब ठीक रहा। कैमरे चलते भी रहे और रिकॉर्डिंग होती रही लेकिन फिर खराबी आ गई और सभी कैमरे बंद हो गए।

इस बीच जिस अधिकारी आलोक पांडेय ने कैमरे लगवाए थे,उनका तबादला हो गया और अब तो वे रिटायर भी हो गए हैं। जिस खनिज अधिकारी राजेश मालवे ने ठेकेदार को पेमेंट किया उनका तबादला हो गया है। एक बार बंद हुआ तो फिर किसी ने इन कैमरों की सुध नहीं ली।

पढ़िए-कौन क्या कह रहा है-
गोड़पारा में कोई घई ठेकेदार है। उसी के माध्यम से खनिज विभाग ने कैमरे लगवाए थे। मैंने ठेकेदार को कलेक्टर के सामने खड़ा कर दिया था। मेरा उतना ही रोल था। कितना खर्च हुआ, नहीं जानता।
आलोक पांडेय, तत्कालीन भू-अभिलेख प्रभारी

भू-अभिलेख प्रभारी आलोक पांडेय ने लगवाया था। उनका ही पूरा आइडिया था, कितने लगवाए क्या लगवाए।
राजेश मालवे, तत्कालीन खनिज अधिकारी

तीन साल पहले आलोक पांडेय ने अपने माध्यम से कैमरे लगवाए थे। पहले कैमरे चालू रहे। फिर डैमेज हुआ। इसके बाद से ही बंद है। कैमरे सुधारने की जिम्मेदारी किसकी है, नहीं जानता।
गोपीचंद चौहान, प्रभारी अधीक्षक, कलेक्टोरेट

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