रायपुर: छत्तीसगढ़ में पहला राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव शुरू हो चुका है। उद्घाटन सत्र में पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जनजातीय धुनों पर खुद को नृत्य करने से नहीं रोक पाए। मुख्यमंत्री खुद “मुंडा बाजा’ लेकर लोकनर्तकों के बीच पहुंच गए। इस दौरान उन्होंने एक बच्चे को भी गोद में उठा लिया।
मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम और संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत भी नाचने उतर गए।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ आदिवासी विकास विभाग के मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम और संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत भी नाचने उतरे। बस्तर के लोक नर्तकों के साथ मुख्यमंत्री और मंत्री देर तक नाचते रहे। इस दौरान पं. दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में बैठे दर्शक भी अपनी जगह पर झूमते दिखे।
बच्चे को लेकर भी खूब झूमे मुख्यमंत्री।
महोत्सव के उद्घाटन सत्र में प्रख्यात बस्तर बैंड ने आदिम धुनों के साथ यह माहौल बनाया था। तीन दिन के महोत्सव में प्रत्येक शाम छत्तीसगढ़ की विभिन्न नृत्य विधाओं का प्रदर्शन किया जाना है। इसमें जनजातीय नृत्य शैला, सरहुल, करमा, सोन्दो, कुडुक, डुंडा, दशहरा करमा, विवाह नृत्य, मड़ई नृत्य, गवरसिंह, गेड़ी, करसाड़, मांदरी, डण्डार आदि नृत्यों का प्रदर्शन शमिल है। इसके अलावा शहीद वीर नारायण सिंह, गुंडाधुर और जनजातीय जीवन पर आधारित नाटक भी खेले जाएंगे।