गरियाबंद: छत्तीसगढ़-ओडिशा बॉर्डर से एक ऐसा वीडियो सामने आया है, जो आपको ये बता देगा कि आज भी कई गांव में विकास लोगों से कोसो दूर है। लोग इतने मजबूर हैं कि उन्हें अंतिम संस्कार करने शव को पानी के अंदर से ले जाना पड़ रहा है। ये सब सिर्फ इसलिए हुआ, क्योंकि गांव में पुल नहीं है। पैरालिसिस से जूझ रहे एक शख्स की मौत हो गई तो उसके परिजन नाला पार कर उसके शव का अंतिम संस्कार करने ले गए। इस वीडियो के सामने आने के बाद लोगों में काफी नाराजगी है।
दरअसल, छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले से ओडिशा का नवरंगपुर जिला लगा हुआ है। यहां पिछले 3-4 दिनों से लगातार बारिश जारी है। बारिश की वजह कई नदी नाले उफान पर हैं। इस बीच नवरंगपुर जिले के चंदाहांडी ब्लॉक अंतर्गत चकामाल गांव के रहने वाले मनीराम सुनानी (58) की शनिवार को मौत हो गई। उसे 2 साल पहले पैरालिसिस का अटैक आया था। जिसके बाद से वह बिस्तर में था।
बेटा रोते-रोते नाला पार करता रहा।
आर्थिक तंगी की वजह से नहीं हो सका इलाज
परिजनों ने बताया कि पैसों की इतनी कमी थी कि हम उसका इलाज भी नहीं करवा सके। आखिरकार शनिवार शाम को उसकी मौत हो गई। पानी भी बरस रहा था। पानी जब बंद हुआ तब हम शव का अंतिम संस्कार करने ले गए थे। मगर पुल नहीं होने के कारण हमें बरसाती नाले के अंदर से शव लेकर जाना पाड़ा है।
मौत के बाद भी नहीं मिला सम्मान
परिजनों का कहना है कि हम प्रशासन से कई बार यहां पर पुल बनाने की मांग कर चुके हैं। लेकिन आज तक हमारी बात को सुना ही नहीं गया। हमें हर बरसात में इस तरह की परेशानी होती है। मनीराम के बेटे भुवन सुनानी ने बताया कि यह बड़ी ही दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि लोगों के मौत के बाद भी उन्हें सम्मान नहीं मिलता। पैसों की इतनी तंगी थी कि हम इलाज भी नहीं करवा सके थे। प्रशासन ने भी मदद नहीं की। उसने कहा कि हमारे ही क्षेत्र में निर्वाचित सांसद व विधायक रहने के बाद भी पुलिया नहीं बन सका। इसके कारण मेरे पिता को अंतिम यात्रा में भी सम्मान नहीं मिला।
हर बरसात में यही समस्या होती है।
इसी क्षेत्र में विधायक और सांसद का घर
बताया गया कि इसी गांव से महज 15 किलोमीटर दूर डांड़ामुड़ा में बीजेडी के सांसद रमेशचंद्र मांझी का घर है। उनके भाई प्रकाश मांझी वर्तमान में विधायक भी है। इसके बावजूद उनके क्षेत्र की ये दशा है। इसे लेकर लोगों में नाराजगी है।