Sunday, May 5, 2024
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CG: पूर्व सीएम को हाईकोर्ट से मिली बड़ी राहत… आय से अधिक संपत्ति का मामला, कांग्रेस नेता की याचिका खारिज , HC ने कहा- कोई अपराध नहीं बनता

कांग्रेस नेता योगेश तिवारी की याचिका खारिज।

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को बड़ी राहत दे दी है। जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस एनके चंद्रवंशी ने उनके खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। साथ ही याचिका को न्यायालयीन प्रक्रिया का दुरुपयोग बताया है। कोर्ट ने माना है कि जिन तथ्यों पर याचिका दायर की गई थी, उसमें प्रथम दृष्टया कोई अपराध नहीं बनता।

पूर्व सीएम रमन सिंह पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने लगाया था आरोप।

कांग्रेस नेता विनोद तिवारी ने साल 2018 में एडवोकेट हर्षवर्धन परघनिया के माध्यम से हाईकोर्ट में रिट क्रिमिनल याचिका दायर की है। इसमें बताया गया है कि डॉ. रमन सिंह ने साल 2008, 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान अपनी संपत्ति की जानकारी छिपाई है। उन्होंने शपथ-पत्र में गलत जानकारी दी है। याचिकाकर्ता ने इसके खिलाफ पहले EOW और ACB में कई बार शिकायत की। लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं हुई। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से पूर्व मुख्यमंत्री की संपत्ति की जांच कराने की मांग की थी। इसके साथ ही हाईकोर्ट में केंद्रीय जांच एजेंसी को पक्षकार बनाने की मांग की भी की थी।

राजनीतिक दुभार्वना से दुष्प्रेरित बताया याचिका
इस याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह सहित अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इस पर पूर्व सीएम की तरफ से सीनियर एडवोकेट अनिल खरे और विवेक शर्मा ने तर्क देते हुए कहा था कि याचिका पूरी तरह से राजनीति से दुष्प्रेरित है। याचिका की तथ्यों में आय से अधिक संपत्ति का केस ही नहीं बनता। उन्होंने यह भी बताया कि याचिकाकर्ता डॉ. रमन सिंह आयकर दाता हैं। उनकी पूरी संपत्ति का उल्लेख चुनाव आयोग के पास उपलब्ध है। चुनाव में उन्होंने जब-जब नामांकन पत्र दाखिल किया है, तब उन्होंने शपथ पत्र के साथ पूरी जानकारी दी है।

हाईकोर्ट ने पक्ष में फैसला देते हुए खारिज की याचिका।

हाईकोर्ट ने पक्ष में फैसला देते हुए खारिज की याचिका।

डिवीजन बेंच ने खारिज की याचिका
सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने याचिका को राजनीति से प्रेरित बताते हुए खारिज कर दिया है। साथ ही कहा है कि इस तरह की याचिका न्यायालयीन प्रक्रिया का दुरुपयोग है। कोर्ट ने माना कि याचिका के तथ्यों पर प्रारंभिक रूप से कोई अपराध नहीं बनता है।

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