Thursday, May 2, 2024
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BCC News 24: CG BIG न्यूज़- सोशल मीडिया की वजह से पति-पत्नी के रिश्तों में दरार.. छोटे-छोटे कारणों से हर महीने तलाक की औसतन 180 अर्जियां पहुंच रही कोर्ट में, दिनभर मोबाइल पर बात करना और फ्रेंड लिस्ट में अनावश्यक लोगों के जुड़े होने से हो रहा विवाद

छत्तीसगढ़: रायपुर के फैमिली कोर्ट में हर महीने औसतन 180 अर्जियां तलाक के लिए पहुंच रही हैं। संख्या न सिर्फ बड़ी है, बल्कि चौंकाने वाली बात यह भी है कि नए रिश्ते में तलाक की नौबत मामूली बातों पर आ रही है। पत्नी सोशल मीडिया पर एक्टिव रहती है, दिनभर मोबाइल पर बात करती है, उसकी फ्रेंड लिस्ट में अनावश्यक लोग जुड़े हुए हैं, ऐसी बातों पर विवाद हो रहा है।

पिछले 15 महीने में 2647 नए मामले कोर्ट तक पहुंचे हैं। अभी भी इन कोर्ट में 4019 मामले पेंडिंग हैं। रायपुर कोर्ट में हर महीने पहुंच रहे ये मामले अलगाव की स्थिति में पहुंच चुके हैं। ये वो मामले हैं, जो कोर्ट तक पहुंचे हैं और जिनमें सुलह की गुंजाइश भी बरकरार है।

ये 40% मामले हैं, जबकि 60% मामलों में कोर्ट का दरवाजा ही नहीं खटखटाते, ऐसा लीगल एक्सपर्ट्स का मानना है। इन आंकड़ों के मुताबिक रायपुर जिले में ही हर साल 6000 से ज्यादा लोगों की शादियां टूट रही हैं। साल के चार महीने में लगभग इतनी तो शादियां ही हो रही हैं। यानी जितनी शादियां हो रही हैं, उतने ही रिश्ते टूट भी रहे हैं। शेष|पेज 9

राज्य में 20 परिवार अदालतें, हर माह लगभग 1100 मामले
रायपुर समेत राज्य के 20 जिलों में फैमिली कोर्ट हैं। रायपुर में ही तीन कोर्ट हैं। रायपुर फैमिली कोर्ट में रायपुर के अलावा देवभोग, गरियाबंद, राजिम और तिल्दा के मामले पहुंचते हैं। इसके अलावा दुर्ग, महासमुंद, मनेंद्रगढ़, जशपुर, अंबिकापुर, बालोद, बलौदाबाजार, बेमेतरा, बिलासपुर, धमतरी, जगदलपुर, जांजगीर-चांपा, कांकेर, कबीरधाम, कोरबा, महासमुंद, रायगढ़, राजनांदगांव और सूरजपुर में फैमिली कोर्ट हैं।

ब्यूरो से मिले आंकड़ों के मुताबिक इन सभी जिलों को मिलाकर राज्य में हर माह औसतन 1100 से अधिक मामले दर्ज हो रहे हैं। यानी साल में 12 हजार से ज्यादा परिवार कानूनी रूप से अलग हो रहे हैं, जबकि अनधिकृत रूप से विवाह-विच्छेद के आंकड़े भयभीत करने वाले हो सकते हैं।

40% मामले कोर्ट जाते है, जबकि 60% आपसी सहमति से ही सुलझ जाते हैं

पत्नी घंटों मोबाइल पर
रायपुर के किशोर देवांगन की सारिका (दोनों परिवर्तित नाम) से हुई। सारिका घंटों मोबाइल में इंगेज रहने से पति से विवाद बढ़ा। सालभर से सारिका मायके में हैं।

सोशल मीडिया के दोस्त नापसंद
हितेश गौर की निकिता (दोनों परिवर्तित नाम) से शादी हुई। निकिता को आपत्ति थी-हितेश लड़कियों से चैटिंग करता है। दोनों ने कोर्ट में आवेदन लगा दिया है।

गांव में नहीं रहना चाहती
रायपुर के सचिन साहू (बदला नाम) की सरकारी नौकरी लगी तो वह पत्नी भानुमति (परिवर्तित नाम) को लेकर गांव आ गया। भानुमति ने गांव में नहीं रहने पति को कहा, पर वह नौकरी नहीं छोड़ सकता था। अब दोनों अलग हैं।

वाट्सएप, फेसबुक की लत
गरियाबंद के दिनेश वर्मा और जयंती बघेल (दोनों परिवर्तित नाम) के बीच सोशल मीडिया (वाट्सएप-फेसबुक) में चैटिंग से विवाद हुआ। अब दोनों अलग रहना चाहते हैं।

पति को मायके में रखने की जिद
दुर्ग के कैलाश वर्मा से शादी के बाद मीनाक्षी वर्मा (दोनों परिवर्तित नाम) चाहती थी कि पति मायके में रहे। कैलाश ने मना किया तो वह मायके लौट गई।

दोनों नौकरी में, शक बना कारण
गरियाबंद निवासी अरविंद तिवारी-प्राची शर्मा (दोनों परिवर्तित नाम) एक ही सरकारी विभाग में नौकरी करते थे। पति को शक हुआ कि पत्नी का उच्च अधिकारी के पति के साथ रिश्ता है। विवाद के बाद पति ने तलाक का अर्जी दिया।

दोनों ओर इतना अहम… काउंसिलिंग भी कारगर नहीं
फैमिली कोर्ट में काउंसिलर एडवोकेट शमीम रहमान के मुताबिक कोर्ट पहुंचने वाले ज्यादा मामले छोटे-छोटे विवादों से जुड़े हैं। सोशल मीडिया ने विवादों को और बढ़ा दिया है। उनके अहम इतने बढ़ चुके हैं कि काउंसिलिंग का भी फायदा नहीं होता।

ये हैं कारण

  • पति-पत्नी के बीच अहम का बढ़ा टकराव।
  • एक-दूसरे पर छोटी बातों पर शक करना।
  • एक-दूसरे की आदतों को न समझ पाना।
  • एक-दूसरे के प्रति जरूरत से ज्यादा अपेक्षा।
  • महिला अधिकारों के दुरुपयोग की भी बातें।
  • अधिवक्ता विश्वदिनी पांडे, अधिवक्ता मनोज छाबड़ा के मुताबिक
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