छत्तीसगढ़: सूरजपुर में अक्षय तृतीया को देखते हुए अलग-अलग स्थानों पर 10 बाल विवाह रुकवाए गए। इसमें परिजन 17 से 17 साल की लड़कियों की शादी कर रहे थे। वहीं 18 से 20 साल तक के लड़कों की भी शादी की जा रही थी। शादी के लिए परिजनों ने प्रशासन को धोखा देने के लिए आधार कार्ड में फर्जी तरीके से जन्म तारीख तक बदल रखी थी।
दरअसल, कलेक्टर इफ्फत आरा ने अक्षय तृतीया को शादी की विशेष तारीख देखते हुए एक संयुक्त टीम बाल विवाह रोकने के लिए गठित की थी। यह टीम जिला पंचायत CEO राहुल देव के निर्देश और सीएस सिसोदिया के मार्गदर्शन में काम कर रही थी। टीम में बाल संरक्षण इकाई, महिला एवं बाल विकास विभाग के सदस्यों को भी शामिल किया गया है।
6 लड़कियों और 4 लड़कों की रुकवाई गई शादी
इसी बीच उन्हें जिले में बाल विवाह किए जाने की सूचना मिली। इस पर टीम ने तीन दिनों में 10 बाल विवाह रोके हैं। इसमें 6 लड़की और 4 लड़कों की शादी होनी थी। ये बाल विवाह जमदई, कंदरई विकास खंड, रामानुजनगर के ग्राम पिउरी, कटिंदा और भैयाथान के बुंदिया में रोके गए। सबसे ज्यादा बच्चों की शादी जमदई में हो रही थी। यहां पर टीम ने 5 बच्चों की शादियां रुकवाईं।
दो स्थानों पर पकड़ा गया फर्जीवाड़ा
प्रशासन की ओर से बताया गया कि दो स्थानों पर टीम को धोखे में डालने के लिए बच्चों के आधार कार्ड में फर्जीवाड़ा किया गया था। उनकी जन्म तारीख को बदल बालिग बताया गया। संदेह होने पर जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने जांच कराने और FIR दर्ज कराने की चेतावनी दी तो परिजनों ने खुद सच्चाई बता दी। इस पर सभी को बाद में शादी करने के लिए समझाया गया।
परिजनों से लिए गए शपथ पत्र
टीम ने सभी जगहों पर बाल विवाह रोकने का पंचनामा तैयार किया। साथ ही बच्चों के बयान और उनके परिजनों से शपथ पत्र लिए गए। इसमें बच्चों के बालिग होने के बाद ही शादी की बात लिखवाई गई। परिजनों ने भी इस पर सहमति जताते हुए बालिग होने पर शादी की बात कही। इस पर समझाइश देने के बाद सभी को छोड़ दिया गया।