
छत्तीसगढ़: गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिले में गुरुवार को संदिग्ध परिस्थितियों में एक नर भालू बुरी तरह से घायल हालत में मिला। पेंड्रा वन परिक्षेत्र के पीपलामार गांव में सागौन प्लांटेशन के पास इस भालू को देखकर लोगों ने तुरंत इसकी सूचना वन विभाग को दी।
खबर मिलते ही वन विभाग की टीम तुरंत मौके पर पहुंची। भालू चल भी नहीं पा रहा था और उसकी हालत गंभीर थी। मरवाही DFO सत्यदेव शर्मा खुद मौके पर पहुंचे और भालू के रेस्क्यू के लिए कानन पेंडारी बिलासपुर से भी टीम बुलाई गई। वन विभाग की टीम ने ग्रामीणों को भालू के पास जाने से रोक दिया। बाद में कानन पेंडारी के डॉक्टर पी के चंदन के नेतृत्व में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। पहले भालू को ट्रैंक्यूलाइज किया गया, फिर उसे प्राथमिक उपचार दिया गया।

खुद से खड़ा होने में भी असमर्थ था भालू।
भालू पर जाल डाला गया। इसके बाद उसे इंजेक्शन लगाया गया, ताकि आराम मिल सके। भालू को सलाइन के द्वारा दवाईयां दी गईं। फिलहाल भालू को बिलासपुर जिले के कानन पेंडारी लाया गया है, जहां उसका इलाज किया जा रहा है। DFO सत्यदेव शर्मा ने कहा कि ऐसा लगता है कि किसी अन्य भालू के साथ लड़ाई में ये भालू घायल हुआ होगा। नर भालू की उम्र 7 साल के करीब बताई जा रही है।

भालू पर जाल डालकर किया गया इलाज।
इससे पहले पीपलामार गांव से सटे सिलपहरी गांव में 1 जनवरी 2016 को एक घायल भालू मिला था, जिसने 2 लोगों की जान ले ली थी। जिसके बाद तत्कालीन प्रभारी SDM रणवीर शर्मा ने पेंड्रा पुलिस को भालू को गोली मारने का आदेश दिया था। इसके बाद भालू को गोली मारी गई थी। लेकिन इस बार भालू को सुरक्षित तरीके से रेस्क्यू करने की पहल डीएफओ ने की है। फिलहाल ग्रामीणों को जंगल में जाने से रोकने के लिए अलर्ट जारी किया गया है। वहीं भालू कैसे घायल हुआ, इसकी भी जांच की जा रही है।
एक हफ्ते पहले जिले में देखा गया था सफेद भालू
एक हफ्ते पहले मरवाही रेंज के माड़ाकोड़ गांव में सफेद भालू नजर आया था। विलुप्त मान लिए गए सफेद भालू को देखकर वन्यजीव प्रेमियों में उत्साह का माहौल था। भालू लैंड के नाम से मशहूर मरवाही वनमंडल में 10 नवंबर को करीब 2 साल के बाद सफेद भालू दिखा था। ये सफेद भालू काले भालू के साथ घूमता और खेलता हुआ नजर आया था। ग्रामीणों ने तुरंत सफेद भालू का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दिया था, जो जमकर वायरल हुआ।

2 साल बाद सफेद भालू को घूमते हुए देखा गया था।
माड़ाकोड़ मरवाही वनमंडल का सघन भालू क्षेत्र है। यहां काफी संख्या में भालू रहते हैं, लेकिन सफेद भालू लंबे समय से दिखाई नहीं दे रहे थे। वैसे तो सफेद भालू मुख्य रूप से ध्रुवीय क्षेत्रों में रहते हैं। भारत में अधिकतर काले भालू ही पाए जाते हैं। मरवाही वनमंडल में पाए जाने वाले सफेद भालुओं को एलबिनो कहा जाता है। ऐल्बिनिज़म उन कोशिकाओं का परिणाम है, जो मेलेनिन का उत्पादन नहीं कर सकते। इससे त्वचा, आंखों और बालों का रंग सफेद हो जाता है। जब ऐल्बिनिज़म मौजूद होता है, तो जानवर सफेद या गुलाबी दिखाई दे सकता है।
पेंड्रा में लगातार देखे जा रहे हैं भालू
10 दिन पहले जिले के सिवनी बदरौड़ी गांव में एक भालू के आ जाने से गांववालों में दहशत का माहौल बन गया था। 6 नवंबर को सुबह रोज की तरह लोग अपने खेत पर जाने के लिए निकले थे, तभी उनकी नजर भालू पर पड़ी। इससे वहां अफरातफरी का माहौल बन गया था। खबर मिलते ही मरवाही वनमंडल के ग्राम सिवनी बदरौड़ी में वनकर्मियों की टीम पहुंची थी और भालू को खदेड़ा था। वनकर्मियों की कोशिशों से भालू करीब 3 घंटे के बाद गांव से सटे जंगल में भाग गया था।

लगातार जिले के रिहायशी इलाकों में भालुओं के आने से दहशत।
मरवाही वनमंडल में संरक्षित वनों और पहाड़ियों में इन दिनों बेतहाशा उत्खनन और कटाई चल रही है, जिसके कारण भालू गांवों का लगातार रुख कर रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार मरवाही में करीब 400 भालू हैं। भालू प्रभावित क्षेत्रों में कराए जा रहे निर्माण कार्यों के चलते भी भालू लगातार गांव का रुख कर रहे हैं। पिछले एक महीने में भालू से इंसानों की मुठभेड़ के अब तक 5 मामले सामने आ चुके हैं। इसमें 5 लोग घायल हुए हैं। इधर गौरेला के कोरजा गांव में भी भालुओं के लगातार आने की शिकायतें वन विभाग को मिल रही हैं।
मरवाही रेंज में पूर्णकालिक रेंजर की जगह पिछले 5 सालों से डिप्टी रेंजर ही पदस्थ हैं, जिसके चलते वनों की कटाई और अवैध उत्खनन भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। मरवाही में माडाकोट, रटगा, धनपुर धोब, निमधा, लोहारी, रूमगा, कोरजा, सेमरदर्री, दानिकुंडी सहित कई गांव भालू प्रभावित क्षेत्र माने जाते हैं। यहां अक्सर भालू गांव के आसपास देखे जाते हैं।
