Sunday, May 19, 2024
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कम उम्र में बने नक्सली, समझदारी आई तो छोड़ी हिंसा… किसी ने 10 तो किसी ने 15 की उम्र में थामा था हथियार

दंतेवाड़ा: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में दो नक्सली जोड़ों ने पुलिस अफसरों के सामने सरेंडर किया है। इनपर लाखों रुपए का इनाम घोषित है। इन्होंने पढ़ने- लिखने, खेलने-कूदने की उम्र में हिंसा का दामन थामा था। कलम की बजाए हथियार थाम कई वारदातें की थीं। हालात बदलने लगे और नक्सलवाद की हकीकत जब सामने आने लगी तो अब घर वापसी कर दी। अब ये दोनों शादीशुदा जोड़े खुशहाल जिंदगी जीना चाहते हैं।

जानिए इनके बारे में…..

सरेंडर नक्सली आयते मिडियामी गादीरास के कोर्रा की रहने वाली है। अभी वह 26 साल की है। साल 2007 से नक्सल संगठन में काम कर रही है। यानी इस समय आयते की उम्र महज 10 साल की थी। पढ़ने-लिखने, खेलने- कूदने की उम्र में नक्सली अपने साथ ले गए थे। साल 2012 तक CNM (चेतना नाट्य मंडली) की सदस्य थी। 15 साल की उम्र में हथियार चलाना सिखाया। कई मुठभेड़ों में शामिल रहकर हिंसा भी की। संगठन में रहते हुए नक्सली कमांडर कोसा से प्रेम हुआ। दोनों ने शादी की।

दोनों जोड़े अब खुशहाल जिंदगी जिएंगे।

दोनों जोड़े अब खुशहाल जिंदगी जिएंगे।

आयते 12 बोर की बंदूक अपने साथ रखती थी। अब पति के साथ सरेंडर कर खुशहाल जीवन जिएगी। उसका पति और सरेंडर नक्सली कोसा सुकमा जिले के गच्चनपल्ली का रहने वाला है। साल 2000 से यह नक्सल संगठन से जुड़कर काम कर रहा। अभी यह 39 साल का है। यह 16 साल की उम्र में ही संगठन में शामिल हो गया था। 23 साल तक संगठन से जुड़ा रहा। कई बड़ी घटनाओं में शामिल रहा। संगठन में रहते आयते से इसने शादी की थी।

बचपन में थामा हथियार

छोटू मंडावी डुमरीपालनार का रहने वाला है। अभी इसकी उम्र 25 साल है। 15 साल की उम्र में ही नक्सलवाद से जुड़ गया। वर्तमान में नक्सलियों की टेक्निकल टीम का कमांडर था। हथियार मरम्मत का काम करता था। संगठन में रहते इसने टेक्निकल टीम सदस्य लखमे से शादी की। लखमे की उम्र अभी 18 साल है। इसने 2 साल पहले यानी 16 साल की उम्र में नक्सलवाद का दामन थामा था। अब इन दंपतियों ने सरेंडर कर लिया है। अब ये जोड़ी खुशहाल जिंदगी जिएंगे।

ऐसे कई मामले  चुके हैं सामने

बस्तर में यह पहली बार नहीं है बल्कि नक्सल संगठन में बच्चों को जोड़ने के कई मामले सामने आ चुके हैं। बच्चों का ब्रेनवॉश कर उन्हें मुख्यधारा से अलग करने के कई मामलों का खुलासा भी हुआ है। बस्तर में मजबूरियों में फंसे ऐसे कई मासूमों का अपना दर्द है। इसका खुलासा तब हो रह जब कमजोर पड़ रहे नक्सलवाद के बीच इनकी घर वापसी हो रही। एसपी गौरव राय ने बताया कि इन्हें सरेंडर करवा कर मुख्यधारा से जोड़ा गया है। अब ये खुशहाल जीवन जिएंगे।

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