Saturday, May 18, 2024
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CG BREAKING- “ब्लैक फंगस” पंहुचा छत्तीसगढ़… कोरोना से ठीक हुए आधा दर्जन से अधिक लोगों में दिखा लक्षण…. एंफोटेरिसेन-बी इंजेक्शन की मांग बढ़ने के साथ ही किल्लत शुरू

तीन दिन से राजधानी में एंफोटेरिसेन-बी के 10-15 इंजेक्शन की रोज मांग बढ़ी

रायपुर: कोरोना संक्रमित होकर क्रिटिकल हुए और फिर ठीक हुए कुछ मरीजों की आंखों की रोशनी पर ब्लैक फंगस का खतरा छत्तीसगढ़ में भी नजर आने लगा है। प्रदेशभर में ऐसे आधा दर्जन कोरोना से ठीक हुए मरीज हैं, जिनकी आंखों में ब्लैक फंगस यानी म्यूकर माइकोसिस के लक्षण दिख रहे हैं।

ऐसे ज्यादातर मरीज वो हैं, जिन्हें पहले से शुगर भी थी। इन्हें म्यूकर माइकोसिस से बचाने के लिए एंफोटेरिसेन-बी इंजेक्शन जरूरी है और गंभीर मामला यह है कि इंजेक्शन थोक और रिटेल, दोनों ही बाजार में उपलब्ध नहीं है। जबकि रायपुर में 3 दिन से रोजाना ऐसे 10-15 इंजेक्शन की मांग आ रही है।

प्रदेश में पिछले एक हफ्ते से कुछ मरीजों में ब्लैक फंगस के लक्षण दिखे हैं। इंजेक्शन लगाने के बाद यह इंफेक्शन ठीक हो सकता है, इसलिए कई निजी अस्पताल संचालक थोक दवा कारोबारियों से इंजेक्शन के लिए संपर्क कर रहे हैं। भास्कर ने मंगलवार को थोक दवा बाजार व मेडिकल स्टोर से संपर्क किया तो पता चला कि यह इंजेक्शन बाजार में ही उपलब्ध नहीं है। उनका कहना है कि पहले इस इंजेक्शन की डिमांड नहीं थी। कुछ इंजेक्शन पड़े-पड़े एक्सपायर हो गए, क्योंकि बिक नहीं पाए।

अचानक डिमांड से दवा कारोबारी भी हैरान है। मांग आने के बाद वे दवा कंपनियों से संपर्क कर रहे हैं, लेकिन दवा कंपनियां उन्हें सप्लाई करने का समय तक नहीं बता पा रही हैं। स्टेरायड बढ़ा रहा खतरा : दरअसल जिन मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत लंबे समय तक पड़ी है और डायबिटीज भी है, उन्हें स्टेरायड देने की वजह से यह खतरा बढ़ा है।

जब मरीजों काे स्टेरायड दिया जाता है, तब शरीर में शुगर लेवल बढ़ जाता है। जिन्हें शुगर की बीमारी नहीं है, स्टेरायड के कारण वे भी डायबिटीज के मरीज बन गए हैं। पोस्ट कोविड ओपीडी में ऐसे रोजाना 10 से 15 मरीज इलाज कराने के लिए पहुंच रहे हैं।

यह है ब्लैक फंगस?

ये एक फंगस से होने वाली बीमारी है, जो म्यूकर माइकोसिस नाम के फंगस से होता है। ये बहुत गंभीर लेकिन रेयर इंफेक्शन है। ये फंगस वातावरण में कहीं भी रह सकता है, खासतौर पर जमीन व सड़ने वाले ऑर्गेनिक मैटर्स में। जैसे पत्तियों, सड़ी लकड़ियों और कंपोस्ट खाद में ब्लैक फंगस पाया जाता है। ज्यादातर सांस के जरिए यह शरीर में पहुंचता है। अगर शरीर में किसी तरह का घाव है, तो वहां से भी ये इंफेक्शन शरीर में फैल सकता है। अगर इसे शुरुआती दौर में ही डिटेक्ट नहीं किया जाता तो आंखों की रोशनी जा सकती है। या जहां यह फैलता है, वह हिस्सा सड़ सकता है।

एक भी केस पुष्ट नहीं

राहत की बात यह है कि अभी तक प्रदेश में म्यूकर माइकोसिस के एक भी केस की पुष्टि नहीं हुई है। हालांकि कुछ नेत्र रोग विशेषज्ञों ने इस बात की जानकारी दी है कि दो से तीन मरीजों में काले फंगस के लक्षण दिखे हैं, पर पुष्टि होनी बाकी है। दरअसल इन मरीजों की कल्चर टेस्ट रिपोर्ट नहीं आई है। जरूरी ब्लड टेस्ट, सीटी स्कैन व एमआरआई, इंडोस्कोपी की रिपोर्ट बाकी है, इसलिए लक्षण पुष्ट नहीं माने जा रहे हैं।

लक्षण इस तरह

  • चेहरे का एक तरफ सूजना
  • सिरदर्द, नाक बंद, उल्टी, बुखार
  • चेस्ट पेन होना, साइनस होना
  • मुंह या नाक पर काले घाव

एक्सपर्ट व्यू

एंफोटेरिसेन-बी इंजेक्शन मांग नहीं होने से एक्सपायर हो जाता है। पिछले तीन दिनों से 10 से ज्यादा इंजेक्शन की मांग आ रही है। देश में 5 कंपनियां ये इंजेक्शन बनाती है, लेकिन वहां भी उपलब्ध नहीं है।
-संजय रावत, अध्यक्ष थोक दवा बाजार रायपुर

प्रदेश में म्यूकर माइकोसिस का एक भी केस नहीं है। स्टेरायड से डायबिटीज के मरीजों पर रिस्क बढ़ता है, आंख को ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। इसलिए लक्षण दिखते ही डॉक्टर को दिखाने की जरूरत है।
-डॉ. सुभाष मिश्रा, मीडिया प्रभारी स्टेट कोरोना सेल

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