Saturday, May 18, 2024
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BIG News: ओडिशा की महिला नक्सलियों ने CG में किया सरेंडर.. बोलीं- आदिवासियों की कमाई के लिए छत्तीसगढ़ में हो रहा अच्छा काम, भागने में लगे 20 दिन

दंतेवाड़ा: ओडिशा में नक्सल संगठन में काम कर रही दो महिला नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ पुलिस के सामने हथियार डाल दिए हैं। इनके सरेंडर करने की खास वजह छत्तीसगढ़ सरकार की योजनाएं और आदिवासियों के लिए किए जा रहे काम है। दोनों महिला माओवादियों ने मीडिया से बातचीत की। दोनों का कहना है कि, ओडिशा संगठन में चर्चा होती थी कि छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की आर्थिक स्थित मजबूत करने अच्छा काम हो रहा है। युवाओं को रोजगार, पक्का मकान मिल रहा है, और यहां सिर्फ हम जंगल-जंगल भटककर रहे थे। हमें भी काम करना था, इसलिए दंतेवाड़ा पहुंच सरेंडर कर दिए।

पढ़िए महिला नक्सलियों की ही जुबानी….

मेरा नाम हिड़मे उर्फ रामे करटामी है। मैं बड़े गुडरा गांव की रहने वाली हूं। साल 2017 में महिला नक्सली देवे गांव आई थी। मुझे घर से उठाकर लेकर चले गई। मैं पढ़ाई नहीं करती थी। घर वालों के साथ सिर्फ खेती किसानी करती थी। जब मुझे नक्सली लेकर गए तब मेरे अंदर अच्छे बुरे की समझदारी नहीं थी। मुझे नक्सलियों ने पढ़ाया, हथियार चलाना सिखाया। पुलिस और नेताओं को अपना दुश्मन बताया और उनके खिलाफ जंग के मैदान में उतारा। नक्सलियों ने जो बताया मैंने वह किया।

दोनों महिला नक्सली 20 से भागने का प्रयास कर रही थी।

दोनों महिला नक्सली 20 से भागने का प्रयास कर रही थी।

उम्र बढ़ती गई, समझदारी आती गई। फिर एकाएक ओडिशा के माओवाद संगठन में चर्चा होने लगी कि छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के लिए बहुत से काम हो रहे हैं। मैंने किसी तरह से घर पर पता। जनाकारी मिली गांव के कई लोगों को रोजगार मिला है। खेती किसानी करने ट्रैक्टर मिला। बेरोजगारों को रोजगार मिला। लोन दिया गया। गांव के युवा बड़े और स्मार्ट शहरों की सैर करने गए। हाईटेक सिटी को देख वैसे ही काम करने लगे। उनके विपरीत हम यहां काली वर्दी पहनकर सिर्फ जंगल-जंगल भटक रहे थे।

इस बीच मुझे जानकारी मिली थी जिस महिला नक्सली देवे ने मुझे संगठन में शामिल किया था वह भी संगठन को छोड़ चुकी है। सुकमा पुलिस के सामने उसने सरेंडर कर दिया है। जिसके बाद मेरा भी मन बदला। जंगल घूम-घूम कर शरीर ने भी साथ छोड़ दिया। बीमार होने लगी। सोची कि परिवार के पास जाऊं, अच्छी जिंदगी जिऊं। सरकार की योजनाओं का फायदा उठाकर खेती किसानी करूं। अच्छी कमाई कर गृहस्ती चलाऊं। यह बात मैंने अपने साथी महिला नक्सली मंगली कोवासी से कही। फिर दोनों ने भागने का विचार बनाया।

नक्सली हिड़में।

मंगली बोली- मुझे जिसने सरेंडर करवाया दोनों को एनकाउंटर में मारा

मैं जियाकोडता इलाके की रहने वाली हूं। साल 2019 में मुझे नक्सली हुरा और मुकेश अपने साथ लेकर चले गए थे। कुछ दिन बाद पता चला पुलिस ने एनकाउंटर में दोनों को मार गिराया है। मुझे भी डर लगने लगा कि कहीं एनकाउंटर में मैं मारी न जाऊं। कुछ सालों तक संगठन में थी। फिर एक दिन हिड़मे ने छत्तीसगढ़ में चल रहे कामों के बारे में बताया। घर जाने की बेसब्री थी लेकिन डर भी था, जाने की बात नक्सलियों को पता चल गई तो कहीं मार न दें। दोनों 20 दिनों से भागने का प्रयास कर रहे थे। लेकिन जंगल से निकल नहीं पा रहे थे 1 दिन रात के समय दोनों छिपते-छिपाते किसी तरह भाग निकले और दंतेवाड़ा में आकर सरेंडर कर दिया।

SP बोले– स्वागत है

दंतेवाड़ा के SP सिद्धार्थ तिवारी ने कहा कि, मुख्यधारा से भटककर नक्सल संगठन में शामिल हुए हर उन युवाओं का हम स्वागत करते हैं, जो घर वापसी करना चाहते हैं। दोनों महिला माओवादी छत्तीसगढ़ की ही रहने वाली हैं। लेकिन पिछले कई सालों से दोनों ओडिशा के माओवाद संगठन में सक्रिय थी। एक हिड़मे LOS सदस्य है। जिस पर 1 लाख का इनाम है। तो वहीं दूसरी कांगेरवेली एरिया एरिया कमेटी पार्टी सदस्य हैं। दोनों से बातचीत हुई है, कई बड़े खुलासे किए हैं। पुलिस ने दोनों का आधार कार्ड बनवाया है। बैंक में खाते भी खुलवाए गए हैं। अब योजनाओं का लाभ भी दिलवाएंगे।

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