कोरबा(BCC NEWS 24): जन्म लेने के साथ ही बेसहारा हो गए बच्चे काे सहारा देने अमेरिका में रहने वाला इंजीनियर दंपती सामने आया है। कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही दो साल के इस बच्चे के आगे की परवरिश विदेशी धरती पर होगी। इससे यह माना जा रहा है कि बच्चे के आगे का भविष्य बेहतर होने से नहीं रोका जा सकेगा। यहां बताना होगा मातृछाया का संचालन सेवा भारती द्वारा किया जा रहा है।
मातृछाया की ओर से सेंट्रल एडाप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (कारा) के वेबसाइट में बच्चे की फोटो व वीडियो गोदनामा में देने के लिए अपलोड किया गया था। वर्ष 2020 में अमेरिका के साउथ कैरोलिना में बिशप पाइन ड्राइव किसन में रहने वाले दंपती की नजर इस बच्चे पर पड़ी और उन्होंने इसे गोद लेने की इच्छा जाहिर की।
अमेरिका की संस्था ऑथराइज्ड फारेन एडाप्शन एजेंसी (एएफएए) व कारा के संयुक्त प्रयास से दंपती का आवेदन मंजूर कर लिया गया। विशेष बच्चे को गोद लेकर उसका समुचित उपचार व लालन-पालन की जिम्मेदारी निभाना चाहते हैं। इसके लिए बाकायदा उन्होंने कोर्ट की प्रक्रिया पूरी की है। एक माह पहले दंपती यहां कुटुम्ब न्यायालय में दस्तावेजों का सत्यापन कराया।
बीते दिनों गोदनामे की वैधानिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद निहारिका स्थित दशहरा मैदान के सामुदायिक भवन में दत्तक ग्रहण समारोह में विधिवत गोदनामे पर दिया गया। सोमवार को निहारिका स्थित सामुदायिक भवन में इस दौरान कल्पना पटेल, कृष्णा हॉस्पिटल की संचालिका डॉ. प्रीति उपाध्याय, वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक तिवारी व सेवा भारती के अध्यक्ष डॉ. विशाल उपाध्याय, अभिषेक शर्मा उपस्थित रहे।
वीजा- पासपोर्ट हो रहा तैयार
बच्चे का पासपोर्ट व वीजा बनाने के प्रक्रिया पूरी की जा रही है। पासपोर्ट सेवा कार्यालय में इसके लिए बच्चे को गोद लेने वाले अभिभावकों ने आवेदन लगाया है। 4 मई को पासपोर्ट मिलने की तिथि तय हुई है। इसके बाद अमेरिकी दंपती बच्चे को लेकर रवाना हो जाएगी। साथ ही वहां की नागरिकता दिलाने की प्रक्रिया पूर्ण की जाएगी।
मातृछाया का पहला बच्चा जो जाएगा विदेश
मातृछाया के संचालक मंडल ने बताया 28 बच्चों को अब तक गोद में दिया जा चुका है। पहली बार कोई बच्चा विदेश जा रहा है। भारत में गोदनामा पूर्ण होने के बाद निगरानी की जवाबदारी अमेरिका की एएफएए की होगी।
भारतीय परंपरा से दंपती का किया स्वागत
गोदनामे के दौरान अमेरिकी दंपती का स्वागत मातृछाया परिवार ने भारतीय परंपरा से किया। सेवा भारती से जुड़ी सदस्यों ने 16 राज्यों की अलग-अलग संस्कृति अनुसार गोद भराई की रस्म पूरा करते हुए बच्चे को सौंपा।