- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया पोस्ट करके दी बधाई
- पिता कारोबारी तो मां है हाउसवाइफ, बड़ा भाई कैमिकल इंजीनियर
दुर्ग/ इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन (ISRO) की राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित वैज्ञानिक (सिविल) चयन परीक्षा में दुर्ग की सृष्टि बाफना ने देश में पहला स्थान हासिल किया है। इस उपलब्धि से दुर्ग शहर के साथ पूरे प्रदेश का मान बढ़ा है।
दुर्ग के पद्मनाभपुर में रहने वाली सृष्टि बाफना का हमेशा से उद्देश्य रहा है कि वो देश के लिए कुछ करे। यही कारण बना कि सृष्टि ISRO तक पहुंची। ISRO अलग-अलग विंग के लिए परीक्षाएं लेता है। सृष्टि का सिविल इंजीनियरिंग में ही स्पेशलाइजेशन है इसलिए वह इस परीक्षा में शामिल हुई थी। पूरे देश से करीब 1 लाख से 80 हजार प्रतिभागी इस परीक्षा में शामिल हुए थे। लिखित परीक्षा के बाद इंटरव्यू के लिए 124 प्रतिभागियों का चयन हुआ था। फिर अंतिम रूप से 11 लोगों का चयन हुआ है।
सृष्टि ने जनरल कैटेगरी में पहला स्थान हासिल किया है। यह परीक्षा साल 2020 में आयोजित हुई थी। लेकिन कोविड-19 की वजह से इंटरव्यू आयोजित नहीं हो पाया था। इस साल 5 फरवरी को इंटरव्यू हुआ। उसके बाद फाइनल रिजल्ट आया है। वो इस कामयाबी के पीछे अपने परिवार और दोस्तों का बड़ा योगदान मानती हैं। उसने कहा परिवार ने मेरा बहुत साथ दिया है।
छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सृष्टि बाफना को उनके परिवार को ढेर सारी बधाई दी हैं और भविष्य के उज्जवल होने की कामना की है।
सृष्टि की शुरुआती एजुकेशन
सृष्टि बाफना ने कहा कि उनकी प्राथमिक पढाई सरस्वती शिशु मंदिर कुसुमकसा बालोद में कक्षा दूसरी तक हुई था। उसके बाद दुर्ग के महावीर विद्यालय हिंदी मीडियम से 10वीं और 12वीं तक शिक्षा ग्रहण की। 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं में राज्य स्तर पर 8वां स्थान हासिल किया था। फिर BIT दुर्ग से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद IIT दिल्ली से M.Tec किया।
तीन प्रतियोगी परीक्षाओं में हुआ है चयन
सृष्टि बाफना बताती हैं कि उनका चयन ISRO, दिल्ली मेट्रो और कोल इंडिया तीनों प्रतियोगी परीक्षाओं में हो चुका है। सबसे पहली पहली प्राथमिकता ISRO की रहेगी। इसके अलावा साथ UPSC द्वारा आयोजित इंडियन इंजीनियरिंग सर्विस की परीक्षा में भी उनका इंटरव्यू हो चुका है। लेकिन नतीजे अभी घोषित नहीं हुए हैं।
बॉलीवुड के गाने और संगीत में हैं दिलचस्पी
सृष्टि बाफना की दिलचस्पी पढाई के साथ संगीत से काफी लगाव है। बॉलीवुड के पुराने और नए गानों में काफी रुचि है। वो कभी टेंशन में रहती हैं, तो हिन्दी फिल्म ‘डोर’ का गाना “ये हौसला कैसे झुके, ये आरजू कैसे रुके, मंजिल मुश्किल तो क्या” सुन व गुन-गुना लेती हैं। इसके अलावा खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय से हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में भी पढ़ाई की है।
दुर्ग शहर के पद्यनाभपुर की रहने वाली सृष्टि ने प्रदेश और अपने परिवार का मान बढाया है।
फैमिली बैकग्राउंड
25 वर्षीय सृष्टि बाफना मध्यमवर्गीय परिवार से आती हैं। उनके पिता मोती बाफना व्यवसाय करते हैं और माता प्रभा बाफना हाउसवाइफ हैं। उनका बड़ा भाई कैमिकल इंजीनियर है। सृष्टि का परिवार पहले बालोद जिले के कुसुमकसा में रहता था। लेकिन साल 2002 में परिवार दुर्ग में आकर रहने लगा। माता-पिता बताते हैं कि उनके लिए यह सबसे गौरवान्वित महसूस करने का समय हैं। वो बताते हैं कि सृष्टि की शुरू से ही टेक्निकल फील्ड में रुचि थी। मैने कभी बेटी और बेटे में कोई भेद नहीं किया।