Sunday, May 19, 2024
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BCC NEWS 24: छत्तीसगढ़- कारोबारियों ने मंत्री को बताई GST की उलझनें: टीएस सिंहदेव से कहा- अकाउंट समझने में ही बीत जाता है दिन, व्यापार कैसे बढ़ाएं…

*बैठक के दौरान विभिन्न व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने कर नीति और स्लैब से जुड़ी व्यावहारिक दिक्कतों की जानकारी दी है।

रायपुर: केंद्र सरकार का बहुप्रचारिक वस्तु एवं सेवा कर चार साल बाद भी कारोबारियों के लिए आसान नहीं बन पाया है। इसकी वजह से कारोबारी परेशानी जारी है। छत्तीसगढ़ के पंचायत, स्वास्थ्य एवं वाणिज्यिक कर (GST) मंत्री टीएस सिंहदेव ने रविवार को कारोबारी संगठनों की बैठक बुलाई तो यह तकलीफ भी सामने आई। कई कारोबारियों ने कहा, इसकी वजह से अकाउंट समझने में पूरा दिन बीत जाता है। व्यवसाय को आगे बढ़ाने की तो सोच ही नहीं पाते।

रायपुर के नवीन विश्राम गृह सभागार में हुई बैठक के दौरान छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के कार्यकारी अध्यक्ष राजेंद्र जग्गी ने कहा, एक ही उत्पाद के लिए अलग-अलग टैक्स स्लैब बेहद जटिल हैं। जग्गी ने बताया, एक हजार रुपए से कम लागत के कपड़े पर 5% और एक हजार से अधिक वाले पर 12 % GST स्लैब तय है। कृषि से जुड़े उपकरणों में 12% और 18% के दो स्लैब और साइकिल में 12%, 18% और 28% के तीन स्लैब हैं। उन्होंने कहा, व्यापारी का अधिकांश समय अकाउंटिंग में उलझने की वजह से बर्बाद होता है। अगर यह प्रक्रिया सरल हो जाएगी तो वह समय व्यवसाय को बढ़ाने में लगेगा। सराफा एसोसिएशन के शंकर बजाज ने अपना सुझाव व्यक्त करते हुए कहा कि कांच की जो बोतल रिसायकिल होती है उसपर 5% टैक्स लगता है। अगर उसको पैक्ड बोतल में बदला जाए जाए तो उसका 18% जीएसटी लगता है। ऐसा अभी छत्तीसगढ़ में लागू नहीं किया गया है। उनका सुझाव था कि इस बदलाव से सरकार को लगभग 13% अधिक GSTमिलेगा। इस दौरान सराफा एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने यह भी कहा, GST आने के बाद तो व्यापारी को सुलभता मिली है। जिसमें वन टाइम टैक्स देकर सेटल हो जाता है। पहले अलग-अलग राज्य में अलग-अलग टैक्स देना पड़ता था। वाणिज्यिक कर मंत्री टीएस सिंहदेव ने सभी व्यापारिक संगठनों से अगले दो-तीन दिनों में अपने लिखित सुझाव देने को कहा है। उन्होंने कहा, इन सुझावों पर चर्चा के बाद सरकार जरूरी कदम उठाएगी।

नियमों को सरल करने की मांग उठी

कैट के प्रतिनिधियों ने सुझाव दिए कि कंम्पसेशन दर, आयकर रिटर्न की प्रक्रिया और GST स्लैब में सरलीकरण किया जाए। प्लाईवुड एसोसिएशन ने GST स्लैब के सरलीकरण का सुझाव रखा। कंप्यूटर एसोसिएशन एवं मोबाइल एसोसिएशन ने संयुक्त रूप से ऑनलाइन खरीदी एवं उस पर टैक्स की प्रक्रिया के विषय में पारदर्शिता को लेकर अपना सुझाव दिया।

राइस मिलरों ने कहा, हम तो सरकार को देते हैं तो हमपर टैक्स क्यों

अनाज व्यवसाय संघ व राइस मिल संघ के प्रतिनिधियों ने कर से राहत की मांग की। उनका कहना था, राइस मिलें लगभग 100 % सरकार के धान की कस्टम मिलिंग करती हैं। वे सरकार के धान को चावल बनाती है। ऐसे में इस सेक्टर को टैक्स से मुक्त रखा जाना चाहिए।

मंत्री टीएस सिंहदेव के साथ प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी, GST आयुक्त समीर विश्नोई और कांग्रेस नेता और कर सलाहकार रमेश वर्ल्यानी भी बैठक में मौजूद रहे।

मंत्री टीएस सिंहदेव के साथ प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी, GST आयुक्त समीर विश्नोई और कांग्रेस नेता और कर सलाहकार रमेश वर्ल्यानी भी बैठक में मौजूद रहे।

मंत्री बोले, पेट्रोलियम भी आ सकता है GST में

मंत्री टीएस सिंहदेव ने आशंका जताई कि आने वाले समय में पेट्रोल-डीजल भी GST के दायरे में आ सकते हैं। उन्होंने कहा, ऐसा हुआ तो राज्य की आय को ही नुकसान होगा। अभी वैट में राज्य सरकार को 25% के हिसाब से कर मिलता है। GST की दर अगर 28 प्रतिशत भी रखा जाए तो आय घटेगी। क्योंकि राजस्व का केवल 14% हिस्सा ही राज्य सरकार को मिलेगा। शेष 14% केंद्र सरकार को चला जाएगा।

कम हो गई राज्य की आमदनी

टीएस सिंहदेव ने कहा, कोरोना आने के बाद अर्थव्यवस्था के ऊपर बड़ा प्रभाव पड़ा है। इस दौरान GST कलेक्शन और टैक्स कलेक्शन का भार सीधा-सीधा राज्यों पर पड़ा। इसमें छत्तीसगढ़ को बड़ा नुकसान हुआ है। सामान्य तौर पर दिखता है कि जैसे पहले 5% वैट लगता था तो 5% GSTलग रहा है। लेकिन ऐसा है नहीं। यह 5% GST केंद्र और राज्य सरकार में आधा-आधा बंट जाता है। ऐसे में हर तरफ से राज्यों को ही अपनी व्यवस्था देखनी पड़ेगी। पिछले तीन साल में राजस्व का नुकसान हुआ। क्षतिपूर्ति नहीं हो पाई। जब क्षतिपूर्ति का प्रावधान भी हट जाएगा तो दिक्कत बढ़ेगी।

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