भोपाल: मध्यप्रदेश कैडर की IAS अफसर नेहा मारव्या वॉट्सऐप पोस्ट के बाद फिर विवादों में आ गई हैं। इस बार उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी पर प्रताड़ना का आरोप लगाया है। 2011 बैच की IAS नेहा मारव्या ने महिला IAS के वॉट्सऐप ग्रुप पर पोस्ट शेयर करते हुए अपने साथ हुए व्यवहार के बारे में बताया।
उन्होंने लिखा- रस्तोगी के पास वे पदभार ग्रहण करने गईं, तो उन्होंने बहुत परेशान किया गया। रस्तोगी ने कमरे में आने से मना कर दिया। वहां पहुंचने पर पीए के सामने ही गेट आउट कहकर फटकार लगाई।
जब मीडिया ने इस बारे में नेहा से बात करने का प्रयास किया, तो उन्होंने न तो फोन रिसीव किया और न ही मैसेज का जवाब दिया। उधर रस्तोगी ने भी इस मामले में कमेंट करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि नेहा को जॉइनिंग के बाद ऑफिस आए 6 दिन ही तो हुए हैं।
IAS नेहा ने वॉट्सऐप पोस्ट में यह लिखा
महिला IAS का वॉट्सऐप ग्रुप बना हुआ है। इस ग्रुप पर नेहा ने पोस्ट शेयर करते हुए अपना दर्द उजागर किया। उन्होंने इसमें लिखा- यह पहला मौका है, जब मैं कुछ लिख रही हूं। अब भी नहीं बोला, तो IAS और मानव होने के नाते शर्म आएगी। सीनियर मुझे अच्छे से गाइड कर सकेंगी। मदद भी कर सकेंगी। मैं भोपाल में मनरेगा में एडिशनल CEO के तौर पर पदस्थ थी। 4 जुलाई 2022 से 7 जुलाई तक अवकाश पर थी। 7 जुलाई की शाम सामान्य प्रशासन विभाग के उप सचिव की ओर से कॉल आया।
बताया गया कि उनका तबादला राजस्व विभाग में बतौर उप सचिव किया गया है। इसके बाद 8 जुलाई को मैं मनरेगा से रिलीव होने पहुंच गई। प्रक्रिया के बाद मुख्यमंत्री और राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी के चैंबर में गई। उन्होंने कहा- तुम चैंबर में नहीं आ सकती। उनके पास कोई काम भी नहीं है, इसलिए तुम्हें सुधारने के लिए मेरे अंडर में रखा गया है। तुम्हें देखता हूं। इसके बाद मैंने उनसे अपनी गलती पूछी, तो उन्होंने जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा- तुम्हें बोलने का हक नहीं है।
उनसे निवेदन किया कि मनरेगा के वाहन से मैं आई थी, वो वापस कर दिया है। किसी वाहन से घर भिजवा दें, तो उन्होंने इनकार कर दिया। जब मैंने पूछा कि मैं घर कैसे जाउंगी, तो उन्होंने बोला कि स्टाफ से पूछ लो कि वो लोग वल्लभ भवन से घर कैसे जाते हैं। उन्होंने पीए को बुलाकर मुझे गेट आउट कहा।
उप सचिव ने मेरे लिए वाहन की व्यवस्था करने कोशिश की। प्रमुख सचिव ने उसे भी फटकार लगाते हुए मना कर दिया। क्या इस मामले में चुप रहना चाहिए? जब पीएस के पास मेरे लिए काम नहीं था, तो उन्होंने मुझे अपने अंडर में क्यों बुलवाया? क्या उन्होंने मुझे प्रताड़ित करने के लिए रखा है? बहुत दुखद है।’
रिटायर्ड महिला अधिकारी समर्थन में आईं
इसके बाद रिटायर्ड IAS अधिकारी भी उनके समर्थन में आ गईं। उन्होंने लिखा कि तुम सही के लिए लड़ाई लड़ो, मैं तुम्हारे साथ हूं। वहीं, इस मामले में एक अन्य महिला IAS अधिकारी ने लिखा कि इस तरह सोशल मीडिया ग्रुप में यह सब बातें लिखना सही नहीं है।
विवादों से पुराना नाता
- मारव्या को पहले जिला पंचायत जबलपुर, फिर जिला पंचायत दतिया और भोपाल में राज्य शिक्षा केंद्र में पदस्थापना के बाद उन्हें शिवपुरी में जिला पंचायत का CEO बनाया गया। मात्र 5 साल में यह उनकी चौथी पोस्टिंग है।
- वर्ष 2014 में गुना लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रचार वाहन के विरुद्ध बेवजह कार्रवाई करने के कारण चुनाव आयोग ने इनका तबादला आदेश जारी कर दिया था।
- इसी तरह, जबलपुर की जिला पंचायत अध्यक्ष मनोरमा पटेल से इनका विवाद सुर्खियों में रहा है। मामला सीएम हाउस तक पहुंचा। यह विवाद तभी थमा, जब नेहा मारव्या का तबादला हुआ।
- कृषि विभाग में आने के बाद उन्होंने 11 ड्राइवर बदले थे।
- गाड़ी में ज्यादा डीजल के लिए मंडी अफसरों से भिड़ चुकी हैं।
- पंचायत CEO रहते कलेक्टर की कार के किराए का भुगतान रोका था।
- शिवपुरी में मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया के कार्यक्रम में भी नहीं पहुंची थीं।