रायपुर: सीएम भूपेश बघेल राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में न्यूज एंकर की भूमिका में नजर आए।दरअसल उद्घाटन के बाद जब दोनों प्रदर्शनी देख रहे थे तब मीडिया के प्रतिनिधि बाइट लेने का प्रयास कर रहे थे। ऐसे में सीएम भूपेश खुद ही एंकर बनकर सोरेन से सवाल किए। सीएम भूपेश ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पूछा कि उन्हें छत्तीसगढ़ कैसा लग रहा है? सोरेन ने कहा कि मुझे ऐसा नहीं लग रहा कि मैं झारखंड में नहीं किसी दूसरे राज्य में हूं।
यहां जितने लोगों को देखा जिनसे मिला उनमें अपने राज्य की झलक दिख रही है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ आकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। सोरेन ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सराहना करते हुए कहा कि बघेल ने जनजातीय समुदाय के लिए एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया है। ये आयोजन समस्त आदिवासी समुदाय के लिए गौरव का क्षण है। यहां आकर उनका उत्साह बढ़ा है। सीएम भूपेश ने ने सोरेन से दूसरा प्रश्न किया कि -आपने प्रदर्शनी के भ्रमण के दौरान आदिवासी विकास के कार्यों पर आधारित स्टॉलों को देखा, इनमें सबसे अच्छा आपको क्या लगा? सोरेन ने कहा कि उन्हें सबसे अच्छा लगा कि छत्तीसगढ़ सरकार आदिवासी समुदाय को आर्थिक पिछड़ापन से उबारने के लिए लगातार अभिनव प्रयास कर रही है। मुझे लगता है कि यहां के आदिवासी समुदाय के लोग जिस क्षेत्र में भी जाना चाहें, वहां अच्छी प्रगति कर सकते हैं। चाहे गारमेंट सेक्टर हो, खाद्य सामग्री निर्माण, वनोपज संग्रहण हो। हर क्षेत्र में यहां का आदिवासी समुदाय अपने आपको आर्थिक रुप से समृद्ध कर सकते हैं। संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने उनके प्रति आभार प्रकट किया।
हर लोकगीत और नृत्य अलग कहानी कहता है: राहुल गांधी
लोकसभा सांसद राहुल गांधी ने बधाई संदेश भेजकर छत्तीसगढ़ शासन की सराहना की है। राहुल गांधी का संदेश बीके हरिप्रसाद में पढ़कर सुनाया। राहुल गांधी ने अपने संदेश में कहा कि आदिवासियों का हर लोक गीत, नृत्य, चित्र, शिल्प एक अलग ही कहानी कहता है। ये कहानियां हमारे पूर्वजों की रोचक और आकर्षक दुनिया का बोध कराती हैं। राहुल गांधी ने कहा है मुझे खुशी है कि छत्तीसगढ़ सरकार आदिवासी संस्कृति, कला और कलाकारों को अपनी पहचान को लोगों की बीच रखने का अवसर दे रही है। उन्होंने राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव की सफलता की कामना करते हुए कहा है कि यह आयोजन भारत की अनेकता में एकता के भाव को संजोये रखते हुए उसे और मजबूती प्रदान करेगा।
आज भी आदिवासी समाज सबसे वंचित: हेमंत सोरेन
राजधानी रायपुर में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का गुरुवार से रंगारंग आगाज हो गया। इसका उद्घाटन करते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि पूरे देश में छत्तीसगढ़ ही ऐसा राज्य है जहां पर एक अलग तरह का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। यह कार्यक्रम पूरे देश के लिए एक संदेेश है कि अगर हम चाहें तो ये वर्ग भी हमारे साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकता है। उन्होंने कहा हम बातें बहुत करते हैं, सरकार में विभाग भी बनती हैं, मंत्री भी बनते हैं लेकिन ये वर्ग आज भी वंचित है। उन्होंने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इस प्रयास की तारीफ करते हुए कहा कि यह देश के लिए मील का पत्थर साबित होगा औैर उम्मीद है कि इन लाेगों की स्थिति में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि जनजातीय समूह के अंदर बहुत से छिपे हुए अदभुत गुण हैं इस महोत्सव के माध्यम से उन्हें अपने इन्हीं गुणों को देश-विदेशों तक भेजने का मौका मिलेगा।
मैं मुख्य अतिथि नहीं होता तो भी आता
सोरेन ने कहा कि मैं आदिवासी समाज से आता हूं। इस जगह पर कैसे पहुंचा हूं यह मेरे लिए बहुत बड़ी चुनौती रही है। आज जब यह कार्यक्रम शुरु हुआ तो मैं पूरे विश्वास के साथ कहता हूं कि यदि मैं मुख्यमंत्री नहीं होता या मैं इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि नहीं होता तो भी मैं इस कार्यक्रम को देखने जरूर आता।
हमारे राज्य में भी हो रहे अलग काम
सोरेन ने कहा कि हम भी अपने राज्य में अलग तरह के काम कर रहे हैं। झारखंड की बच्चियां खेलों में लगातार अपना जौहर दिखा रहीं है। भारतीय टीम में झारखंड की सात बच्चियां हैं औैर सातों एक ही गांव की हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हमारे यहां जूनियर महिला हॉकी टूर्नामेंट का आयोजन किया जा रहा है जिसमें सभी 28 राज्यों के प्रतिभागी शामिल हो रहे हैं। वहीं प्रदेश के आदिवासी बच्चों को पढ़ाई के लिए विदेश भेजने के लिए हम 100 फीसदी स्कॉलरशिप भी दे रहे हैं औैर आज ही हमने छह बच्चों को पढ़ने के लिए यूके भी भेजा है।
आदिवासियों के स्वास्थ्य सुधार पर कर रहे हैं काम: भूपेश
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के चारों तरफ स्थापित माताओं के मंदिर को प्रणाम करते हुए अपनी बात की शुरूआत की। उन्होंने कहा कि इस महोत्सव के माध्यम से हमने पूरे विश्व के आदिवासियों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया है ताकि वे अपनी संस्कृति औैर अपने ताकत को पहचाने तथा हम सब मिलकर आगे बढ़ें। हमे उद्देश्य में सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण पिछले साल इसका आयोजन नहीं हो पाया था लेकिन अब कोरोना के मामले कम हो रहे हैं। सभी के सुझाव के बाद यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। हम जनजातियों के उत्थान के लिए लगातार काम कर रहे हैं। उनके स्वास्थ औैर आर्थिक स्थिति सुधारने की दिशा में भी हम काम कर रहे हैं।
हम सब मिलकर छत्तीसगढ़ के नवनिर्माण में सबकी भागीदारी हो औैर जो सपने हमारे पुरखों ने मिलकर देखा था उसे हम सभी को मिलकर पूरा करना है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में 42 प्रकार के जनजातीय निवास करते हैं जिनमें पांच प्रीमिटिव ट्राइब्स अबूझमाड़, कमार, पहाड़ी कोरवा, बिहोर औैर बैगा है। राज्य की एक तिहाई आबादी जनजातियों की है। उन्होंने कहा कि पूरे देश में जहां मंदी का असर रहा लेकिन छत्तीसगढ़ के वनांचलों में लॉकडाउन में भी हमने समर्थन मूल्य से दोगुने कीमत में हमने महुआ औैर इमली की खरीदी की। ये पहला राज्य जहां उद्योगों के लिए ली गई आदिवासियों की जमीन हमने वापस किया है। फॉरेस्ट राइट एक्ट में हम लगातार पट्टा दे रहे हैं।