निजी पार्टी में दोनों अफसर पांच लाख रुपए भी फूंक देते तो किसी को कोई दिक्कत नहीं होनी थी। लेकिन दिक्कत तो तब हो गई, जब दोनों अफसरों ने सारे खर्च की जिम्मेदारी एक विभागीय अधिकारी के मत्थे मढ़ दी। अधिकारी ने बिल का भुगतान तो किया नहीं, उल्टे अब 12 दिन बाद ये लाखों का बिल सोशल मीडिया के जरिये सबके हाथों तक पहुँच रहा है।
कोरबा। जिले में स्थित पिकनिक स्पाट सतरेंगा जाकर किसी की सतरंगी सपने कुलांचे न मारे ये हो ही नहीं सकता। राज्य सरकार ने सतरेंगा को सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थल बनाने में कोई कोर कसर जो नहीं छोड़ी है। यहां की प्राकृतिक अनुभूतियों से प्रभावित सूबे के मुखिया बोट पर कैबिनेट की बैठक तक कर चुके हैं। अब इसी सतरंगी सपनों में उड़ान भरने वाली जगह सतरेंगा में दो बड़े अफसरों की निजी पार्टी सोशल मीडिया में सुर्खियाँ बटोर रहा है। दोनों अफसरों ने एक दिन की पार्टी में ढाई लाख से ज्यादा रुपये फूंक दिए। निजी पार्टी में दोनों अफसर पांच लाख रुपए भी फूंक देते तो किसी को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। लेकिन दिक्कत तो तब हो गई, जब दोनों अफसरों ने सारा खर्च वहन करने की जिम्मेदारी एक विभागीय अधिकारी के मत्थे मढ़ दी। अधिकारी ने बिल का भुगतान तो किया नहीं, उल्टे अब 12 दिन बाद ये लाखों का बिल सोशल मीडिया के जरिये सबके हाथों तक पहुँच रहा है।
दोनों अफसरों के बारे में तैर रही चर्चाओं के मुताबिक मेजबान थे कोरबा नगर निगम के एक बड़े अधिकारी और दूसरे जिले के एक बड़े प्रशासनिक अधिकारी सपत्नीक मेहमान थे। इन्होंने सतरेंगा और बुका में मौज-मस्ती करने का प्लान बनाया। दिन 19 दिसंबर (सन्डे) का था। दोनों अधिकारियों की वीआईपी पार्टी में जमकर जाम भी छलकाए गए। कहा जा रहा है कि इस पार्टी में कुछ और करीबी लोग भी शामिल थे। पार्टी में शराब-कबाब पर खूब खर्च किया गया। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कुल मिलाकर 20 बोतल शराब पार्टी में शामिल लोगों ने गटककर नौका विहार का भी जमकर लुत्फ़ उठाया। अधिकारियों ने लाखों रुपए के इस बिल की भुगतान करने की जिम्मेदारी कोरबा जिले के एक अधिकारी को सौंप दी। अधिकारी ने बिल का भुगतान नहीं किया, जिसके चलते ये मामला जगजाहिर हो गया। बोट का आनंद उठाते अधिकारियों ने सतरेंगा के कर्मचारियों का लगभग 40,000 का भुगतान भी अब तक नहीं किया है। शायद उसके लिए भी किसी ना किसी विभाग को यह जिम्मेदारी भी सौंप दी जाए।
चर्चा यह भी है कि निगम के इस बड़े अफसर ने अपने शासकीय बंगले में निगम के ठेकेदारों से लगभग 25 लाख रुपए के विभिन्न कार्य करवाया किंतु आज तक उन ठेकेदारों को बिल का भुगतान नहीं किया। कुछ दिन पूर्व ही अधिकारी ने उन ठेकेदारों को साफ तौर पर मना कर दिया कि वह भुगतान नहीं करेंगे।