राजस्थान: इंटरनेशनल बाइक राइडर असबाक मोन के मौत की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है। कहानी का मास्टरमाइंड किरदार है- राइडर की शातिराना और चालाक पत्नी सुमेरा। उसके अपने पति के कई दोस्तों से नाजायज संबंध थे। इसकी भनक पति को लगी तो सुमेरा ने उसे ही रास्ते से हटवाने की खतरनाक साजिश रची। मर्डर की पूरी स्क्रिप्ट बेंगलूरु में लिखी गई और सुमेरा का इशारा मिलते ही राइडर के दो दोस्तों ने जैसलमेर में उसे मौत के घाट उतार दिया। पति को दफनाने के बाद उसके अकाउंट से एक करोड़ रुपए का ट्रांजैक्शन किया गया। शातिर लेडी की चाल में एक बार तो पुलिस को भी फंस गई और केस को नेचुरल डेथ मानकर बंद कर दिया था, लेकिन अपराधी कितना ही चालाक क्यों न हो, कहीं न कहीं तो फंस जाता ही है।
दरअसल, 2018 में बाइक राइडर की जैसलमेर में मौत हुई थी। केस को बंद भी कर दिया गया। मगर 2020 में तत्कालीन एसपी अजय सिंह ने फाइल को देखा तो कई चौंकाने वाली बात सामने आई थी। सवाल उठा कि, गर्दन और रीढ की हड्डी में चोट के बाद राइडर ने बाइक को स्टैंड पर कैसे खड़ा किया होगा ? हेलमेट को बाइक पर कैसे लगाया होगा ? इन सवालों में पुलिस खुद भी उलझ गई। इसके बाद शुरू हुई मर्डर मिस्ट्री की पड़ताल। उस दौरान पुलिस को केस बंद करने के लिए 50 लाख रुपए घूस का ऑफर तक दिया गया था। मगर पुलिस ने ईमानदारी से पूरा सच दुनिया के सामने लाकर खड़ा कर दिया। केस को सॉल्व करने में तत्कालीन एसपी अजय सिंह (वर्तमान हनुमानगढ़), इंस्पेक्टर कांता सिंह (वर्तमान में रिटायर) और साइबर प्रभारी भीमराव का अहम रोल रहा।