Friday, May 10, 2024
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CG: लघु धान्य फसल पोषक तत्वों से भरपूर एवं स्वास्थ्य के लिए लाभदायक- कलेक्टर

  • किसानों को लघु धान्य फसल की खेती लिए प्रोत्साहित करने के दिए निर्देश
  • विद्यार्थियों को उत्कृष्ट निबंध लेखन के लिए प्रदान किया प्रशस्ति-पत्र
  • एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित

मुंगेली: आज जिला कलेक्टोरेट स्थित मनियारी सभाकक्ष में लघु धान्य फसलों पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में कृषि विज्ञान केन्द्र के विशेषज्ञों द्वारा सूक्ष्म लघु धान्य फसलों की उन्नत उत्पादन तकनीक के विषय में जानकारी दी गई। इस अवसर पर कार्यशाला को संबोधित करते हुए कलेक्टर श्री राहुल देव ने कहा कि लघु धान्य फसल कोदो कुटकी रागी पोषक तत्वों से भरपूर एवं इसका उपयोग स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। कई बीमारियों को दूर करने में भी इसका उपयोग होता है। कलेक्टर ने कार्यशाला में उपस्थित किसानों से संवाद कर उन्हें कोदो कुटकी एवं रागी के उत्पादन हेतु प्रोत्साहित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के मंशानुरूप कोदो कुटकी एवं रागी उत्पादन को समर्थन मूल्य में उपार्जन किया जा रहा है। उन्होंने जिले में अधिक से अधिक कोदो कुटकी रागी उत्पादन हेतु लक्ष्य निर्धारित कर किसानों को इसकी खेती के लिए प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने लघु धान्य फसलों पर उत्कृष्ट लेखन पर तीन विद्यार्थियों को प्रशस्ति-पत्र और उपहार भी प्रदान किया।

         कृषि विभाग के उपसंचालक ने बताया कि मिलेट मिशन योजनांतर्गत मिलेट्स कोटो, कुटकी, रागी, ज्वार, बाजरा के पोषक गुणों एवं खाद्य सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए आमजनों में जागरूकता लाने व दैनिक आहार में शामिल करने एवं उत्पादन, उत्पादकता विपणन को प्रोत्साहित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 मनाया जा रहा है। कार्यशाला में प्रेजेन्टेशन के माध्यम से बताया गया कि लघु धान्य फसल पोषक तत्वों से परिपूर्ण होता है। इनमें पाए जाने वाले कार्बोहाइड्रेट चावल एवं गेहूं की तुलना में अधिक धीमी गति से पाचन होकर रक्त में मिलता है। लघु धान फसल पित्त विरोधी, लसमुक्त, टाईप टू मधुमेह को रोकने में मदद करता है। साथ ही रक्तचाप को कम करने में प्रभावी है। कब्ज, अधिक गैस, सूजन और ऐंठन जैसी समस्याओं को दूर करता है। उन्होंने बताया कि लघु धान्य फसल की उत्पादकता के लिए कृषकों का प्रशिक्षण, सही भूमि का चुनाव एवं सही प्रकार से बुआई, संतुलित एवं अनुशंसित उर्वरक प्रबंधन, सही किस्मों का चुनाव, प्रमाणित बीज, सही समय पर फसल की कटाई एवं भंडारण की व्यवस्था, उचित फसल चक्र, उचित विपणन व्यवस्था आदि आवश्यक है। इस अवसर पर अपर कलेक्टर श्री तीर्थराज अग्रवाल, उपसंचालक कृषि श्री डी. के. व्यौहार सहित संबंधित विभाग के अधिकारी-कर्मचारी, कृषकगण और प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया के प्रतिनिधिगण उपस्थित थे।

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