बलरामपुर: जिले के वाड्रफनगर पुलिस चौकी क्षेत्र से एक मॉब लिंचिंग का मामला सामने आया है। बच्चा चोरी के शक में लोगों ने मूक-बधिर शख्स की जमकर पिटाई कर दी, जिससे उसकी मौत हो गई। पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है, हालांकि मामला एक महीना पुराना है, जिसका खुलासा अब जाकर हुआ है।
जानकारी के मुताबिक, ग्राम रामनगर में 4 अक्टूबर को एक मूक-बधिर युवक भलोई घूम रहा था। वो शंकरपुर का रहने वाला था। उसके माता-पिता की मौत काफी पहले हो चुकी थी। वो बेरोजगार था और इधर-उधर घूमता रहता था। वो इधर-उधर से मांगकर खाना भी खा लेता था। ग्राम रामनगर में जब लोगों ने एक अनजान युवक को घूमते हुए देखा, तो उसे बच्चा चोर समझ लिया। पूरे गांव में बच्चा चोर घुसने का हल्ला मच गया। लोगों की भीड़ धीरे-धीरे जुटने लगी।
बेरहमी से की गई थी युवक की पिटाई।
युवक से पूछताछ की जाने लगी, लेकिन वो मूक-बधिर था, इसलिए गांववालों के किसी भी सवाल का वो जवाब नहीं दे सका। जबकि लोगों ने समझा कि वो नहीं बोल या सुन सकने का नाटक कर रहा है। इसके बाद गांववालों ने उसे मारना शुरू किया। वो लोगों से इशारों में नहीं मारने की गुहार लगाता रहा, लेकिन किसी ने उसकी एक नहीं सुनी। बेरहमी से पिटाई होने के कारण वो गंभीर रूप से घायल हो गया। युवक जिन लोगों के साथ रहता था, उन्हें मामले का पता चला। वे मौके पर पहुंचे और गंभीर रूप से घायल भलोई को मिशन अस्पताल अंबिकापुर लेकर गए।
ग्रामीण ने दी जानकारी।
पीड़ित के परिचितों ने पुलिस से भी मामले की शिकायत की, लेकिन पुलिस ने समझौता करा दिया कि पीड़ित का इलाज में आने वाला खर्च आरोपी पक्ष देंगे। इसके बाद कोई कार्रवाई नहीं की। समझौते के कुछ दिन बाद उस पीड़ित की इलाज के दौरान मौत हो गई। अब जब वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, तब पुलिस केस दर्ज करने के लिए आवेदक को खोज रही है और अफसर मौत की अलग-अलग वजह बताकर खुद को पाक-साफ साबित करने में जुटे हुए हैं। मामले में अभी तक किसी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।
शंकरपुर का रहने वाला था युवक।
वाड्रफनगर के शंकरपुर निवासी पूर्व सरपंच सहदेव सिंह ने बताया कि माता-पिता की मौत के बाद उन्होंने ही भलोई (35 वर्ष) का पालन-पोषण किया था। बड़े होकर वो उनके घर में ही काम करने लगा था। उन्होंने बताया कि 4 अक्टूबर को वो बसपतिपुर सरपंच के रिश्तेदार के यहां जा रहा था, तभी कुछ लोगों ने रामनगर में उसे बच्चा चोर समझ लिया और उसके साथ जमकर मारपीट की। जो वीडियो वायरल हुआ है, उसमें साफ-साफ दिख रहा है कि उसके शरीर पर बेरहमी से मारे जाने के निशान हैं।
वाड्रफनगर पुलिस चौकी का मामला।
इस मामले में ग्राम पंचायत शंकरपुर के पूर्व सरपंच और अन्य जनप्रतिनिधियों ने बताया कि भलोई को लाठी-डंडों से पीटा गया था और उसके बाद उसे करंट भी लगाया गया था। उन्होंने कहा कि लोगों ने युवक को बंधक बना लिया था और मारने-पीटने के बाद मरने के लिए छोड़ दिया था। बाद में उसे गंभीर हालत में वाड्रफनगर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जब हालत बिगड़ी, तो उसे अंबिकापुर मिशन अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन घटना के 10 दिन बाद यानी 15 अक्टूबर को उसकी मौत हो गई थी। पूर्व सरपंच सहदेव सिंह ने कहा कि पुलिस की सबसे बड़ी गलती इलाज के नाम पर दोनों पक्षों में समझौता कराने की थी।
पुलिस अब खुद ले मामले में संज्ञान- अधिवक्ता
शासकीय अधिवक्ता हेमंत तिवारी का कहना है कि मारपीट का वीडियो वायरल है। पीड़ित की मौत हो चुकी है। जब पहले शिकायत के बाद समझौता हुआ है, तो अब पुलिस को खुद से अपराध दर्ज कर जांच करनी चाहिए और दोषियों को जेल भेजना चाहिए।
मृतक भलोई का शव।
मारपीट का वीडियो देखा है, लेकिन मौत की वजह निमोनिया बता रहे: एसपी
इधर एसपी मोहित गर्ग ने कहा कि मौत के मामले में किसी ने रिपोर्ट नहीं लिखवाई है। वहीं मिशन अस्पताल अंबिकापुर मौत की वजह निमोनिया बता रहा है। उन्होंने कहा कि युवक को वाड्रफनगर अस्पताल के बाद अंबिकापुर जिला अस्पताल और मिशन अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन कहीं से भी मारपीट से मौत की जानकारी नहीं दी गई है। एसपी ने कहा कि मारपीट का वीडियो उन्होंने देखा है, अगर कोई केस दर्ज कराता है, तो जांच करेंगे।
मारपीट करने वालों को किया जाए गिरफ्तार : सरपंच
शंकरपुर के सरपंच जीत सिंह ने कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि युवक के साथ बच्चा चोर समझकर मारपीट की गई। मौत के बाद पोस्टमॉर्टम तक नहीं कराया गया, इसीलिए उसके शव को दफनाया गया है। शव को निकालकर जांच करवानी चाहिए और मारपीट करने वालों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए।
रायपुर में भी महिला को बच्चा चोरी के शक में पकड़ लिया गया था।
2 महीने पहले रायपुर में हुआ था बच्चा चोरी का हल्ला
2 महीने पहले राजधानी रायपुर में भी बच्चा चोरी की अफवाह उड़ाकर लोगों ने महिला को घेर लिया था। गोलबाजार थाने में एक महिला को भीड़ बच्चा चोर बताकर ले आई थी। जानकारी के मुताबिक, एक महिला कुछ बच्चों को लेकर बाजार में घूम रही थी। लोगों को शक हुआ, तो उन्होंने महिला को घेर लिया था। महिला के साथ दिख रहे बच्चे महिला से मेल नहीं खा रहे थे। बाजार में मौजूद लोगों को लगा कि ये उसकी रिश्तेदार तो नहीं हो सकती, तो महिला को भीड़ ने पकड़ लिया था। महिला को थाने लाकर पूछताछ की गई, तो उसने एसओएस का कार्ड दिखाया और बताया कि वह माना से बच्चों को कपड़े की खरीदारी करने के लिए लेकर आई थी। तब पुलिस ने एसओएस माना के उच्च अधिकारियों को बुलाकर जानकारी ली और महिला को छोड़ दिया।