Wednesday, May 8, 2024
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BCC News 24: CG न्यूज़- कोरोना नहीं मधुमक्खी का डर.. पीपीई किट पहनकर पानी की सप्लाई चालू कर रहे नगर पंचायत कर्मी, छत्तों को हटाने प्रशासन गंभीर नहीं

जशपुरनगर: कुनकुरी में व्यवसायी दंपती की शवयात्रा में मधुमक्खियों के हमले में 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए। ऐसा खतरा जिले के अन्य शहरों में बरकरार है। जशपुर शहर में कई जगहों पर पेड़ों पर मधुमक्खियों के सैकड़ों छत्ते मौजूद हैं। रिहायसी इलाकों से इन छत्तों को हटाने के लिए अबतक कोई विशेष पहल नहीं हुई है, क्योंकि छत्तों को हटाने के लिए कोई टीम ही प्रशासन के किसी भी विभाग के पास मौजूद नहीं है। एक दो छत्ते रहे तो हटाना आसान है, पर यहां एक ही पेड़ पर कई छत्ते हैं। इसलिए स्थानीय लोग भी इन छत्तों को हटाने का जोखिम नहीं लेते हैं। कोतबा में ऐसा ही हाल है। यहां कर्मी पीपीई किट पहनकर पानी सप्लाई चालू कर रहे हैं।

रविवार काे कुनकुरी में मुक्तिधाम के रास्ते पर शवयात्रा पर मधुमक्खियों के हमले की घटना के बाद शहर में भी मधुमक्खी के छत्तों को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं, पर इन छत्तों को हटाकर लोगों को सुरक्षित करने के लिए प्रशासन के पास ना तो टीम है और ना ही संसाधन है। गर्मी के दिनों में मधुमक्खियों के हमले का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि गर्मी की वजह से मधुमक्खियां इस सीजन में एग्रेसिव रहती हैं।

इन वजहों से भड़कती हैं
जबतक छत्तों पर कोई छेड़छाड़ ना हो मधुमक्खियां अपने काम में लगी रहती हैं। पर जब छत्तों के साथ छेड़छाड़ हो ताे मधुमक्खियां भड़क जाती हैं। अधिकांशत: बाज के पंख छत्तों को तेाड़ते हैं जिससे मधुमक्खियां आक्रोशित होती हैं। इसके अलावा छत्ते के नीचे धुआं होने से मधुमक्खियों के हमले का खतरा बना रहता है। छत्ताें पर किसी शोभायात्रा के दौरान झंडे के डंडे से छेड़छाड़ होने से खतरा रहता है। छत्तों के नीचे से तीव्र आवाज में डीजे या लाउडस्पीकर बजने से भी खतरा रहता है। यदि सावधानी बरती जाए तो खतरा कम होता है।

टीम की है जरूरत
डीएफओ जितेन्द्र उपाध्याय रिहायशी इलाकों में मधुमक्खियों के छत्ते का उपाय राजस्व विभाग व पालिका के साथ संयुक्त टीम बनाकर ही किया जा सकता है। विभाग के पास मधुमक्खियों का छत्ता हटाने के लिए विशेष टीम नहीं है। किट का भी अभाव है। कुछ स्थानीय लोग छत्ता हटाने का काम करते हैं। जरूरत पड़ने पर स्थानीय टीम की ही मदद ली जाती है।

टंकी पर दर्जनों छोटे-बड़े छत्ते, कर्मियों पर बार-बार हो रहे हमले
कोतबा में नल जल योजना के तहत बनी पानी की टंकी में मधुमक्खियों के दर्जनों छोटे-बड़े छत्ते बन गए हैं। इन दिनों मधुमक्खियां बार-बार हमला कर रही है। ऐसी स्थिति में जल प्रदाय शाखा के कर्मचारी जो टंकी में पहुंचकर काम करते हैं, उन्हें पीपीई किट पहनकर काम करना पड़ रहा है।

टंकी में बोर से पानी चढ़ाने से लेकर नलों में पानी सप्लाई चालू करने का काम नगर पंचायत कर्मी द्वारा पीपीई किट पहनकर कर रहे है। कर्मचारी ने बताया कि कई बार मधुमक्खियों ने उसे डंक मारा है और एक बार तो बड़ी मुश्किल से उसने अपनी जान बचाई थी। सुरक्षा को देखते हुए टंकी के नीचे रहते तक उसे पीपीई किट पहनना पड़ रहा है। बीते कई दिनों से जिस कर्मचारी की ड्यूटी टंकी में पानी चढ़ाने व सप्लाई में लगती है, उसे पीपीई किट ही पहनना पड़ रहा है।

टंकी की सफाई व मरम्मत भी नहीं हो रही टंकी में बने मुधमक्खी के छत्तों की वजह से कई सालों से नपं की टंकी की सफाई नहीं हो पाई है। रोजाना इसी टंकी पर पानी चढ़ाया जाता है और सप्लाई कर दी जाती है। टंकी की बाहरी दीवारों पर काई जम चुका है। ऐसे में टंकी के भीतर का अंदाजा लगाया जा सकता है। टंकी को मरम्मत की भी जरूरत है जो नहीं हो पा रही है।

यह हैं जशपुर शहर के डेंजर जोन
1-
 दोनों प्रवेश द्वार शहर के रायगढ़ रोड से प्रवेश के लिए गम्हरिया में बने प्रवेश द्वार और रांची रोड से गिरांग में बने प्रवेश द्वार दोनों ही डेंजर हैं। दोनों प्रवेश द्वार पर मधुमक्खियों के बड़े छत्ते हैं। इस प्रवेश द्वार से गुजरते वक्त लोगों को सावधान रहने की जरूरत है।
2- बीईओ कार्यालय कोर्ट कॉलोनी भागलपुर रोड में बीईओ कार्यालय व कोर्ट कॉलोनी में एक ही पेड़ पर मधुमक्खियों के सैकड़ों छत्ते हैं। इस स्थान पर हर वक्त खतरा बना रहता है। हालांकि यहां की मधुमक्खियों द्वारा अबतक हमला नहीं किया है। इस पेड़ से मधुमक्खियों को हटाना अब संभव नहीं है।
3- जिला अस्पताल के पास जिला अस्पताल के पास बाउंड्री वाल से लगे पेड़ पर मधुमक्खियों के सैकड़ों छत्ते हैं। यह इलाका हर वक्त चहल-पहली वाला इलाका है। इस पेड़ पर मधुमक्खियों के छत्तों की वजह से ना सिर्फ आम नागरिक बल्कि अस्पताल के मरीज व स्टॉफ को भी खतरा बना रहता है। कई बार इन छत्तों के की मधुमक्खियों ने हमला किया है।
4- कल्याण आश्रम कार्यालय वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय कार्यालय के पास भी दो पेड़ों पर मधुमक्खियों के सैकड़ों छत्ते हैं। इन छत्तों की मधुमक्खियों ने भी कई बार हमला बोला है। यहां से भी छत्तों को हटाना आसान नहीं है।

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