तस्वीर रायगढ़ की है। एसपी संतोष सिंह ने बताया कि पुलिस को गुमराह करने की कोशिश में थे, मगर पकड़े गए।
- रायगढ़ पुलिस की टीम ने 13 दिनों की मशक्कत के बाद कोरबा से गिरफ्तार किया बदमाशों को
- पहले भी हत्या और लूट के मामले में जा चुके हैं जेल, पुलिस को चकमा देने फोन का नहीं किया इस्तेमाल
रायपुर/ रायगढ़ की पुलिस ने 13 दिनों मेहनत के बाद 4 बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया। ये बदमाश धरमजयगढ़ के ग्रामीण बैंक के कैशियर को गाेली मारने और लूटने की घटना में शामिल थे। ये बदमाश हत्या, चोरी और लूट के मामले में पहले भी जेल जा चुके हैं। जेल में ही इन्होंने लूट की प्लानिंग बनाई थी। बाहर आकर इस घटना को अंजाम दिया। रायगढ़ के एसपी संतोष सिंह लगातार धरमजयगढ़ इलाके में स्थानीय पुलिस टीम की मॉनिटिरिंग कर रहे थे। इस घटना में शामिल बदमाश कोरबा से गिरफ्तार हुए। इनके पास से एक जिंदा कारतूस, एक पिस्टल, खुखरी और दो मोटरसाइकिल मिली हैं।
इस तरह दिया था घटना को अंजाम
1 मार्च की सुबह खम्हार ग्रामीण बैंक शाखा का कैशियर विनोद लकड़ा (उम्र 40 साल) अपनी बाइक पर धरमजयगढ़ से खम्हार जाने के लिये निकला था। मिरीगुडा गांव के विनोद लकड़ा को आगे-पीछे से दो बाइक पर सवार 4 युवकों ने घेर लिया। एक बाइक के पीछे बैठे युवक ने विनोद पर फरार किया लेकिन निशाना चूक गया। फिर दूसरी बाइक में पीछे बैठे व्यक्ति देशी कट्टे से विनोद पर गोली चलाई। दाहिने कंधे के नीचे गोली लगने से विनोद गिर पड़ा। बदमाश उसका बैग लेकर भाग गए। इस बैग में पासबुक, टिफिन, आधारकार्ड वगैरह ही थे। शाम को इस मामले में पुलिस ने केस दर्जकर छानबीन शुरू कर दी।
जेल में बनी थी प्लानिंग
जांच से जुड़े धरमजयगढ़ के एसडीओपी सुशील नायक की टीम को पता चला कि जेल से रिहा हुए अंजुलस एक्का और संदीप राठिया दोनों कोरबा के रहने वाले हैं। हाल ही में ये दोनों धरमजयगढ़ के आसपास देखे गए थे। पुलिस ने इन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ की। तब इन्होंने बताया कि अपने झारखंड के साथी कल्याण खाखा, छाल के करन दास महंत, अंजुलस एक्का का भाई लाजरूस एक्का और अंजुलस का जीजा अनिल तिर्की ने मिलकर वारदात को अंजाम दिया था। करनदास महंत और लाजरूस एक्का को भी गिरफ्तार कर लिया गया। कल्याण खाखा झारखंड और अनिल तिर्की फिलहाल फरार हैं।
इनसे पूछताछ करने पर पुलिस को पता चला कि लूट की प्लानिंग जेल में हुई थी। अंजुलस एक्का साल 2016 में कोरबा के डॉक्टर मेहता के मर्डर केस में 4 साल तक कोरबा की जेल में बंद था। कोरबा जेल में बंद एक और क्रिमिनल रविवादी से इसकी मुलाकात हुई। रविवादी जेल से ही अपना क्राइम नेटवर्क चलाता है। उसने ही अंजुलस एक्का को बताया कि ग्रामीण बैंक खम्हार का कैशियर अक्सर अपनी बाइक से 10-15 लाख रुपए लेकर आता जाता रहता है। अंजुलस की दोस्ती संदीप राठिया से जेल में हुई। राठिया कोरबा में लूट के मामले में जेल में बंद था। दिसम्बर 2020 में संदीप राठिया जेल से छूटा उसके पहले अंजुलस रिहा हो चुका था। दोनों ने मिलकर एक दो दिन तक कैशियर का पीछा कर रेकी की और प्लान को कामयाब करने की प्रैक्टिस करते रहे।
मौसी के घर में मिले
अंजुलस लूटपाट में अपने साथी झारखंड के कल्याण खाखा, अपने भाई लाजरूस एक्का और जीजा अनिल तिर्की को शामिल किया । सभी 28 फरवरी को सरदुगला में संदीप राठिया के मौसी के घर एक्ट्ठा हुये। यहां करनदास महंत भी था। संदीप एक पिस्टल और दो गोलियां लेकर आया। कल्याण खाखा अपने पास एक देसी कट्टा और एक राउंड रखे हुए था और अंजुलस के पास एक लोहे की खुखरी थी । प्लान के मुताबिक 1 मार्च को इन्होंने कैशियर पर हमला कर दिया।
जब बैग में नहीं मिला कुछ तो टिफिन में रखी रोटी सब्जी खाई
घटना के दिन दर्राघाटा के आगे मिरीगुड़ा के पास संदीप ने पिस्टल से कैशियर को गोली मारी। जब गोली नहीं लगी तो कल्याण ने देशी कट्टे से फायर कर दिया। कैशियर के गिरने पर संदीप बाइक से उतरा। पिस्टल दिखाकर बैग लूटकर भाग गया। मिरीगुड़ा पुलिया के पास से कच्चे रास्ते के जरिए ये दर्रापारा, जमरगीडीह, जबगा, बोरो , ढिंगरीमार, बसेन, पसेर खेत होते हुए बताती गए। । बताती में बैग को खोल कर देखा तो इसमें रुपए नहीं थे। कैशियर के टिफिन में रखी दाल, मूली की सब्जी और रोटी सभी लुटेरों ने खा लिया। अंजुलस ने कहा था कि बैग कपड़े रखने के काम आएगा। इसके बाद सभी अलग-अलग होकर अपने घरों में छुपे हुए थे। इस लूट में नाकाम होने के बाद इनकी दूसरी वारदात की थी प्लानिंग थी। पुलिस इनसे पुरानी घटनाओं को लेकर भी पूछताछ कर रही है।