Tuesday, May 7, 2024
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रायपुर में सामने आ सकता है टैंकर घोटाला: पिछली गर्मी में लॉकडाउन, लोग घरों से नहीं निकले फिर भी जमकर चले टैंकर, सवा करोड़ का भुगतान….

  • लॉकडाउन में शहर में टैंकर नहीं चले, कुछ जगह चले भी तो बहुत कम, फिर भी जोन में 46 टैंकरों की इंट्री

कोरोना महामारी की वजह से पिछले साल गर्मी में पानी की किल्लत नहीं थी। इसी दौरान लॉकडाउन भी रहा और लोग घरों से कम निकले। इसके बावजूद नगर निगम के अलग-अलग जोन दफ्तरों ने अप्रैल से मई तक शहर में 46 टैंकर चलाने की एंट्री दस्तावेजों में की और अलग-अलग जोन से कुल सवा करोड़ रुपए का बिल भेजा, जिसे मुख्यालय ने पास भी कर दिया।

इन बिलों के भुगतान की प्रक्रिया हाल में शुरू हुई और बात जनप्रतिनिधियों तक पहुंची तो वे चौंके क्योंकि लॉकडाउन के दौरान शहर में इक्का-दुक्का टैंकर ही नजर आए थे। इस मामले की शिकायत के बाद निगम के आला अफसरों ने जांच बिठा दी है।

कोरोना महामारी की वजह से पिछले साल 19 मार्च से रायपुर में लॉकडाउन था। इस दौरान पूरे शहर में धारा 144 लागू रही। लोगों को एक साथ इकट्‌ठा होने की मनाही थी। घरों से बाहर निकलने वालों को पुलिस डंडे लेकर दौड़ा रही थी। सभी काम-धंधे बंद थे। ज्यादा पानी खपत करने वाले होटल, रेस्टोरेंट, नाश्ता सेंटर, सभी छोटे-बड़े कारखाने यहां तक रायपुर के आसपास सभी फैक्ट्रियां बंद थीं। पानी जार की सप्लाई करने वाले सभी प्लांट बंद थे, जो आमतौर पर जमीन से पानी लेकर इसका कारोबार करते हैं।

अधिकांश सरकारी-निजी दफ्तरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर ताले गए थे। पूरा शहर लगभग चार महीने बंद था। निगम का ही रिकार्ड बता रहा है कि इस दौरान पानी की खपत आधी से भी कम हो गई। वार्डों में पानी की कहीं दिक्कत ही नही थी।

इसके बावजूद साल 2020 में निगम के ज्यादा जोन में औसत टैंकरों का औसत 20 लाख से ज्यादा का बिल बना है। सभी आठों जोनों का बिल 1.34 करोड़ रुपए का पहुंच गया है। शिकायत इसीलिए की गई कि जब लॉकडाउन में जब शहर में टैंकर नजर ही नहीं आए, तब इतना बिल कैसे बना और 46 टैंकरों ने रोजाना औसतन 200 चक्कर आखिर किन क्षेत्रों में लगा दिए?

लॉकडाउन से पहले का टेंडर, रेट 405/ट्रिप
नगर निगम ने लॉकडाउन से पहले टैंकरों के लिए टेंडर जारी किया था। छह फर्मों ने 405 रुपए प्रति टैंकर का रेट भरा था। कुल 46 टैंकरों का टेंडर हुआ था। टैंकरों से पानी की सप्लाई शुरू होती, उससे पहले ही 19 मार्च को लॉकडाउन लग गया।

टेंडर होने के बाद यह जोनों को तय करना होता है कि वे कहां-कहां कितने टैंकर चलाएंगे। आमतौर पर वार्डों से टैंकरों की डिमांड आती है। गर्मी में पानी की खपत बढ़ जाने और बोर इत्यादि सूखने के कारण टैंकरों से पानी की सप्लाई की जरूरत पड़ती है। शहर के कुछ इलाके जैसे भनपुरी, उरला, सिलतरा जैसे इलाकों में ग्राउंड वाटर पीने लायक नहीं रहता। वहां निगम के नियमित टैंकर सालभर चलते हैं।

गड़बड़ियों की शिकायत पुरानी
नगर निगम में पानी सप्लाई को लेकर हर साल गड़बड़ी की शिकायत रहती है। आमतौर पर ठेकेदारों के खिलाफ फर्जी बिलिंग की शिकायत रहती है। आमतौर पर शिकायत रहती है कि दिन में चार या छह फेरे चलाकर ठेकेदार 10 फेरों की बिल जमा कर देते हैं।

इस तरह गर्मी के ढाई-तीन महीने के टैंकरों के किराए में लाखों रुपए की फर्जी बिलिंग दिखा दी जाती है। कोरोना लॉकडाउन में स्थिति ही दूसरी थी और लोगों ने टैंकरों से पानी लिया ही नहीं, तब भी सवा करोड़ से ज्यादा का बिल निगम के जनप्रतिनिधियों ही नहीं, अफसरों के गले भी नहीं उतर रहा है।

जांच करवाएंगे : मेयर ढेबर
^ कुछ इलाकों से टैंकर की मांग आ रही थी। बिलिंग में गड़बड़ी की शिकायतें मिल रही हैं, इसलिए इसकी जांच करवाएंगे। अगर गड़बड़ी मिली तो दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करेंगे। एजाज ढेबर, महापौर रायपुर

भ्रष्टाचार का इशारा : मीनल
^ गर्मी में लॉकडाउन था। पानी की कहीं कोई किल्लत नहीं थी। इसके बावजूद भारी-भरकम बिल भ्रष्टाचार की ओर इशारा कर रहा है। मीनल चौबे, पार्षद-पूर्व जोन अध्यक्ष

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