Sunday, May 19, 2024
Homeमध्यप्रदेशबड़ीं खबर: कलेजे के टुकड़ों को डूबने से तो बचा लिया, अब...

बड़ीं खबर: कलेजे के टुकड़ों को डूबने से तो बचा लिया, अब खुले आसमान में बुखार से कंपकंपा रहे मासूम…. लोग बोले- अफसर आटा और आलू देकर चले गए; डॉक्टर नहीं आए….

मध्यप्रदेश में कई गांव बाढ़ से जूझ रहे हैं। जीवनदायिनी मानी जाने वाली सिंध नदी ने इस बार अपना रौद्र रूप दिखाया। बाढ़ में सबकुछ तिनके की तरह बह गया। भिंड जिले के पर्यायच गांव में लोगों ने जैसे-तैसे अपनी जान तो बचा ली, लेकिन उनका सबकुछ उजड़ गया। घर-गृहस्थी का सामान जो भी हाथ आया, अपने साथ लेकर चल दिए। कुछ लोगों ने बच्चों के साथ तैरकर जान बचाई। अब खुले आसमान के नीचे दिन-रात गुजर रहे हैं। बच्चे बुखार से कंपकंपा रहे हैं। उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। दैनिक भास्कर की टीम ने यहां का जायजा लिया, तो चौंकाने वाले हालात मिले।

मंगलवार दोपहर करीब 3 बजे। गांव में कुछ लोग ही मिले। सभी अपनी-अपनी गृहस्थी समेटने में व्यस्त थे। महिलाएं तिरपाल के नीचे भोजन का इंतजाम कर रही थीं। कुछ बच्चे बुखार में थे। डॉक्टर को दिखाने की बात पर बताया कि प्रशासन के कुछ अफसर आए थे। आटा और आलू देकर चले गए। उन्हे बच्चों को बुखार होने की जानकारी दी, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। अभी तक कोई डॉक्टर लेकर नहीं आया। मौके पर से भास्कर संवाददाता ने लहार BMO डॉ. शैलेन्द्र पांडेय को हालात से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि टीम को जांच के लिए सुबह रवाना कर दिया है, लेकिन शाम चार बजे तक कोई चिकित्सा दल यहां नहीं पहुंचा।

बर्बाद होने के बाद अब फिर से गृहस्थी बसाने की कवायद।

बर्बाद होने के बाद अब फिर से गृहस्थी बसाने की कवायद।

वापस नहीं लौटना चाहते बाढ़ पीड़ित

गांव में कच्चे मकान एक झटके में ढह गए। अब बाढ़ पीड़ित गरीब नदी के किनारे न रहकर ऊंचाई वाले क्षेत्र में रहना चाहते हैं। वे उस स्थान पर नहीं जाना चाहते।

  • गांव की तीन साल की गुन्ना बाढ़ के पानी में डूब गई थी। बच्ची को बचा लिया। अब बुखार नहीं उतर रहा।
  • धीरज की 5 साल की बेटी है। वह भी डूबने से बची। उसे भी बुखार आ रहा है।
  • मिथिला का कहना है कि ट्यूब और ड्रम के सहारे बच्चों को बचाकर लाए।
  • हर कुंअर ने बताया, पहली बार गांव में ऐसी मुसीबत आई। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।

घर बह गया, अब पॉलीथिन का सहारा

बाढ़ में गृहस्थी तबाह हो जाने के बाद लोग खुले आसमान में रहने को मजबूर हैं। पॉलीथिन के सहारे धूप और बारिश से बचाव कर रहे हैं। लोगों का कहना है, ऐसा कभी नहीं सोचा था कि इतना बुरा समय आएगा। कुछ नहीं बचेगा।

2 KM दूर तक झाड़ियां बयां कर रही बर्बादी की दास्तां बाढ़ के हालात का मुआयना किया। यहां नदी से 2 KM दूर तक की झाड़ियां पानी के बहाव में उखड़ चुकी हैं। घर-गृहस्थी का सामान पानी में बह गया, जो खेतों व मिट्टी में दब गया। नदी के किनारे मिट्टी का कटाव तेजी से हुआ।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular