Saturday, May 18, 2024
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BCC News 24: भारतीय वैज्ञानिकों का दावा: कोवीशील्ड और कोवैक्सिन का कॉम्बो शरीर में बनाता है 4 गुना ज्यादा एंटीबॉडीज, पूरी तरह है सुरक्षित…

रिसर्च के अनुसार, कोवीशील्ड और कोवैक्सिन का कॉम्बो पूरी तरह सुरक्षित है।

नईदिल्ली: कोवीशील्ड और कोवैक्सिन का मिक्स 4 गुना ज्यादा एंटीबॉडीज बनाता है। यह दावा AIG हॉस्पिटल्स और एशियन हेल्थकेयर फाउंडेशन के वैज्ञानिकों ने किया है। यानी किसी को कोवीशील्ड के दूसरे डोज की जगह कोवैक्सिन और कोवैक्सिन के दूसरे डोज की जगह कोवीशील्ड दे दी जाए, तो उसके शरीर में कोरोना के खिलाफ ज्यादा एंटीबॉडीज बनती हैं।

रिसर्च में कहा गया है कि वैक्सीन्स को मिक्स एंड मैच करना पूरी तरह सुरक्षित है। इससे पहले अगस्त 2021 में ऐसी ही एक स्टडी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने की थी।

कोवीशील्ड और कोवैक्सिन की मिश्रित खुराक है बेहतर

कोरोना वायरस में स्पाइक प्रोटीन नामक एक प्रोटीन होता है। इसकी मदद से ही वायरस हमारे शरीर के सेल्स (कोशिकाओं) के अंदर प्रवेश कर उन्हें नुकसान पहुंचाता है। इस प्रोटीन से लड़ने के लिए हमारे शरीर को एंटीबॉडीज की जरूरत होती है।

एआईजी हॉस्पिटल्स के प्रमुख डॉ. डी नागेश्वर रेड्डी का कहना है कि दो डोज वाली समान वैक्सीन के मुकाबले मिक्स वैक्सीन शरीर में 4 गुना ज्यादा एंटीबॉडीज बनाती है। इससे वायरस जल्दी खत्म होता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, कोवीशील्ड और कोवैक्सिन की मिक्स खुराक हमारे लिए पूरी तरह सेफ है।

डॉ. रेड्डी का कहना है कि इस रिसर्च के रिजल्ट काफी महत्वपूर्ण हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में भी वैक्सीन का तीसरा डोज लगाने की शुरुआत होने जा रही है। देश में 10 जनवरी से हेल्थ वर्कर्स और 60+ लोगों को प्रिकॉशन डोज लगाई जाएगी।

देश में बढ़ रही महामारी की रफ्तार

देश में महामारी की रफ्तार चार गुना तेजी से बढ़ रही है। सोमवार को भारत में 35,438 कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले हैं। पिछले साल 1 दिसंबर को देश में संक्रमितों का आंकड़ा 9,765 के करीब था। ऐसे में पिछले एक महीने में ही संक्रमण में 4 गुना बढ़त दर्ज की गई है। साथ ही, पिछले हफ्ते की तुलना में अचानक से संक्रमण के मामले 5 गुना तेजी से बढ़े हैं।

नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन (NTAGI) के कोविड-19 कार्य समूह के अध्यक्ष डॉ. एन के अरोड़ा का कहना है कि तेजी से बढ़ते मामले देश में महामारी की तीसरी लहर की ओर इशारा करते हैं। फिलहाल ऐसी स्थिति कई अन्य देशों में देखी जा रही है। इसका कारण कोरोना वायरस का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन है।

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