Friday, April 26, 2024
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मनोरोगी महिला घर से चली गई थी, 7 साल इंतजार के बाद समाज के दबाव में किया श्राद्ध; वीडियो देख ओडिशा के गांव से लेकर लौटा बेटा…

सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक वीडियो ने 8 साल बाद एक बेटे को उसकी बिछड़ी मां से मिला दिया। बेटा 7 सालों तक मां के लौटने का इंतजार करता रहा, लेकिन फिर समाज की रस्मों रिवाज और दबाव के चलते पिछले साल श्राद्ध किया। इसके बाद भी मां को तलाश करने की उसकी लालसा कम नहीं हुई। इस बीच सामने आए एक वीडियो ने उसे छत्तीसगढ़ के गरियाबंद से ओडिशा के एक गांव तक पहुंचा दिया। अब मां घर में हैं और इस चमत्कार को देखने पूरा गांव उमड़ पड़ा है।

दरअसल, गोहेकला निवासी बलभद्र नागेश की मां मरुवा बाई मानसिक रोगी हैं। वह अक्सर घर से निकल जाती थीं। फिर एक-दो दिन में लौट भी आतीं, लेकिन साल 2013 में वह घर से गईं तो फिर वापस नहीं आईं। तब बलभद्र ने परिवार के साथ मां को अलग-अलग जिलों में तलाश किया, लेकिन उनका कुछ पता नहीं चला। हर किसी ने मान लिया था कि मरुवा बाई अब जीवित नहीं हैं, पर बलभद्र को यकीन था कि मां एक दिन जरूर लौटेंगी। इसके चलते ही लंबा समय बीत जाने के बावजूद उन्होंने मां का श्राद्ध नहीं करवाया।

बलभद्र नागेश ने बताया कि व्हॉट्सऐप ग्रुप पर एक वीडियो गांव के ही एक व्यक्ति को मिला था। जानकारी जुटाई तो पता चला कि वीडियो ओडिशा में बलांगीर जिले के किसी गांव का है।

बलभद्र नागेश ने बताया कि व्हॉट्सऐप ग्रुप पर एक वीडियो गांव के ही एक व्यक्ति को मिला था। जानकारी जुटाई तो पता चला कि वीडियो ओडिशा में बलांगीर जिले के किसी गांव का है।

व्हॉट्सऐप ग्रुप पर आए एक वीडियो ने ओडिशा तक पहुंचा दिया
बलभद्र नागेश ने बताया कि व्हॉट्सऐप ग्रुप पर एक वीडियो गांव के ही एक व्यक्ति को मिला था। उसने छोटे भाई को भेजा। वीडियो में दिख रही महिला के मां होने की संभावना पर उसने बलभद्र को वीडियो फॉरवर्ड किया। जानकारी जुटाई तो पता चला कि वीडियो ओडिशा में बलांगीर जिले के किसी गांव का है। इस पर परिवार उसे लेने पहुंच गया। वहां दो दिन की तलाश के बाद आखिरकार बलभद्र का उसकी मां मरुवा बाई मिल गई। उसे लेकर गुरुवार को गांव लौटे तो परिवार में खुशियां वापस आ गईं।

दो दिन की तलाश के बाद आखिरकार बलभद्र का उसकी मां मरुवा बाई मिल गई। उसे लेकर गुरुवार को गांव लौटे तो परिवार में खुशियां वापस आ गईं।

दो दिन की तलाश के बाद आखिरकार बलभद्र का उसकी मां मरुवा बाई मिल गई। उसे लेकर गुरुवार को गांव लौटे तो परिवार में खुशियां वापस आ गईं।

जीते जी मां का श्राद्ध करने का मलाल और दुख है बलभद्र को
बलभद्र को जीते जी अपनी मां का श्राद्ध कर्म करने का बहुत मलाल है। उन्हें दुख भी है कि समाज के कहने पर ऐसा किया। बलभद्र बताते हैं कि उनके समाज में किशोरावस्था में कदम रखने पर बेटी की महुआ के पेड़ से प्रतीकात्मक शादी कराई जाती है। मान्यता है कि इससे असल वैवाहिक जीवन सुखमय रहेगा। उसकी 10 साल की बेटी का भी बालिका व्रत विवाह की परंपरा होनी थी। इसे स्थानीय भाषा में कोणाबेरा कहा जाता है। इस परंपरा को निभाने के लिए समाज ने मां के क्रिया कर्म की रस्म का दबाव बनाया।

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