Saturday, April 27, 2024
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MP के नगरीय निकायों में फेरबदल रुका: प्यून से लेकर CMO तक के तबादले; लेकिन डेपुटेशन पर वर्षों से जमे अफसरों की लिस्ट जारी नहीं हुई, मंत्री नाराज….

मध्यप्रदेश के नगरीय निकायों में बड़ा फेरबदल अब तक नहीं हो सका है। विभाग ने प्यून से लेकर CMO (मुख्य नगर पालिका अधिकारी) के तो तबादले कर दिए, लेकिन डेपुटेशन के बहाने सालों से जमे अफसर-कर्मचारियों को वापस उनके मूल विभाग में लौटाने के आदेश जारी नहीं किए। लिस्ट जारी नहीं होने और उसमें से नामों की छंटनी होने से नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह भी नाराज है। बताया जाता है कि लिस्ट से करीब 200 नाम कम हो गए।

31 अगस्त की रात तक नगरीय प्रशासन विभाग में तबादलों का दौर जारी रहा। एक के बाद एक 7 ट्रांसफर लिस्ट निकली। इसमें कुल 277 अधिकारी-कर्मचारियों के नाम थे। इनमें CMO, सफाई संरक्षक, चौकीदार, सब इंजीनियर, असिस्टेंट इंजीनियर, रेवेन्यू इंस्पेक्टर, असिस्टेंट रेवेन्यू इंस्पेक्टर, ग्रेड-1, 2 और 3, प्यून तक शामिल हैं। इसके साथ डेपुटेशन पर जमे अधिकारी-कर्मचारियों की लिस्ट के आने का भी इंतजार किया जा रहा था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, हालांकि डेपुटेशन पर जमे अफसर-कर्मचारियों को वापस लौटाने में रोक आड़े नहीं आएगी। विभागीय अधिकारियों का कहना है, डेपुटेशन पर आए कर्मचारियों को वापस लौटाने की जल्द लिस्ट जारी होगी।

पिछले साल भोपाल में हुए थे ऑर्डर
भोपाल नगर निगम में अनेक अधिकारी-कर्मचारी अन्य विभागों के हैं, जिन्हें हटाने के लिए पिछले साल प्रशासक कवींद्र कियावत ने 66 कर्मचारियों को मूल विभाग में भेजने के आदेश जारी किए थे, हालांकि बाद में कई कोर्ट से स्टे ले आए थे। अन्य निकायों में भी ऐसे ही हालात बने थे, इसलिए अबकी बार नगरीय प्रशासन विभाग ने ट्रांसफर करने का काम अपने हाथों में लिया।

कई मंत्रियों के बंगलों पर दे रहे दस्तक
भोपाल नगर निगम में ही कई अधिकारी दूसरे विभागों के हैं। सहायक यंत्री के तौर पर तैनात एक अधिकारी का मूल विभाग PHE है। नगर पालिका मुरैना में तैनात एक कर्मचारी भोपाल नगर निगम में सहायक लेखा अधिकारी है। कुछ अफसर भी हैं, जिनके मूल विभाग दूसरे हैं, लेकिन वे वर्षों से यहां पदस्थ है। वापस भेजने वाली लिस्ट में इनका नाम भी है, हालांकि कई अफसर-कर्मचारी मंत्रियों के बंगलों पर भी दस्तक दे रहे हैं, ताकि वे नहीं हटाए जा सकें।

यह वजह भी है: आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए वापस भेजने का निर्णय
कोरोना काल में कई नगर निकायों की आर्थिक स्थिति काफी खस्ता हो चुकी है, इसलिए प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारी-कर्मचारियों को वापस भेजने की तैयारी विभाग स्तर पर जुलाई में ही शुरू हो गई थी। ऐसे अधिकारी-कर्मचारियों की लिस्ट भी बनाई गई थी, हालांकि लिस्ट में सालों से निकायों में जमे 912 अधिकारी-कर्मचारी के नाम शामिल होने की बात सामने आई थी, लेकिन बाद में लिस्ट से करीब 200 नाम हट गए। इसे लेकर वरिष्ठ अफसरों से लेकर मंत्री तक में नाराजगी देखने को मिल रही है।

आर्थिक हालत ठीक नहीं होने के कारण ही शहर में ही सीवेज, पाइप लाइन, गोवर्धन परियोजना आदि से जुड़े कई प्रोजेक्ट पर असर पड़ रहा है। दूसरी ओर प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारी-कर्मचारियों पर निगम का खर्च कम नहीं हो रहा है। सुविधाओं पर प्रति माह खासा खर्च होता है।

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