रायपुर: राज्य सरकार ने वन उत्पादों से बनी औषधियों और दूसरे प्रोडक्ट्स की बिक्री बढ़ाने के लिए एक नई कोशिश शुरू की है। छत्तीसगढ़ हर्बल्स ब्रांड नाम के इन उत्पादों को अब शहरों के श्री धन्वंतरी जेनेरिक मेडिकल स्टोर से भी बेचा जाएगा। यह भी किया गया है कि छत्तीसगढ़ हर्बल्स की श्रेणी का कोई दूसरा ब्रांड अब वहां नहीं बिकेगा।
दरअसल सरकार ने शहरी क्षेत्रों में सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने के लिए श्री धन्वंतरी जेनेरिक मेडिकल स्टोर की शुरुआत की थी। इसमें जेनेरिक दवाओं के साथ छत्तीसगढ़ हर्बल्स के उत्पादों की बिक्री का भी प्रावधान था। 10 जून को नगरीय प्रशासन विभाग ने एक आदेश जारी कर मुख्यमंत्री सस्ती दवा योजना के दिशा-निर्देशों से एक पैराग्राफ मिटा दिया। इसी पैराग्राफ में छत्तीसगढ़ हर्बल्स के उत्पाद की बिक्री का प्रावधान था। उसके बाद जेनरिक दवा दुकानों पर छत्तीसगढ़ हर्बल्स की आवक रुक गई। अब नगरीय प्रशासन विभाग ने नया आदेश जारी कर पुराने निर्देशों में नया पैराग्राफ जोड़ दिया है। इसके मुताबिक- छत्तीसगढ़ हर्बल ब्रांड द्वारा निर्मित उत्पाद श्री धन्वंतरी जेनेरिक मेडिकल स्टोर के माध्यम से बेचे जाएंगे। इसके साथ ही साथ छत्तीसगढ़ हर्बल द्वारा निर्मित उत्पाद की प्रकृति के समान अन्य उत्पाद अथवा ब्रांड का विक्रय श्री धन्वंतरी जेनेरिक मेडिकल स्टोर पर प्रतिबंधित होगा। यानी अगर छत्तीसगढ़ हर्बल्स च्यवनप्राश बना रहा है तो जेनेरिक मेडिकल स्टोर किसी दूसरे ब्रांड की च्यवनप्राश नहीं बेच सकते हैं। सरकार का कहना है कि इस कदम से हर्बल उत्पादों के प्रसंस्करण में शामिल महिला स्व-सहायता समूहों की आय में वृद्धि होगी।
आयुर्वेदिक दवाओं की अच्छी-खासी रेंज
बताया जा रहा है, छत्तीसगढ़ हर्बल्स ब्रांड नाम से आयुर्वेदिक दवाओं की अच्छी खासी रेंज तैयार हो रही है। इसमें च्यवनप्राश, कालमेघ चूर्ण, त्रिफला चूर्ण, पंचसकार चूर्ण, आमलकी चूर्ण, मधुमेह नाशक चूर्ण, हरड़ चूर्ण, अश्वगंधा चूर्ण, अविपत्तिकर चूर्ण, भृंगराज तेल, महाविषगर्भ तेल, आर्गेनिक वन शहद, जामुन जूस, आंवला जूस, महुआ आरटीएस आदि शामिल है।
अभी तक संजीवनी से बेच रहे थे
छत्तीसगढ़ में अभी ये उत्पाद छत्तीसगढ़ हर्बल्स संजीवनी आउटलेट्स के जरिए बेचे जा रहे थे। प्रदेश के विभिन्न शहराें में इसके 30 केंद्र संचालित हैं। इसके अलावा ई-काॅमर्स वेबसाइट्स के जरिए इसकी ऑनलाइन बिक्री भी हो रही है। विभाग की ओर से देश भर की प्रदर्शनियों के जरिए भी इन उत्पादों की बिक्री होती रही है।